भारत के इकलौते सामाजिक कार्यकर्ता ने कोरोना के बारे में WHO को पहले ही किया था आगाह

संक्षेप:

अजय कुमार ने कोरोना को बताया था मानव-जाति का दुश्मन

इकलौता भारतीय जिसने कोरोना पर WHO को किया था आगाह

WHO ने भी अजय कुमार के लेटर पर लिया था एक्शन

सामाजिक कार्यकर्ता अजय कुमार पिछले कई सालों से समाज की सेवा कर रहे हैं... और 10 सालों से इस प्रयास में है कि स्वास्थ्य को मौलिक अधिकार में शामिल करना चाहिए.. इसके लिए अजय कुमार बड़े स्तर पर अभियान भी चला रहे हैं... लेकिन इस सबके बीच अजय कुमार ने एक सराहनीय और बेहतरीन काम किया है वो ये कि आज जो पूरा विश्व कोरोना जैसी महामारी से जूझ रहा है वहीं इसकी जानकारी अजय कुमार ने WHO को पहले ही एक लेटर के जरिए दे दी थी... जिसके बाद WHO एक्शन में आ गया...  WHO के अधिकारियों ने अजय कुमार के लेटर को गंभीरता से लेते हुए वैज्ञानिकों के साथ बैठक बुलाई और इस बात को माना कि वाकई कोरोना मानव जाति के लिए परमाणु हमले से भी घातक है... इतना ही नहीं WHO ने स्‍वास्‍थ्‍य को मौलिक अधिकार बनाने का जो ट्वीट अब किया है, अजय कुमार पिछले एक दशक से भारत में इसको लेकर अभियान चला रहे हैं... जिसके समर्थन में करीब 80 से ज्यादा सांसदों ने सराहना पत्र तक लिख दिया है...

अब आपको बताते हैं कि अजय कुमार ने कब WHO को इस बारे में जानकारी दी और कब WHO हरकत में आया... 5 फरवरी को अजय कुमार ने WHO के डायरेक्‍टर डॉ. टेड्रोस को लेटर लिखकर ये आगाह किया था WHO कोरोना वायरस पर गंभीरता दिखाए... ये इंसानों के लिए परमाणु या किसी रसायनिक युद्ध से कम नहीं है.. क्योंकि इसके परिणाम युद्ध से ज्यादा खतरनाक साबित होंगे... इससे पूरी मानवजाति का विनाश हो सकता है... साथ ही WHO को विश्‍व स्‍तर पर अपने प्रयास तेज करने चाहिए और तुरंत आवश्‍यक कार्रवाई करनी चाहिए....

जिसके बाद 11 फरवरी को WHO के डायरेक्‍टर डॉ. टेड्रोस ने कोरोना वायरस को इंसान का सबसे खतरनाक दुश्मन बताया.. साथ ही इसकी तुलना आतंकवाद से की और कहा कि ये आतंकवादी घटना से भी ज्यादा डरावना है.. जो कि अजय कुमार अपने लेटर में ये पहले ही बता चुके थे..

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14 फरवरी को WHO के डायरेक्‍टर डॉ. टेड्रोस ने अजय कुमार के ट्वीट को रिट्वीट भी किया, जिसमें अजय कुमार ने कोरोना वायरस को सबका दुश्‍मन बताया था और इसके सामाजिक राजनीतिक आर्थिक प्रभावों की चर्चा की थी... साथ ही सभी से साथ आकर इससे लड़ने की अपील की..

15 फरवरी को WHO ट्वीट कर कहा कि Health Is Human Right Not A Luxury. साथ ही WHO ने अपने ट्वीट में भी कहा कि विश्‍व के सभी देशों को प्राथमिक स्‍वास्‍थ की देखरेख पर ज्यादा खर्च करना चाहिए... हैरानी की बात है कि इसी बात के लिए अजय कुमार पिछले 10 साल से भारत में अभियान चला रहे हैं और स्‍वास्‍थ्‍य को मौलिक अधिकार का दर्जा दिए जाने की मांग कर रहे हैं... साथ ही सरकारों से देश की प्राथमिक स्‍वास्‍थ्‍य व्‍यवस्‍था में सुधार की मांग कर रहे हैं... उनके इस अभियान को WHO के डायरेक्‍टर डॉ.टेड्रोस भी लाइक कर चुके हैं...

आपको बता दें कि बिहार के एक छोटे से गांव से ताल्लुक रखने वाले अजय कुमार की मानें तो स्‍वास्‍थ्‍य आम आदमी के लिए बहुत बडा मुददा है, क्‍योंकि उन्‍होंने स्‍वास्‍थ्‍य की वजह से कई परिवारों की अच्‍छी खासी जिंदगी बर्बाद होते देखा है, इसलिए उनकी कोशिश है कि स्‍वास्‍थ्‍य को मौलिक अधिकार का दर्जा मिले, ताकि आने वाले समय में अस्‍पतालों में आम जनमानस को बेहतर स्‍वास्‍थ्‍य सेवाएं मुहैया हो सकें... अजय कुमार का कहना है कि जब तक स्‍वास्‍थ्‍य को मौलिक अधिकार का दर्जा नहीं मिल जाता तब तक उनका अभियान जारी रहेगा...

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