खजूर से रहेंगे दूर तो नहीं होगा निपाह वायरस का असर
- Shailendra
- Thursday | 24th May, 2018
- health
- केरल से सीएम ने किया अर्लट जारी
- बचाव के लिए बनाया कंट्रोल रूम
- निपाह वायरस से लोगों में डर का माहौल
निपाह वायरस से केरल के कोझिकोड में लोगों की मौत का सिलसिला लगातार जारी है। राज्य सरकार ने इस पर बचाव के लिए अलर्ट जारी किया है। साथ ही निपाह वायरस से बचाव और जानकारी के लिए कंट्रोल रूम भी बनाए है। केरल के सीएम पिनराई विजयन ने लोगों को इस जानलेवा वायरस से बचने के तरीके अपनाने की अपील की है। इस बात की पुष्टि हो गयी है कि हाल के दिनों में बुखार की वजह से जो मौतें हुई हैं, वे निपाह वायरस की वजह से ही हुई हैं। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी ने जांच के बाद इस पर मुहर लगायी है।
CM Pinarayi Vijayan has informed that Government is closely monitoring the spread of the Nipah virus. Health department is doing everything possible to save the lives of the infected & prevent the advance of virus.
— CMO Kerala (@CMOKerala) May 21, 2018
मनिपाल यूनिवर्सिटी के इपीडेमियोलॉजी विभाग के मुताबिक, निपाह वायरस चमगादड़ों के लार से फैलता है, इसलिए लोगों को इससे बचना चाहिए। निपाह वायरस से बीमार लोगों से स्वास्थ्य व्यक्ति को दूर रहना चाहिए। यह बीमार व्यक्ति के लार से फैल सकता है। ज्ञात हो कि वर्ष 2001 में पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी जिले में इस वायरस ने 45 लोगों की जान ले ली थी। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन की रिपोर्ट बताती है कि अप्रैल से जून तक निपाह वायरस के फैलने का खतरा ज्यादा होता है। सबसे ज्यादा संक्रमण मई महीने में होता है।
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हालांकि, सर्दी के मौसम में वर्ष 2001 में भारत में और 2004 में बांग्लादेश में निपाह वायरस का संक्रमण देखा गया था। भारत में इसके पहले पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी में निपाह वायरस के संक्रमण ने लोगों को परेशान किया था। सबसे पहले निपाह वायरस वर्ष 1988 में मलयेशिया के कामपुंग सुंगाई निपाह गांव में पाया गया था। इस गांव के नाम पर इस वायरस का नामकरण कर दिया गया।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, सबसे पहले सुअरों में निपाह वायरस पहुंचा था। इसके बाद यह कुत्तों, बिल्लियों, चूहों और अन्य जानवरों से होते हुए मनुष्यों तक पहुंचा। मनुष्य से मनुष्य तक भी निपाह का संक्रमण होता है। ऐसा माना जाता है कि खजूर खाने वाले लोगों तक सबसे पहले यह वायरस पहुंचा।
भूख और तनाव से ग्रस्त चमगादड़ों में एक ऐसा टिपिकल बायोलॉजिकल स्टेज तैयार हुआ है जिसकी वजह से उनमें निपाह वायरस का संक्रमण हो जाता है और उनसे यह मनुष्य तक पहुंच जाता है। चमगादड़ जीव विज्ञान के वर्गीकरण के लिहाज से पटेरोपस जीनस और पटेरोपोडियाडे परिवार के तहत आते हैं।
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