राकेश टिकैत ने फिर भरी हुकार, बोले- सरकार एमएसपी पर दे गारंटी

संक्षेप:

  • एसकेएम ने ट्रैक्टर मार्च का एलान वापस लिया।
  • बावजूद यूपी गेट आंदोलन स्थल पर अचानक माहौल गरमा गया।
  • राकेश टिकैत ने कहा- एसकेएम के निर्णय के तहत चार दिसंबर तक इंतजार कर रहे हैं।

गाजियाबाद- संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने ट्रैक्टर मार्च का एलान वापस ले लिया था। बावजूद इसके सोमवार को यूपी गेट आंदोलन स्थल पर अचानक माहौल गरमा गया। हाईवे पर अर्धसैनिक बलों की तैनाती के साथ दिल्ली पुलिस भी अलर्ट हो गई। किसान नेता राकेश टिकैत और अन्य किसान बैरिकेडिंग के पास पहुंचे। जहां दिल्ली पुलिस के अधिकारी ने उनसे कुछ देर वार्ता की। ट्रैक्टर मार्च निकालने पर राकेश टिकैत ने कहा कि एसकेएम के निर्णय के तहत चार दिसंबर तक इंतजार कर रहे हैं। जब किसान दिल्ली आएंगे तो उन्हें पहले बता दिया जाएगा। टिकैत ने कहा कि सदन में जैसे कृषि कानून वापस हुए हैं, वैसे ही सरकार एमएसपी पर गारंटी कानून बना दे।

राकेश टिकैत, प्रदेश अध्यक्ष राजबीर सिंह जादौन, भाकियू युवा के अध्यक्ष गौरव टिकैत, अनुज और अन्य किसानों की दिल्ली पुलिस के अधिकारी से कई मुद्दों पर वार्ता हुई। जिसमें ट्रैक्टर मार्च निकालना मुख्य प्वाइंट रहा। टिकैत ने अधिकारी से कहा कि किसान अभी दिल्ली नहीं जाएंगे। ट्रैक्टर मार्च का निर्णय संयुक्त किसान मोर्चा लेगा। इसके लिए हम लोग 4 दिसंबर तक का इंतजार कर रहे हैं। उन्होंने हाईवे पर लगी बैरिकेडिंग को हटाकर एंबुलेंस और इमरजेंसी वाहनों के लिए रास्ता देने की मांग की। जिस पर दिल्ली के अधिकारी ने बैरिकेडिंग हटाने का भरोसा दिया। तीन कृषि कानूनों के मुद्दे पर राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार अब एमएसपी पर गारंटी कानून भी इसी तरह बना दे। हमें यह भरोसा चाहिए कि वह बिजली बिल लेकर नहीं आएगी। इस दौरान हाईवे पर पूरी तरह बैरिकेडिंग लगने से एक एंबुलेंस भी फंस गई थी। इसके बाद किसानों ने उसे किसी तरह यूपी गेट फ्लाईओवर के नीचे से निकाला। इधर, सुबह करीब साढ़े ग्यारह बजे जैसे ही सदन में सरकार ने तीन कृषि कानून वापस लेने का प्रस्ताव रखा। इस पर आंदोलनकारी किसानों के बीच खुशी की लहर दौड़ गई। मंच के पास किसानों ने खुशी जाहिर की लेकिन हर किसी ने पटाखे फोड़ने या मिठाई बांटने से परहेज किया। बता दें कि 26 नवंबर को हुए महापंचायत के बाद से यूपी गेट पर किसानों की संख्या बढ़ी हुई है।

मृतक किसानों को मिले मुआवजा
जिलाध्यक्ष चौ. बिजेंद्र सिंह ने कहा कि सरकार ने 12 महीने के कड़े संघर्ष और तप के बाद कृषि कानून वापस ले लिया है। हमारी मांग एमएसपी पर कानून और मृतक किसानों को मुआवजा दिलाने की भी है तब तक आंदोलन चलता रहेगा।

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घर पर बोलकर आया था, खेती का अधिकार लेकर आउंगा
किसान सुधीर सांगवान कहते हैं कि एक साल पहले घर वालों से बोला था कि अब सरकार से खेती-किसानी के अपने अधिकार लेकर ही घर आउंगा। हमारे संघर्ष में कोई कमी नहीं रहेगी। सर्दी गर्मी और बारिश तो सब किसान देख चुके हैं।

अन्नदाता के लिए इतनी कठोर क्यों हैं सरकार
एनसीआर अध्यक्ष प्रवीण मलिक कहते हैं कि एक साल से हम लोग सड़क पर बैठकर सर्दी, गर्मी, बारिश झेल रहे हैं। कोरोना काल में जब हमने देश के लोगों को खाना खिलाया था तो सभी ने सराहा था, आज अपने अधिकार मांग रहे हैं तो सरकार इतनी कठोर क्यों है। सरकार को वोटों की राजनीति छोड़कर हमारे दर्द को समझना चाहिए।

आधी खुशी लेकर कहां जाएंगे किसान
सिसौली के गौरव बालियान का कहना है कि कृषि कानून सरकार ने वापस लेना शुरू कर दिया है। लेकिन अभी आधी जीत या खुशी को लेकर अन्नदाता कहां जाएंगे। बिजली बिल, गन्ना बकाया भुगतान, बीज बिल और एमएसपी पर गारंटी कानून पर तो कुछ नहीं हो रहा। सरकार जितनी भी परीक्षा ले ले, किसान पीछे हटने वाले नहीं है।

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