लखनऊ पासपोर्ट विवादः नियम ताक पर रख बनाया पासपोर्ट, बीजेपी ने जांच की मांग की

संक्षेप:

  • NYOOOZ के हाथ लगे अहम दस्तावेज
  • आधार-निकाहनामे पर अलग-अलग नाम दर्ज
  • घंटे भर में हाथों हाथ मिला पासपोर्ट

लखनऊ: तन्वी सेठ को हाथों हाथ बिना पुलिस वेरिफ़िकेशन के पासपोर्ट देने पर सवाल खड़े हो गए हैं. नियम क़ानूनों की परवाह तक नहीं की गई, बीजेपी ने अब इसकी जाँच की मांग की है. पार्टी नेताओं का कहना है कि अगर पासपोर्ट देने में ग़लती हुई है तो इसे सुधार लेना चाहिए. लखनऊ के रीजनल पासपोर्ट अफसर ने यूपी पुलिस की सुरक्षा ले ली है. ऐसा पहली बार हुआ कि घंटे भर में बिना पुलिस वेरिफिकेशन के हाथों हाथ किसी को पासपोर्ट मिल गया.

नोएडा में नौकरी कर रही और रह रहीं तन्वी सेठ को लखनऊ से पासपोर्ट मिल गया. जबकि नियम ये है कि छह महीनों से जिस पते पर आप रहते हैं उसी पते का पासपोर्ट बनता है. नया पासपोर्ट हाथों हाथ नहीं डाक से भेजा जाता है. तत्काल कैटेगरी में ही बिना पुलिस वेरिफ़िकेशन के पासपोर्ट बनता है लेकिन तन्वी ने तो जनरल वर्ग में आवेदन किया था. तत्काल कोटे में 3500 रूपये की फ़ीस देनी पड़ती है, जनरल कोटे में ये फ़ीस सिर्फ़ 1500 रूपयों की है. ऐसे में सरकार को राजस्व का नुक़सान हुआ, अब इन्हीं सवालों को लेकर लखनऊ का रिजनल पासपोर्ट ऑफ़िस विवादों में है.

NYOOOZ के हाथ तन्वी सेठ से जुड़े कुछ अहम दस्तावेज लगे. इन दस्तावेजों में तन्वी का झूठ सामने आया. तन्वी सेठ के आधार कार्ड और निकाहनामे दोनों में मान अलग-अलग लिखा है. दस्तावेजों के मुताबिक, आधार कार्ड पर उनका नाम तन्वी सेठ लिखा है, वहीं निकाहनामे तन्वी सेठ की जगह उनका नाम सादिया लिखा हुआ है.

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आरोपी पासपोर्ट ऑफिसर विकास मिश्रा ने कहा,` कल को कोई भी शख्स किसी भी नाम से पासपोर्ट बनवा लेगा तो क्या ये देश की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ नहीं होगा`. आरोपी कर्मचारी ने मीडिया को बताया किउनकी तन्वी के पति से कोई बात नहीं हुई, उन्होंने कहा कि अगर मेरी कोई बात होती तो मैं उन्हें अपने अधिकारियों के पास क्यों भेजता.

उन्होंने कहा कि उन्होंने जाति और धर्म के नाम पर कोई टिप्पणी नहीं की थी, विकास कहते हैं कि उन्होंने खुद इंटरकास्ट मैरिज की है, वो जाति,धर्म में भेदभाव नहीं करते. उन्होंने बताया कि तन्वी के निकाहनामे में उनका नाम सादिया दर्ज था, जबकि दूसरे कागजात में नाम तन्वी सेठ लिखा हुआ था. ऐसे में उन्होंने तन्वी से कहा कि एक प्रार्थना पत्र लिखकर दें, ताकि नाम इंडोर्स किया जा सके. विकास ने कहा कि तन्वी इस पर राजी नहीं हुईं और बहस करने लगीं जिसके बाद उन्होंने फाइल अपने सीनियर को भेज दी.

आरोपी पासपोर्ट ऑफिसर विकास मिश्रा के मीडिया में पक्ष रखने के बाद सोशल मीडिया पर उनके सपोर्ट में हजारों लोग उतरे, जिसके बाद मामले ने फिर तूल पकड़ा. आपको बता दें, बुधवार (20 जून), उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में एक दंपत्ति ने पासपोर्ट ऑफिसर के खिलाफ आरोप लगाया कि उन्होंने उनका पासपोर्ट इसलिए खारिज कर दिया, क्योंकि वो दोनों अलग-अलग धर्म से है. दंपत्ति ने केंद्रीय मंत्री सुषमा स्वराज और पीएमओ को ट्वीट करके इसकी जानकारी दी है और मामले में दखलअंदाजी की मांग की है. विदेश मंत्रालय ने इस मामले पर सख्ती दिखाई है. मामला सामने आने के बाद पासपोर्ट ऑफिसर का ट्रांसफर कर दिया गया है. इसके साथ ही कार्यालय ने इस मामले पर पासपोर्ट कार्यालय से रिपोर्ट भी मांगी है और दंपत्ति को पासपोर्ट भी दे दिया गया.

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