मेरठः मोहिउद्दीनपुर चीनी मिल का काम अधूरा, गन्ना आयुक्त को भेजी रिपोर्ट

संक्षेप:

  • कछुआ गति से चल रहा मोहिउद्दीनपुर चीनी मिल का काम
  • मिल की क्षमता वृद्धि का किया जा रहा है काम
  • 2500 की क्षमता वाली मिल को बढ़ाकर किया जाएगा 3500 टीसीडी

मेरठ- मेरठ की मोहिउद्दीनपुर चीनी मिल में विस्तारीकरण का काम ढिलमुल चल रहा है। इस चीनी मिल की स्थापना साल 1933 में हुई थी, अब यहां की मशीने और अन्य संयंत्र लगतार खराब हो रहे है। जिसके चलते 27.11 हेक्टेयर में फैली चीनी मिल की क्षमतावृद्धि का काम शुरू किया गया। 1971 में उत्तर प्रदेश राज्य चीनी निगम द्वारा अधिग्रहित मोहिउद्दीन शुगर मिल से कुल 18000 गन्ना किसान जुड़े हुए हैं।

लगातार बढ़ते दबाव के मद्देनज़र और इस साल 40 लाख क्विंटल गन्ना पेराई के अनुमान के चलते मिल की क्षमता 3500 टीसीडी करने का काम तेज़ गति के साथ शुरू किया गया, लेकिन देखते ही देखते काम की रफ्तार ऐसी धीमी पड़ी कि अब मिल का चक्का आगामी पेराई सत्र 2017-18 में तय समय के मुताबिक घूमता नज़र नहीं आ रहा है। जिसके चलते जहां पेराई में समय लगेगा तो वहीं चीनी के दामों में भी इजाफा होगा।

मिल के विस्तारीकरण का काम मैसर्स इस्जैक हैवी इंजीनियरिंग लिमिटेड की देखरेख में किया जा रहा है, लगभग 152 करोड़ की लागत से मिल की क्षमता वृद्धि का काम कछुआ गति से किया जा रहा है। इस बाबत शिकायत मिलने पर बीते सप्ताह उप गन्ना आयुक्त हरपाल सिंह ने चीनी मिल का दौरा किया और पूरे मामले की रिपोर्ट नाकर गन्ना आयुक्त संजय आर भूसरेड्डी को भेज दी।

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रिपोर्ट में साफतौर पर कहा गया है कि मिल में विस्तारीकरण के तहत किये जा रहे कार्य में अब तक चिमनी निर्माण, केन कैरियर, मिल हाऊस, बॉयलर निर्माण और गोदाम का निर्माण कार्य पूरा नहीं किया जा सका है जबकि सत्र 2017-18 की शुरूआती होने में ढाई माह से भी कम का समय बचा है।

कंपनी ने मिल के पुराने प्लांट को भी उखाड़ दिया है जिसके चलते नए सत्र पर शुरू होने से पहले ही संकट के बादल मंडराने लगे हैं। उप गन्ना आयुक्त के गहन निरीक्षण और जांच पड़ताल के बाद ये साफ कर दिया गया है कि आगामी पेराई सत्र 2017-18 18 नवंबर की बजाए दिसंबर आखिर तक ही शुरू हो सकेगा। चूंकि मिल के  इंजीनियर ने भी बॉयलर के 15 दिसंबर तक ट्रायल की बात कही है और ट्रायल में भी करीब 10 दिन का वक्त लगना तय है।

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