बसपा ने दौड़ाई सोशल इंजीनियरिंग की ट्रेन, मायावती ने दंगों का जिक्र कर जाट-मुस्लिम और दलित एकजुटता का खेला दांव

संजीव तोमर, मुजफ्फरनगर।

(Lok Sabha Election 2024) बसपा ने एक बार फिर राजनीतिक ट्रैक पर सोशल इंजीनियरिंग की ट्रेन दौड़ाई।

मुजफ्फरनगर की जनसभा से खुद बसपा सुप्रीमो मायावती ने टिकटों के बंटवारे में अपनाए इसी फार्मूले को समझाया।

मायावती का जोर जाट-मुस्लिम और दलित वोटरों को इकट्ठा करने पर रहा, क्योंकि वर्ष 2007 के विधानसभा चुनाव और 2009 के लोकसभा चुनाव में बसपा ने ऐसा ही कर पार्टी को मजबूत किया था।

उन्होंने कहा कि मुजफ्फरनगर से मुस्लिम ही प्रत्याशी उतारना चाहते थे, लेकिन वर्तमान परिवेश में उन्हें बहुत डराया हुआ है।

रविवार को जीआइसी के खेल मैदान पर जनसभा में वैसे तो बसपा सुप्रीमो मायावती के निशाने पर कांग्रेस, भाजपा और सपा रही, लेकिन शुरुआत से लेकर भाषण के अंत तक जाट और मुस्लिम मतदाताओं पर डोरे डालती नजर आईं। अफवाह फैलाने का लगाया आरोप यह भी कहा कि जब बसपा का जनाधार बढ़ाने का प्रयास हुआ, तो अफवाह फैलाई गई कि बसपा उच्च वर्ग और जाटों के खिलाफ है, जबकि प्रदेश में चार बार बसपा की सरकार में किसानों के हित में अनेक कार्य किए। उन्होंने कहा कि विपक्षी दलों के घोषणा पत्र के प्रलोभन में मत आना।

बसपा घोषणा पत्र जारी नहीं करती, बल्कि कार्य करने में विश्वास रखती है।

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