शिवपाल की ‘समाजवादी सेक्युलर मोर्चा’ का गठन, भतीजे अखिलेश को देगें तड़का झटका !

संक्षेप:

  • शिवपाल ने किया समाजवादी सेक्युलर मोर्चे का ऐलान
  • शिवपाल सिंह यादव ने  कहा- सपा में न सम्मान-न पद
  • सपा में मुलायम सिंह की भी हो रही उपेक्षा- शिवपाल

समाजवादी पार्टी में लगातार उपेक्षा झेल रहे पूर्व मंत्री शिवपाल सिंह यादव ने अपनी अलग पार्टी समाजवादी सेक्युलर मोर्चा का गठन किया है। उन्होंने कहा है कि समाजवादी सेक्युलर मोर्चा यूपी में नया सियासी विकल्प होगा। इसके जरिए मैं छोटे दलों को जोड़ूंगा। शिवपाल ने कहा कि वह समाजवादी पार्टी से उपेक्षित लोगों को इस मोर्चे से जोड़ने का काम करेंगे। साथ ही कहा कि वह नेताजी को सम्मान न दिए जाने से आहत हैं और सेक्युलर मोर्चे के सहारे छोटे दलों को जोड़ेंगे।

शिवपाल ने कहा कि सपा में मुझे काम करने की जिम्मेदारी (पद) नहीं दी जा रही है और न ही कोई मौका दिया जा रहा है। ऐसे में मेरे पास कोई रास्ता नहीं बचा था। इसी के मद्देनजर समाजवादी सेक्युलर मोर्चा बनाने का फैसला किया है। उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव के वक्त ये तय होगा कि कौन-कौन कहां से चुनाव लड़ेगा। अब मुलायम सिंह यादव तय करेंगे वो क्या फैसला करेंगे। चुनाव में उनके खिलाफ उम्मीदवार उतारेंगे या नहीं इसका फैसला पार्टी करेगी।

शिवपाल के सेक्युलर मोर्चा बनाने के बाद साफ हो गया है कि अब उन्होंने अपनी सियासी राह सपा से अलग चुन ली है। हालांकि पिछले डेढ़ साल से वे पार्टी में किसी भी पद पर नहीं हैं। मालूम हो कि मंगलवार को सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव और पूर्व मंत्री शिवपाल सिंह यादव के बीच काफी देर तक बात हुई थी। बीजेपी की सहयोगी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष और योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री ओम प्रकाश राजभर भी शामिल थे। सूत्रों के मुताबिक,इस दौरान एक शिवपाल समर्थक नेता की ओर से गठित सेक्युलर मोर्चे को लेकर रणनीति बनाई गई। ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि राजभर भी इस मोर्चे में शामिल हो सकते हैं।

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लोकसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं, इसके मद्देनजर शिवपाल ने अपनी अलग ही पार्टी बना ली है। शिवपाल समर्थकों का मानना है कि राजनीतिक क्षेत्र में दखल बरकरार रखने के लिए इस मोर्चे का बनना जरूरी था। शिवपाल समर्थकों का मानना है कि उन्हें चुनाव की रणनीति बनाने में महारत हासिल है। 2012 के चुनाव में सपा की जीत में उनकी भूमिका अहम थी।

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