अब पतंगों के जरिए दिया जाएगा कोरोना से बचाव का संदेश

संक्षेप:

मकर संक्रांति के त्योहार पर आसमान रंग-बिरंगी पतंगों से रंगीन होगा। यह पतंगें कोरोना संक्रमण से बचने के दिशा-निर्देशों का पालन करने का आह्वान करेंगी।

 

मुरादाबाद। मकर संक्रांति के त्योहार पर आसमान रंग-बिरंगी पतंगों से रंगीन होगा। यह पतंगें कोरोना संक्रमण से बचने के दिशा-निर्देशों का पालन करने का आह्वान करेंगी। कारीगर पतंगों पर जागरूकता संदेशों के अलावा सैनिटाइजर और मास्क की तस्वीर बना रहे हैं। मुरादाबाद की पतंगों की दूसरे प्रदेशों में मांग बढ़ी है।


मकर संक्रांति के त्योहार पर पतंगें उड़ाने की परंपरा है। इसके लिए शहरों से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों तक में प्रतियोगिताएं होती हैं। 14 जनवरी को मकर संक्रांति का त्योहार है। ऐसे में पतंग की दुकानों पर रौनक बढ़ने लगी है। बाजार गंज और असालतपुरा में पतंगों की थोक और फुटकर की दुकानें हैं। पतंगों पर दो गज की दूरी मास्क है जरूरी, गो कोरोना गो, सैनिटाइजर का करें इस्तेमाल आदि स्लोगन लिखे आ रहे हैं। कारोबारियों का कहना है कि नववर्ष के उपहारों में कोरोना से बचाव के संदेशों का चलन काफी पसंद किया गया। अब पतंगों पर भी संक्रमण से बचाव के संदेश लिखे आ रहे हैं। दुकानों पर ग्राहक भी आने लगे हैं, हालांकि पिछले वर्ष की तुलना में व्यापार बहुत कम है। दूसरे प्रदेशों के व्यापारियों द्वारा भुगतान नहीं किए जाने की वजह से पतंगों के उत्पादन पर भी फर्क पड़ा है।

दो रुपये से लेकर ढाई सौ रुपये तक की पतंग


बाजार में दो रुपये से लेकर ढाई सौ रुपये तक की पतंगें हैं। कागज के अलावा पॉलीथिन की पतंगें भी बन रही हैं। बच्चों के लिए कई तरह के कार्टून की पतंगें हैं। पतंगों के धागे की रील प्रति पीस 20 रुपये की है।

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हमारे यहां से पतंगें जयपुर भेजी जाती थीं, लेकिन वहां के व्यापारियों ने भुगतान न करने के लिए पतंगें कम होने का बहाना बना दिया। इसलिए इस बार पतंगों से ज्यादा धागे का काम है। पतंगें मुरादाबाद में ही फुटकर में बेची जाएंगी।

कलकत्ता, बंगलूरू, मुंबई, जयपुर आदि स्थानों से ऑर्डर आ रहे हैं। छह महीने पहले दुबई पतंगें भेजी थीं। विभिन्न डिजाइनों की पतंगें हैं। मेरे पिता के हुनर को बढ़ावा देने के लिए वर्ष 2002 में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने सम्मानित किया था।

 



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