अमेठी में जो गांधी परिवार भी नहीं कर सका वो स्मृति ईरानी ने कर दिखाया

संक्षेप:

स्मृति ने अमेठी शहर से करीब 3 किलोमीटर दूर टेकरिया-मेदन मवई गांव की सड़क पर करीब साढ़े 10 बिस्वा जमीन खरीदी है। इस जमीन की रजिस्ट्री का काम सोमवार को हुआ, जिसके लिए स्मृति खुद दिल्ली से अमेठी पहुंचीं।

अमेठी: कुछ साल पहले तक गांधी परिवार का गढ़ कहे जाने वाले अमेठी में अब स्मृति ईरानी ने सेंध लगा दी है। यहां से सांसद स्मृति ईरानी ने अपना आवास बनाया है। स्मृति का स्थानीय आवास भले ही उनका कैंप कार्यालय बनकर रहने वाला है, लेकिन इस आवास ने उनकी सियासी जमीन को अमेठी की राजनीति में और मजबूत कर डाला है।

स्मृति का नया घर उनके उस चुनावी वादे की बुनियाद पर बनने जा रहा है, जिसमें उन्होंने कहा था कि अमेठी अब रिमोट से नहीं चलेगी। 2019 के चुनाव के दौरान अमेठी में स्मृति ईरानी ने कहा था कि अमेठी में जो भी नेता गांधी परिवार की ओर से सांसद बने, उन्होंने अमेठी को सिर्फ एक टूरिज्म डेस्टिनेशन की तरह ही समझा। स्मृति ने कहा था कि अमेठी को दिल्ली के रिमोट से चलाने की कोशिश होती रही है, लेकिन 2019 में अगर वो अमेठी की सांसद बनती हैं तो वह यहां पर अपना घर बनाएंगी, जिससे कि वह यहां के लोगों के बीच ही रह सकें। चुनाव के करीब पौने दो साल के बाद अब स्मृति का ये वादा जमीन पर उतर गया है। स्मृति ने अमेठी में अपने आवास के लिए जमीन की रजिस्ट्री करा ली है और जल्द ही उनके घर का निर्माण कार्य भी शुरू होने जा रहा है।

स्मृति ने अमेठी शहर से करीब 3 किलोमीटर दूर टेकरिया-मेदन मवई गांव की सड़क पर करीब साढ़े 10 बिस्वा जमीन खरीदी है। इस जमीन की रजिस्ट्री का काम सोमवार को हुआ, जिसके लिए स्मृति खुद दिल्ली से अमेठी पहुंचीं। दोपहर करीब बारह बजे स्मृति ने यहां के जिलाधिकारी कार्यालय में जमीन की रजिस्ट्री का काम पूरा कराया। जमीन की मालकिन रहीं फूलमती के बेटे ने कहा कि स्मृति का आवास बन जाने के बाद इस इलाके का विकास होगा।

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स्मृति का यह नया आवास किस रूप में बनेगा यह तो अभी तय किया जाना है, लेकिन स्थानीय प्रतिनिधियों के मुताबिक स्मृति हर महीने इस घर में अमेठी के आम लोगों की समस्याओं को सुनने के लिए यहां मौजूद रहेंगी। इसके अलावा संसदीय क्षेत्र के सभी विकास कार्यों के लिए यहां एक पूरी टीम को भी बैठाया जाएगा। अब तक अमेठी में राहुल गांधी के सांसद रहते उनके स्थानीय प्रतिनिधियों के माध्यम से ही जनसमस्याओं का निराकरण हो पाता था, लेकिन स्मृति ने यहां पर अपना घर बनवाकर स्थानीय बनाम बाहरी का एक नया समीकरण बनाने की कोशिश की है।

अगर अमेठी संसदीय सीट का इतिहास देखें तो करीब 4 दशकों तक यह इलाका गांधी परिवार का सबसे बड़ा गढ़ रहा है। 1980 में यहां से पहली बार कांग्रेस के फायरब्रांड नेता और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के बेटे संजय गांधी चुनाव जीते थे। इसके बाद इस सीट पर 1981 के उपचुनाव में राजीव गांधी को जीत मिली।

राजीव ने यहां पर संजय गांधी के निधन के बाद चुनाव लड़ा था। वह 1984, 1989 और 1991 में भी यहां से सांसद बने। इसके बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सतीश शर्मा यहां से सांसद बने। 1998 में एक बार यहां पर बीजेपी की ओर से संजय सिन्हा को सांसद चुना गया था। हालांकि 1999 में फिर से कांग्रेस ने इस सीट पर कब्जा किया और सोनिया गांधी यहां से सांसद बनीं। इसके बाद साल 2004 से 2019 तक राहुल गांधी यहां सांसद रहे।

हालांकि अपने कार्यकाल के दौरान कांग्रेस नेता राहुल गांधी की उदासीनता और स्मृति ईरानी के ताबड़तोड़ प्रचार के बीच 2019 में स्मृति इस किले को भेदकर यहां से सांसद बन गईं। इस चुनाव में स्मृति के चुनाव का मुख्य मुद्दा अमेठी के लोगों को रेड टेप की राजनीति से मुक्त कराना था। स्मृति पूरे चुनाव यह प्रचार करती रहीं कि अमेठी के सांसद राहुल गांधी यहां के लोगों के बीच नहीं रहते और इसका असर भी हुआ कि राहुल को यहां से चुनाव हारना पड़ा।

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