मेरठ: जिला पोषण समिति रखेगी कुपोषण बच्चों के आहार की ख्याल

  • Pinki
  • Tuesday | 25th April, 2017
संक्षेप:

  • 12 ब्लॉक में 5,491 कुपोषित बच्चे किये गए चिन्हित
  • कुपोषण बच्चों के लिए दवा और पोष्टिक आहार उपलब्ध कराने के निर्देश
  • गर्भवती महिलाओं को सरकार योजना से पहुचाया जाएगा लाभ

मेरठ- प्रदेश में बच्चों में बढ़ते कुपोषण को रोकने के लिए राज्य पोषण मिशन योजना के अंर्तगत जिला पोषण समिति की बैठक विकास भवन के स्वच्छता सभागार में हुई। जिसमें बच्चों में बढ़ते कुपोषण को रोकने और गर्भवति महिलाओं तक सरकार की योजना का लाभ पहुंचाने पर चर्चा हुई।

बैठक में राज्य पोषण मिशन योजना के कोर्डिनेटर आशीष शुक्ला ने कहा कि जिले के सभी 12 ब्लॉक में 5491 कुपोषित बच्चे चिन्हित किये गये है। इन बच्चों को बढ़ते कुपोषण से रोकने के लिये आंगनबाडी कार्यकत्रियों और आशाओं को बच्चों को दवा और पोष्टिक आहार उपलब्ध कराने के निर्देश किये गये है। इसके साथ ही गर्भवति महिलाओं का समय-समय पर चैकअप और जांच कराने के भी निर्देश दिये गये। इस बैठक में जिला कार्यक्रम अधिकारी ज्ञान प्रकाश तिवारी, परियोजना निदेशक रवि किशोर त्रिवेदी और बीएसए मौहम्मद इकबाल सहित स्वास्थ विभाग के अधिकारी भी मौजूद रहे।


कुपोषण पर रोकथाम

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वह बच्चे जो बार-बार बीमार पड़ जाते हैं, जल्दी थक जाते हैं, धीमी गति से चीज़ों को समझते हैं, वे कुपोषण से ग्रस्त हो सकते हैं। बच्चे के जन्म से लेकर 2 साल की आयु तक उसके कुपोषण से ग्रस्त होने की सम्भावना अधिक होती है। यह बच्चे के समग्र दीर्घकालिक विकास के लिए महत्वपूर्ण समय होता है। कुपोषण की शुरूआत जन्म से पहले ही हो जाती है, आमतौर पर यह किशारोवस्था में, इसके बाद व्यस्क जीवन में और आने वाली पीढि़यों में भी जारी रह सकता है।

अक्सर इसे ठीक करना सम्भव नहीं होता। ये अपरिवर्तनीय लक्षण जो जच्चा-बच्चा के स्वास्थ्य एवं जीवन की गुणवत्ता पर बुरा प्रभाव डालते हैं, इन्हें रोकने के लिए जल्द से जल्द इस कुपोषण को रोकना ज़रूरी है। जैसे एक मरा हुआ पौधा उचित देखभाल, पोषण जैसे मिट्टी, पानी, ताज़ा हवा और धूप के बिना हरे-भरे पेड़ में विकसित नहीं हो सकता, उसी तरह एक बच्चा उचित देखभाल और पोषण के बिना स्वस्थ व्यस्क के रूप में विकसित नहीं हो सकता।

एक बार बन जाने के बाद जिस तरह से खराब बने मिट्टी के घड़े को दुबारा ठीक नहीं किया जा सकता, उसी तरह जो बच्चे अपने जीवन की शुरूआती अवस्था में कुपोषण का शिकार हो जाते हैं, उन्हें पूरी तरह से स्वस्थ नहीं बनाया जा सकता।

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