Lok Sabha Election: चुनावी अखाड़े में पटकनी खा चुके हैं राजनीति के कई पहलवान, वो हार.. जो बन गई रिकॉर्ड

राजीव दीक्षित, मेरठ।

सत्ता के संग्रामों में सियासी रणकौशल का प्रदर्शन करने वाले राजनीति के कई महारथी अतीत में हुए लोकसभा चुनावों की समरभूमि में परास्त भी हुए।

इन दिग्गजों ने अतीत में अमावस की रातें भी देखीं।

प्रधानमंत्री पद तक का सफर तय करने वाली हस्तियां चुनाव हारीं तो पंडित दीनदयाल उपाध्याय, डा. राम मनोहर लोहिया और कांशीराम जैसे विचारक भी, जिनकी राजनीतिक विचारधारा के बलबूते उनके अनुयायियों ने राजनीति का शिखर छुआ।

जिस लखनऊ ने अटल बिहारी वाजपेयी को 1991 से 2004 तक लगातार पांच बार सिर-माथे पर बैठाकर लोकसभा पहुंचाया, उसने भाजपा के शिखर पुरुष के शुरुआती राजनीतिक करियर में तीन बार संसद पहुंचने में उनकी राह भी रोकी थी।

सिर्फ लखनऊ ही नहीं, अटल बिहारी 1957 में मथुरा से हारे तो 1962 में बलरामपुर से भी।

चौधरी चरण सिंह से लेकर इंदिरा गांधी को भी मिली थी हार पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह मुजफ्फरनगर से 1971 में लोस चुनाव हार गए थे, तब तक वह प्रधानमंत्री तो नहीं बने थे, लेकिन दो बार उप्र के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठ चुके थे।

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