महिला सुरक्षा के लिए देहरादून की बसों में लगी थी सीटियां, अब बची हैं सिर्फ डोरियां

संक्षेप:

  • देहरादून के लोकल बसों में लगाई गई थी सीटी
  • महिला सुरक्षा को ध्यान में रखकर उठाया गया था कदम
  • NYOOOZ ने लिया जमीनी हकीकत का जायजा

देहरादून: `आवाज’ यदि कोई व्यक्ति बस में आपसे छेड़छाड़ करता है तो कृपया सीटी को जोर से बजाएं। जी हां! इसी तरह के पोस्टर्स आपको देहरादून में चलने वाली लोकल बसों पर देखने को मिलेंगे।

बीते जनवरी में देहरादून पुलिस ने ‘आवाज’ मुहीम के जरिये 60 बसों पर 30 सीटियां लगाई। देहरादून पुलिस के उठाए गए इस कदम का मूल मकसद था कि अगर यात्रा के दौरान कोई भी महिला किसी भी तरह के उत्पीड़न का सामना करती है तो वह सीट पर लगी सीटी को जोर से बजा सकती है जिससे मजनुओं की सीटी पुलिस बज सके। लेकिन आज NYOOOZ आपको जमीनी हकीकत से रूबरू कराएगा कि आखिर पुलिस प्रशासन की इस पहल का नतीजा क्या रहा?

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हर योजना के प्रतिफल सामने आने के लिए कुछ वक़्त लगता है। चूकि यह योजना जनवरी में शरू हो चुकी थी। NYOOOZ ने पता लगाया की आखिर साल के तीसरा महीने में क्या सच में इस पहल का कोई असर हुआ है या नहीं? नतीजा यह रहा की जो कदम एक काफी गंभीर मुद्दे को लेकर लिया गया था वह सिमट कर सिर्फ और सिर्फ उपहास बन कर रह गया है। बस में अभी भी यह सारे पोस्टर छपे हुए हैं परन्तु सभी सीटों पर सीटियों की जगह अब सिर्फ डोरियां नज़र आती हैं।

ड्राइवर से पूछने में पता चला की सारी सीटियों को लोग ले गए हैं और काफी लोगों के लिए तो यह एक मनोरंजन का विषय बन चूका है। अगर किसी को भी सीटी दिखती है तो वह मजाक में इसे बजा देते है। साथ ही कई महिलाओं और लड़कियों ने यह भी शिकायत की कि झूठी सीटी को आखिर कौन बजाना चाहेगा?

पुलिस प्रशासन की तरफ से इस तरह की पहल अपने आप में काफी आलोचनात्मक है। इस तरह के गंभीर मुद्दे को सिर्फ सीटी के जरिये प्रदशित करना काफी निंदनीय है। यह फैसला अपने आप में पुलिस प्रशासन पर उंगलियां जरूर खड़ा करता है कि आखिर पुलिस प्रशासन इस तरह के फैसले की कमियों से अवगत थी या नहीं?

इस फैसले पर जब हमने महिलाओं और लड़कियों से बात की, आखिर यह फैसला कितना प्रभावी रहा है? तो इसकी प्रतिक्रिया में सभी ने इसे एक बड़ी विफलता बताया और कहा की यह प्रयास पूर्णतः अपने लक्ष को हासिल करने में विफल रहा है। क्योंकि इस तरह के लोगों के साथ सिर्फ सीटी बाजा कर नहीं निपटा जा सकता है इसके लिए पुलिस को सार्वजनिक स्थानों पर महिलाओं की सुरक्षा के लिए और भी सख्त कदम अपनाने चाहिए।

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