मेरठ में लिखी गई थी स्काउट आंदोलन की स्क्रिप्ट

संक्षेप:

  • अनुशासन के लिए बनाया गया स्काउट
  • एनी बेसेंट ने भारत में भी स्काउट एंड गाइड की नींव रखी
  • पूरी दुनिया में चलाया जाता है प्रशिक्षण

युवाओं को नैतिकता, योग्यता, सेवा, साहस, सम्मान के सही ढंग से संचार के मकसद से स्काउट एंड गाइड का प्रशिक्षण विश्वभर में चलाया जा रहा है। इस मुहिम की पटकथा मेरठ में लिखी गई थी। इस आंदोलन के जनक रॉबर्ट बेडन पॉवेल की मेरठ पोस्टिंग के दौरान उनकी नजदीकियां ड्यूक ऑफ कनॉट से बढ़ीं और लगभग दो दशक बाद स्काउट एंड गाइड ने 1910 में मूर्त रूप ले लिया। उनके 161 जन्मदिवस पूरे होने के मौके पर मेरठ से बेडन पॉवेल के रिश्तों को याद करते हैं...

बेडन पॉवेल एक ऐसे ब्रितानी फौजी थे जिन्होंने सेना की स्काउटिंग कला को आम बालक-बालिकाओं तक पहुंचाने में महती भूमिका निभाई। लखनऊ से होते हुए वे मेरठ पहुंचे तो यहां उन दिनों ड्यूक ऑफ कनॉट डिविजनल जनरल थे। रॉबर्ट बेडन की सोच में पहले से ही स्काउटिंग को आमजनों तक ले जाने और अधिक से अधिक बच्चों-युवाओं को प्रशिक्षित करने की ललक थी।

लिहाजा उन्होंने ड्यूक से ये विचार साझा किया। सेना में रहते हुए भी बेडन ने स्काउटिंग पर लगन से काम जारी रखा। 1908 में स्काउटिंग फॉर ब्वॉयज नाम से एक पुस्तक लिखी, जिसने आंदोलन को मूर्त रूप दे दिया। यह पुस्तक इतनी लोकप्रिय हुई कि उसकी 15 करोड़ प्रतियां बिक गई। 20वीं शताब्दी की यह चौथी सबसे ज्यादा बिकने वाली पुस्तक थी। 1908 के बाद स्काउट एंड गाइड की स्थापना की मांग जोर पकड़ने लगी और 1910 में यह आंदोलन साकार हो गया।

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शुरुआत में केवल लड़के इसमें शामिल हो सकते थे, लेकिन रॉबर्ट बेडन पॉवेल की बहन एग्नेस बेडन पॉवेल ने लड़कियों की खातिर बीड़ा उठाया और उसे भी साकार किया। 1913 में एनी बेसेंट ने भारत में भी स्काउट एंड गाइड की नींव रखी। रॉबर्ट ने अपनी पुस्तकों में मेरठ प्रवास को इस आंदोलन के लिए अहम पड़ाव माना है और स्पष्ट लिखा है कि यहां पर उनकी ड्यूक से हुआ परिचय ही काम आया और उनका आंदोलन विश्वव्यापी रूप में साकार हो सका।

दो बार मेरठ आए थे पॉवेल

पहली बार बेडन पॉवेल एक खिलाड़ी और शिकारी के रूप में मेरठ पहुंचे थे। 1883 में उन्होंने मेरठ में मेरठ टेंट क्लब की ओर से आयोजित कादिर कप में हिस्सा लिया था। दूसरी बार वे एक फौजी के तौर पर यहां रहे। वे ड्यूक ऑफ कनॉट के स्टाफ अफसर थे।

चर्चिल से भी यहीं हुई थी मुलाकात : बेडन पॉवेल ने अपनी आत्मकथा में कुछ शख्सियतों का जिक्र किया है जिसका उनके जीवन पर गहरा असर है। इनमें दो शख्सियतों से रू-ब-रू होने का मौका उन्हें यहीं मिला था। पहले ड्यूक ऑफ कनॉट और दूसरे विंस्टन चर्चिल। चर्चिल से उनकी मुलाकात पोलो के मैदान में हुई थी। चर्चिल भी विशेष रूप से पोलो प्रतियोगिता के लिए भेजे गए थे। तब वे सेना में कैप्टन थे।

एक परिचय

स्काउट एंड गाइड के संस्थापक बेडन पॉवेल का पूरा नाम रॉबर्ट स्टेपहेंसन स्मिथ बेडन पॉवेल है। उनका जन्म लंदन में 22 फरवरी, 1857 में हुआ था। वे ब्रितानी फौज में 1876 से 1910 तक रहे। उन्होंने चार युद्धों में भी हिस्सा लिया था। उनका निधन आठ जनवरी, 1941 को हो गया था

बेडन की यादों में मेरठ

जब मैं मेरठ में तैनात था और तब के डिवीजनल जनरल ड्यूक ऑफ कनॉट का स्टाफ अफसर था। उन दिनों का अनुभव बाद में मेरे बेहद काम आया।

(बेडन पॉवेल की पुस्तक लेशंस फ्रॉम द वर्सिटी ऑफ लाइफ के चैप्टर-5 में)

किंग एडवर्ड से मिले प्रोत्साहन को ड्यूक ऑफ कनॉट ने पूरी तरह अनुमोदित किया। वे उन शुरुआती दिनों में भी इसमें संभावनाएं देख रहे थे। उन्होंने न सिर्फ स्काउटिंग आदोलन की अध्यक्षता स्वीकारी बल्कि इसका भरपूर समर्थन किया।

(बेडन पॉवेल की पुस्तक लेशंस फ्रॉम द वर्सिटी ऑफ लाइफ के चैप्टर-10 में)

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