रोहिंग्याओं का दस्तावेज बनाने वाले लोगों पर नकेल कसेगी पुलिस

संक्षेप:

  • रोहिंग्या मुस्लमानों को लेकर यूपी पुलिस करेगी सख्ती
  • दस्तावेज बनाने वालों पर कसेगी नकेल
  • कई रोहिंग्या बिना दस्तावेज के रह रहे हैं

अलीगढ़- देश में रोहिंग्या मुस्लिमों की जांच के क्रम में शहर में करीब एक दशक से रह रहे रोहिग्याओं का सत्यापन जारी है। पुलिस व एलआईयू स्तर से इनकी गोपनीय जांच में एक ऐसा तथ्य उजागर हो रहा है, जो सभी को हैरान कर रहा है। वर्क परमिट के आधार पर यहां रहने वाले रोहिंग्याओं के पास स्थानीय दस्तावेज होने के साक्ष्य मिल रहे हैं। इस तथ्य को एसएसपी ने गंभीरता से लेते हुए तय किया है कि इसे बनवाने की संस्तुति करने वाले से लेकर बनाने वाले तक पर शिकंजा कसा जाएगा।

पिछले दिनों फर्जी दस्तावेजों के आधार पर रहने के आरोप में दो रोहिंग्या यहां से पकड़े गए थे। उन पर महिला व सोना तस्करी तक के आरोप थे। इसी कड़ी मेरठ-बुलंदशहर से भी तीन अन्य रोहिंग्या पकड़े थे। वह फर्जी दस्तावेज बनवाने से लेकर सोना व महिला तस्करी के धंधे का मुख्य रैकेट था। उन सभी से रिमांड के दौरान हुई पूछताछ के बाद जो इनपुट सामने आए थे, उन्हें जिला पुलिस को अवगत कराया गया। इसी कड़ी में एसएसपी कलानिधि नैथानी द्वारा पुलिस व एलआईयू के जरिये संयुक्त रूप से गोपनीय सत्यापन कराया जा रहा है। इस सत्यापन में देखा जा रहा है कि कौन बिना पासपोर्ट के हैं और कौन बिना वर्क परमिट वाले हैं। अब तक की जांच में साफ हुआ है कि कोतवाली क्षेत्र में 50 करीब रोहिंग्या मुस्लिम ऐसे हैं, जो बंगलादेश के रास्ते भारत आए हैं। इनके पास वर्क परमिट हैं। इसी आधार पर ये रह रहे हैं। इन सभी का डाटा ऑनलाइन कराया जा रहा है। अभी गोपनीय ढंग से जांच जारी है कि कहीं कोई छिपा हुआ तो नहीं है।

इसी गोपनीय जांच में कुछ लोग ऐसे भी मिले हैं, जिनके विषय में स्थानीय लोगों ने पुलिस को सच बताया है। वह खुद किसी कार्रवाई के झमेले से बचने के लिए पुलिस को इस बात की मुखबिरी दे रहे हैं कि कुछ लोग ऐसे हैं, जिनमें से किसी ने आधार कार्ड या राशन कार्ड बनवा लिए हैं। कुछ के तो वोटर लिस्ट तक में नाम चढ़ गए हैं। इन लोगों के पास वर्क परमिट भी हैं। ये सब पुलिस व एजेंसियों से बचने के वक्त स्थानीय दस्तावेज दिखाकर यह जताने की कोशिश करते हैं कि वे रोहिंग्या नहीं हैं। स्थानीय लोग हैं।

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