सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से मिले भाजपा विधायक राकेश राठौर

संक्षेप:

  • जल्द सपा की सदस्यता ले सकते हैं राकेश राठौर।
  • भाजपा के कई और विधायक भी उनके साथ।
  • यूपी सियासी गलियारों में तेज हुईं चर्चाएं।

लखनऊ- बसपा के बाद अब भाजपा के विधायक ने भी समाजवादी पार्टी की ओर कदम बढ़ाना शुरू कर दिया है। रविवार को भाजपा विधायक राकेश राठौर ने सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से मुलाकात की। दोनों में करीब 30 मिनट बातचीत हुई। भाजपा विधायक ने इसे शिष्टाचार भेंट बताया, लेकिन जल्द ही समर्थकों सहित वह सपा की सदस्यता ले सकते हैं। राठौर का दावा है कि भाजपा के कई विधायक उनके साथ हैं। 

पिछले दिनों बसपा के विधायकों ने सपा कार्यालय में पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से मुलाकात की थी। हालांकि अभी तक उन्होंने घोषित तौर पर सपा की सदस्यता नहीं ली है। लेकिन वे सपा के झंडेतले विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं। अब भाजपा विधायक राकेश राठौर ने सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से मुलाकात कर सियासी गलियारे में हलचल बढ़ा दी है। सीतापुर जिले के सदर विधानसभा क्षेत्र से विधायक राकेश राठौर भाजपा के पहले विधायक हैं, जिनके कदम सपा की ओर बढे हैं। भाजपा विधायक राकेश राठौर ने इस मुलाकात को शिष्टाचार भेंट बताया है। उन्होंने कहा कि सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से भेंट के दौरान प्रदेश के सियासी हालात पर चर्चा हुई। 

पिछड़ों एवं दलितों के साथ हो रही विभिन्न घटनाओं को लेकर चर्चा की गई। सपा की सदस्यता लेने के सवाल पर विधायक राठौर ने कहा कि अभी इस मुद्दे पर बात नहीं हुई है। वक्त आएगा तो इस मुद्दे पर भी बात की जाएगी। इतना जरूर है कि साहू राठौर समाज के हित के लिए हर स्तर पर कुर्बानी देने को तैयार हैं। कहा कि उनकी पहचान अपने समाज से है। जहां समाज को मान सम्मान मिलेगा, वहीं रहेंगे। उन्होंने दावा किया कि उनकी तरह भाजपा के कई अन्य विधायक भी सरकार के कामकाज के तरीके से परेशान हैं। वे भाजपा विधायक रहते हुए अपने विधानसभा क्षेत्र के लोगों को न्याय नहीं दिला पा रहे हैं। 

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मालूम हो कि भाजपा विधायक राकेश राठौर का कुछ समय पहले आडियो भी वायरल हो चुका है, जिसमें उन्होंने सरकार केकामकाज पर सवाल उठाए थे। उन्होंने कोरोना काल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर भी टिप्पणी की थी। कहा था कि ताली- थाली से कोरोना नहीं भागेगा। वह लंबे समय से पार्टी के असंतुष्ट बताए जा रहे हैं।

सियासी गलियारों में तेज हुईं चर्चाएं

नगर विधानसभा सीट से भाजपा विधायक राकेश राठौर और सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के बीच विधानसभा चुनाव के पहले हुई मुलाकात चौंकाने वाली है। मुलाकात के बाद रविवार को दोनों लोगों की एक साथ वायरल फोटो से सियासी गलियारों में चर्चाएं तेज हो गईं। मुलाकात के कई मायने निकाले जा रहे हैं। यह बात दीगर है कि इस फोटो को लेकर लोगों का चौंकना लाजिमी है, लेकिन इसमें हैरान करने वाली कोई नई बात नहीं है। 

वजह, 2017 में भाजपा के टिकट पर विधायक बनने के तकरीबन एक साल बाद ही वह सरकार की नीतियों को लेकर नाराज हो गए थे। आम जनता की परेशानी, दिक्कतों और जनहित के मुद्दों का हल नहीं निकलने की वजह से धीरे-धीरे वह मुखर होते चले गए। सरकार की नीतियों के खिलाफ मुखर होने की बात आम हो गई थी। यही वजह थी कि राजनीतिक पंडित सियासत का रुख भांपते हुए यह कहने लगे थे कि इस बार राकेश राठौर पाला बदल सकते हैं। इन्हीं तमाम वजहों को लेकर आहत चल रहे राकेश राठौर के पार्टी से किनारा करने की चर्चाएं लंबे समय से चल रहीं थीं। लंबे समय से उन्होंने खुद को एक दायरे में सीमित कर रखा था, लेकिन जिस बात की चर्चाएं लंबे समय से थी, रविवार को फिलहाल अप्रत्यक्ष रूप से इस पर मुहर लग गई। अभी पार्टी की ओर से इसको लेकर कोई पुष्टि नहीं की गई है, लेकिन इस मुलाकात ने चर्चाओं को बल जरूर देने का काम किया है।

