सहारनपुरः तीन तलाक के फैसले के बाद आतिया साबरी के घर के बाहर सुरक्षा कड़ी

संक्षेप:

  • तीन तलाक के फैसले के बाद आतिया साबरी  के घर की सुरक्षा बढ़ी
  • पति ने कागज पर तीन तलाक लिखकर दिया था आतिया को तलाक
  • ससुराल वालों की साजिश के बाद भी पीछे नहीं हटी अतिया साबरी

सहारनपुरः तीन तलाक के मामले पर सुप्रीम कोर्ट से फैसला आने के बाद सहारनपुर में अतिया साबरी के घर की सुरक्षा बढ़ा दी गई है। सुप्रीम कोर्ट में आज के छह महीने तक तीन तलाक पर रोक लगाने के फैसले के बाद से ही सहारनपुर में गहमा गहमी है। अतिया साबरी मंगलवार को भाई के साथ सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही देखने नई दिल्ली चली गई थीं।

सहारनपुर की आतिया साबरी के पति ने कागज पर तीन तलाक लिखकर उससे रिश्ता तोड़ लिया था। उनकी शादी 2012 में हुई थी। उनकी दो बेटियां भी हैं। अतिया का आरोप था कि लगातार दो बेटियां होने से नाराज उनके शौहर और ससुर उन्हें घर से निकालना चाहते थे। उन्हें दहेज के लिए भी परेशान किया जाता था।

अतिया के मुताबिक, पति और ससुर उसकी दूसरी बेटी सना को गर्भ में ही मारना चाहते थे। अतिया के ससुर सईद अहमद समाजवादी पार्टी के नेता भी हैं। अतिया का कहना था कि दारुल उलूम ने भी तलाक को वैध बताने से पहले उसका पक्ष नहीं जाना और न ही सहमति ली गई। इस मामले में नियमानुसार बिना सहमति तलाक नहीं दिया जा सकता।

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तीन तलाक मामले को सुप्रीम कोर्ट ले जाने वाली महिला अतिया साबरी को फंसाने की भी साजिश रची गई। उसके नाम से फर्जी बैंक एकाउंट खोलकर चेक जारी किए गए। पिछले साल ससुरालियों ने अतिया को फंसाने के लिए पंजाब नेशनल बैंक निरंजनपुर में उसके नाम का फर्जी खाता खोलकर चेक बुक ली। चेक डिसऑनर होने पर उन्होंने अतिया को नोटिस दिए तो मामला अतिया के संज्ञान में आया।

इसके बाद अतिया ने पति वाजिद, ससुर सईद, सास मेहराज व बैंक के शाखा प्रबंधक विनोद के अलावा चेक लेने वाले अफजाल, शरीफ व समीर के खिलाफ लक्सर कोतवाली में षडय़ंत्र रचने तथा धोखाधड़ी करने की धारा में मुकदमा पंजीकृत कराया था। दो महीने पहले पुलिस ने इसी मामले में वाजिद व सईद हसन को जेल भेज दिया था।

मामले में उन्होंने केंद्र सरकार के तीन मंत्रालयों और दारुल उलूम देवबंद को पार्टी बनाया था। सुप्रीम कोर्ट में याचिका स्वीकार होने के बाद इसी 15 फरवरी से केस की सुनवाई शुरू हुई थी। अतिया साबरी के निकाह के तीन साल बाद पति वाजिद ने कागज पर तीन तलाक लिखकर उससे संबंध तोड़ लिए थे। याचिकाकर्ता अतिया साबरी के मुताबिक, निकाह और तलाक के वक्त पति-पत्नी की सहमति जरूरी है। मगर पति ने उसकी सहमति नहीं ली गई।

दारुल उलूम देवबंद के तीन उलेमाओं ने भी तलाक को वैध बताने से पहले उसका पक्ष तक जानने की कोशिश नहीं की। ऐसे में पूरी तलाक प्रक्रिया को गलत ठहराते हुए इसके खिलाफ आठ जनवरी 2017 को सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस की अदालत में याचिका दायर की थी। 23 जनवरी को चीफ जस्टिस ने याचिका संख्या 43/2017 स्वीकारते हुए सुनवाई की तारीख 15 फरवरी लगाई थी।

सुप्रीम कोर्ट ने बाल कल्याण एवं विकास मंत्रालय, कानून एवं न्याय मंत्रालय और अल्पसंख्यक मंत्रालय के सचिवों, दारुल उलूम देवबंद और पीडि़ता के पति वाजिद अली को नोटिस जारी करते हुए अपना-अपना पक्ष रखने के लिए कहा था।

तीन तलाक के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने वाली हरिद्वार जिले के सुल्तानपुर की अतिया साबरी के ससुर और पति को दहेज उत्पीडऩ के मामले में पुलिस ने गिरफ्तार किया था। सहारनपुर की एक कोर्ट ने दोनों के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किए थे। मूलरूप से हरिद्वार जिले के सुल्तानपुर की रहने वाली मजहर हसन की बेटी अतिया साबरी का निकाह 2012 में जसोद्दरपुर के सईद हसन के बेटे वाजिद अली के साथ हुआ था।

आरोप है कि निकाह के बाद से ही अतिया के ससुराल वाले दहेज के लिए उसे प्रताडि़त कर रहे थे। इस दौरान अतिया को दो बार लड़की पैदा होने पर वह और नाराज हो गए। अतिया के साथ मारपीट कर उसे दोनों बेटियों के साथ जबरन मायके भेज दिया गया। इसके बाद तीन तलाक की इस व्यवस्था को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने के कारण अतिया देश भर में चर्चाओं में आ गई थीं।

साथ ही अतिया ने अपने पति, ससुर, सास और ननद के खिलाफ सहारनपुर की एक अदालत में दहेज उत्पीडऩ का मुकदमा भी दायर कराया था। एक मार्च को कोर्ट ने चारों आरोपियों की गिरफ्तारी के वारंट जारी किए थे। वारंट के आधार पर लक्सर पुलिस अतिया के पति और ससुर को गिरफ्तार कर सहारनपुर जेल भेज चुकी है।

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