बीजेपी के वोट शेयर घट रहे पर नोट बढ़ रहे

संक्षेप:

  • बीजेपी को 2016-17 में 532.27 करोड़ रुपए मिले
  • छह दलों को जहां कुल 57.08 करोड़ चंदे में मिले
  • बीजेपी के चंदे में एक साल में 593 फीसदी का उछाल

लखनऊः देश की चार लोकसभा और 10 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजों से बीजेपी को बड़ा झटका लगा है. यदि इसमें कर्नाटक की आरआर नगर विधानसभा सीट का परिणाम भी जोड़ लें तो स्कोर 3-12 हो जाता है. इन नतीजों का विश्लेषण करें तो बीजेपी जीती हुई सीटें ही नहीं हार रही है, बल्कि उसका वोट शेयर भी घट रहा है. हलांकि इन सबके बीच बीजेपी के लिए आगर कोई खुशी की खबर है तो वो ये कि इसके नोट लगातार बढ़ रहे है.

दरअसल राजनीति में वोट का जितना महत्व होता है उससे कहीं भी कम नोट का महत्व नहीं है. अगर देश की छह बड़ी पार्टियों को देखा जाए तो कांग्रेस को 41.90 करोड़ रुपये, राष्ट्रवादी कांग्रेस को 6.34 करोड़ रुपये, सीपीएम को 5.25 करोड़ रुपये, तृणमूल कांग्रेस को 2.15 करोड़ रुपये और सीपीआई को 1.44 करोड़ रुपये का चंदा मिला है यानी कुल मिलाकर 57.08 करोड़ रुपये का चंदा मिला है और अकेले बीजेपी को 532.27 करोड़ रुपये का चंदा मिला है.

सत्ता की रईसी क्या होती है ये छह राष्ट्रीय दलों को 20 हजार रुपए से ऊपर मिले चंदा की रकम से समझा जा सकता है. छह राष्ट्रीय दलों को जहां कुल 57 करोड़ 8 लाख रुपए चंदे में मिले वहीं बीजेपी को 2016-17 में 532 करोड़ 27 लाख रुपए मिल गए. यानी बीजेपी को छह राष्ट्रीय दलों को मिले चंदे से करीब नौ गुना ज्यादा चंदा मिला है.

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बीजेपी को 2015-16 में बीस हजार रुपए से ज्यादा के चंदे के रुप में 76 करोड़ 85 लाख रुपए मिले थे वो 2016-17 में बढ़कर 532 करोड़ 27 लाख रुपए हो गए यानी एक बरस में 593 फीसदी का उछाल. जबकि कांग्रेस के 20 हजार रुपए से ज्यादा के चंदे में महज 105 फीसदी का उछाल आया. यानी इस दौरान कांग्रेस को चंदे के रूप में सिर्फ 41.90 करोड़ रुपये ही हासिल हुए. मान लिया जाए कि 2019 में राजनीतिक दलों के बीच अगर एक लड़ाई पैसों के बूते खेली गई तो बीजेपी के सामने कोई टिक नहीं पायेगा. यानी जब ये सवाल उभरता है कि धनबल के सहारे चुनाव जीते जा सकते है तो फिर बीजेपी को कौन मात देगा.

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