पढ़िए डॉक्टर हंस की कहानी, ऐसे जीत रहे बच्चों का दिल

संक्षेप:

  • पढ़िए डॉक्टर हंस की कहानी
  • डॉक्टर परिवार से ही आते हैं हंस
  • श्री गंगाराम हॉस्पिटल में भी किया काम

देहरादून: जिंदगी का हर लम्हा करवट लेता रहता है, जो अपने आप में आंतरिक एवं मानसिक तौर पर भी बदलाव लाता है। आज ऐसे ही शख्स की कहानी हम आपको बताने जा रहे हैं। जिन्होंने बच्चों के क्लब और किलकारी को कुछ इस तरह से देखा कि उसे ही अपना पेशा बना डाला। हम बात कर रहे हैं डॉक्टर हंस की। जिनका पेशा है बच्चों के दिलों को जीतना यानी कि पीडिअट्रिशन का।

लेकिन इससे पहले की हम उनके सफर के बारे में आपको बताएं। हम बता दें कि डॉक्टर हंस के रिसर्च पेपर ने 15 पेपर में से बाजी मारी। साथ ही उन्हें बतौर मुख्य अतिथि के रूप में डीआरएस किड्स प्ले स्कूल में बुलाया गया जहां उन्होंने स्वच्छता और टीका के महत्व के बारे में बात की।

वह फिलहाल तो अपनी मेडिकल की पढ़ाई को यूके और यूनाइटेड स्टेट्स में जारी रखना चाहते हैं लेकिन इन सब के बाद उनका मानना है कि वह देहरादून में ही अपना डेरा बसाएंगे।

ये भी पढ़े : सारे विश्व में शुद्धता के संस्कार, सकारात्मक सोच और धर्म के रास्ते पर चलने की आवश्यकता: भैय्याजी जोशी


उनके जिंदगी के सफर की बात करें तो उनका वाबस्ता ही रहा है डॉक्टर परिवार से। लेकिन अगर आप भी इस गलतफहमी में हैं कि वह डॉक्टर इसलिए बने क्योंकि उनका परिवार इसी व्यवसाय में था, तो आप गलत है। क्योंकि मां-बाप दोनों ही दिन-रात इसी व्यवसाय के दौरान लोगों की निस्वार्थ रूप से मदद करते थे, जो कि तभी मुमकिन है जब आप उस निरवान तक पहुंच पाते हैं।

एक यही वजह रही जिसने लगातार इन्हें इस व्यवसाय में आगे बढ़ने की हिम्मत दी। बचपन मे भले ही एक सपना देखा लेकिन सच्चाई से मुखातिब होने के बाद उन्होंने रोगहर की तरफ अपना रुख अपनाया। यही उनका सपना रहा और इसी सपने को उन्होंने सच कर दिखया।
सेंट जोसफ से 10 तक पढ़ाई करने के बाद और जीव विज्ञान में उस तरह का उम्मीदवार नहीं होने के कारण मैंने आगे की पढ़ाई के लिए दिल्ली पब्लिक स्कूल आरके पुरम को चुना। जिस तरह की तालीम मुझे यहां मिली उस से मेरे दिमाग के सारे बंद दरवाजे खोल दिये और एक अलग ही अनुभव मेरी ज़िंदगी में जोड़ा। वहां पर जीव विज्ञान को अच्छे से समझा और एमबीबीएस की मेहनत से तैयारी की। जिसका परिणाम उन्हें भारत के एक विख्यात मेडिकल कॉलेज मौलाना आज़ाद मेडिकल कॉलेज में मिला।

उन्होंने कहा कि एमबीबीएस जरूर एक भारी कोर्स है। जहां आपको लगातार लोगों की जाने बचाने के लिए निरंतर प्रयास करना होता है। काट-फाट करना, अलग-अलग प्रयोग करना, दिन रात चलता वार्डस की ड्यूटी और उसके ऊपर से प्रैक्टिकल और पढ़ाई का जोर। लेकिन इन सब के बावजूद भी आखिरकार उन्होंने इस जंग को पार किया और सफलतापूर्वक अपनी इंटर्नशिप जे पी और जी बी पंत अस्पताल से पूरी की।

पीजी के लिए डॉक्टर हंस ने लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज को चुना और दाखिल लिया। क्योंकि पीडियाट्रिक्स होने के नाते उन्हें बच्चों की मासूमियत से काफी लगाव था। यही वजह रही की उन्होंने अपनी एमडी काफी सफल रूप से पूरी करी।

इसके बाद उन्होंने प्राइवेट सेक्टर में जाने की सोची और श्री गंगाराम हॉस्पिटल में काम किया। एक अलग अनुभव होने के साथ उन्होंने अपने पिता डॉक्टर विपिन वैश्य के खोले गए अस्पताल मैहर हॉस्पिटल से जुड़ गए। यह एक अच्छा अवसर रहा देहरादून से वापस जुड़ने का। अपने नयेपन और आधुनिक सोच से उन्होंने एक अलग ही रास्ता अपनाया है अपने व्यवसाय में। काफी नई उपलब्धियों को जैसे पीडियाट्रिक कार्डियोलॉजी, नेफ्रोलॉजी, न्यूरोलॉजी का शुभारंभ किया है। उनका मुख्या मकसद ही है कि देश मे डॉक्टरों को और भी सशक्त बनाना।

अपने पीडियाट्रिक बनने का रुझान भी उन्हें अपने क्लीनिकल दौर में पता चला। हर वक़्त जब भी वह बच्चों के वार्ड में जाते तो एक अलग ही उत्सुकता उनके मन में होती और पीडियाट्रिक बनने के बाद उन्हें बच्चों की अपार दुनिया को समझने का मौका मिला। जहां वह बच्चों की किलकारी से डरे नहीं बल्कि उसे एक जिम्मेदारी के तौर पर लिया और अपनी तरफ से पूरी यह कोशिश की की वह आराम महसूस कर सके।

उनका समझ बच्चों की और उन ओर होने वाले दवाइयों के असर ने उन्हें आंतरिक रूप से तो काफी आगे बढ़ाया है साथ ही एक अमूर्त रिश्ता भी कायम करने का मौका दिया है। डॉक्टर हंस समाज के लिए प्रेरणा स्रोत ही नहीं बल्कि रिवर्स माइग्रेशन का भी जीत जागता उदाहरण है।

If You Like This Story, Support NYOOOZ

NYOOOZ SUPPORTER

NYOOOZ FRIEND

Your support to NYOOOZ will help us to continue create and publish news for and from smaller cities, which also need equal voice as much as citizens living in bigger cities have through mainstream media organizations.

Read more Dehradunकी अन्य ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें और अन्य राज्यों या अपने शहरों की सभी ख़बरें हिन्दी में पढ़ने के लिए NYOOOZ Hindi को सब्सक्राइब करें।

Related Articles