सपा के मजबूत गढ़ में राकेश ने लगाई थी सेंध
2017 विधानसभा चुनाव से पहले नगर विधानसभा सपा की मजबूत सीट रही है। राधेश्याम जायसवाल लगातार चार बार नगर विधानसभा सीट से विधायक रहे हैं, लेकिन 2017 के चुनाव में मोदी लहर में राधेश्याम अपनी सीट बचाने में कामयाब नहीं हुए। 20 साल बाद इस सीट पर फिर से कमल खिलाने का काम राकेश राठौर ने किया। वह जीते भले ही मोदी लहर में हो, लेकिन कहीं न कहीं श्रेय तो उन्हें जाता ही है। सपा के कद्दावर नेता राधेश्याम जायसवाल से सीट छीनकर 20 साल का वनवास काटने वाली भाजपा की झोली में डालने वाले राकेश राठौर को पार्टी से मलाल हुआ और फिर उन्होंने किनारा कर लिया। 

बसपा से भी लड़े थे चुनाव
2017 में पहली बार विधायक बने राकेश राठौर इससे पहले बसपा के टिकट पर विधानसभा का चुनाव लड़े थे, लेकिन तब उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा था।

यह भी शुरू हुईं चर्चाएं 
अखिलेश यादव और राकेश राठौर की एक साथ फोटो वायरल होने के बाद सियासी गलियारों में चर्चाएं इस बात की भी तेज हो गईं हैं कि लगातार चार बार सपा की झोली में सीट डालने वाले नेता भी अब पाला बदल सकते हैं। एक तरह से कहें तो वह पुराने भाजपाई भी माने जाते हैं। वजह, 1995 में वह नगर पालिका के अध्यक्ष भी भाजपा के टिकट पर ही बने थे। टिकट दिलाने में उनके राजनीतिक गुरु का अहम योगदान रहा। बाद में लगातार पांच बार विधायक रहने वाले अपने गुरु के ही खिलाफ आमने-सामने चुनावी जंग लड़कर उन्हें हरा दिया था और सपा की झोली में यह सीट डाल दी थी। ऐसे में चर्चाएं इस बात की हो रही हैं कि कहीं फिर से वह पाला न बदल लें। ऐसा होता है कि मुुकाबला रोमांचक होगा।

नीतियों के खिलाफ शुरुआत से मुखर रहे राकेश
भाजपा में विधायक बनने के बाद से ही राकेश राठौर मुखर हो गए थे। वजह, सरकार की नीतियां और व्यवस्थाएं उन्हें रास नहीं आ रही थी। इसी वजह से वह मुखालफत करने लगे थे। फिर चाहे कोरोना काल में प्रधानमंत्री के ताली-थाली बजाओ संदेश को लेकर टिप्पणी करना हो या फिर लखनऊ से आई एक कॉल पर विकास संबंधी सवाल को लेकर लखनऊ में गड्ढे नहीं दिखने की बात हो। यही नहीं शोपीस बने ट्रॉमा सेंटर पर बोलने से राजद्रोह लगने की बात हो। इन सब बातों को लेकर ऑडियो, वीडियो वायरल हो चुके हैं, जो यह साफ संकेत दे रहे थे कि सरकार का सिस्टम राकेश राठौर को रास नहीं आ रहा है। 

विधायक बोले - सामान्य सी थी मुलाकात
सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के साथ वायरल हो रही फोटो के बाद जारी चर्चाओं के बीच विधायक राकेश राठौर से बात की गई। फोटो को लेकर सवाल पर बोले कि सामान्य सी मुलाकात थी। मुलाकात कब की है और फोटो कब की, इस सवाल पर विधायक ने कहा कि थोड़ी-थोड़ी बासी है। ज्यादा बासी है कहने पर बोले कि इतनी भी नहीं। थोड़ी ताजी और थोड़ी बासी। पूछने पर कि इसी सप्ताह की है तो हंसते हुए कहा हां... यही मानिए। पूछा गया कि क्या सपा में जा सकते हैं तो कहा कि आपसे मिलेंगे पहले। दरअसल, भले ही राकेश राठौर फोटो को लेकर खुलकर नहीं बोल रहे हैं, लेकिन भाजपा के लिए झटका तो है ही। इतना तो साफ होता दिख रहा है कि उनकी ओर से जल्द ही कोई चौंकाने वाली खबर आ सकती है।

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