फूलपुर लोकसभा उपचुनाव: सपा और बीजेपी के 'पटेल' ने मुकाबले को बनाया दिलचस्प

संक्षेप:

  • फूलपुर लोकसभा उपचुनाव
  • बीजेपी ने कौशलेंद्र सिंह पटेल को बनाया उम्मीदवार
  • मुकाबला हुआ दिलचस्प

इलाहाबाद: फूलपुर और गोरखपुर लोकसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव के लिए कांग्रेस,बीजेपी और सपा ने अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है, जिसके बाद चुनावी गहमागहमी भी शुरू हो गई है.

फूलपुर लोकसभा उपचुनाव में बीजेपी ने कौशलेंद्र सिंह पटेल को प्रत्याशी बनाकर मुकाबला दिलचस्प बना दिया है. इस सीट पर समाजवादी पार्टी ने भी पटेल बिरादरी के नागेंद्र सिंह को उम्मीदवार बनाया है.

जातिगत समीकरण की बात करें तो यहां पटेल मतदाता हमेशा से ही निर्णायक भूमिका अदा करते रहे हैं. ऐसे में पटेल मतदाता अगर बंटते हैं तो मुकाबला चौंकाने वाला भी आ सकता है. कारण ये है कि पटेल के साथ  मुस्लिम, कायस्थ और ब्राह्मण वोटबैंक का भी इस सीट पर अच्छा रसूख रहा है.

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फूलपुर सीट पर मुस्लिम, पटेल और कायस्थ बिरादगी के सबसे ज्यादा वोटर हैं. इसके बाद ब्राह्मण और अनुसूचित जाति के वोटों का नंबर आता है. फूलपुर संसदीय क्षेत्र में सबसे ज्यादा पटेल मतदाता हैं. यहां इनकी संख्या करीब सवा दो लाख हैं. मुस्लिम, यादव और कायस्थ मतदाताओं की संख्या भी इसी के आसपास है. लगभग डेढ़ लाख ब्राह्मण और एक लाख से अधिक अनुसूचित जाति के मतदाता हैं.

समाजवादी पार्टी से नागेंद्र प्रताप सिंह पटेल और अब बीजेपी से कौशलेंद्र सिंह पटेल के प्रत्याशी घोषित होने के बाद फूलुपर लोकसभा सीट पर मुकाबला दिलचस्प हो गया है. दोनों ही पार्टियों ने अपने प्रत्याशियों के माध्यम से पटेल वोटों पर सीधा निशाना साधा है.

दरअसल फूलपुर में जातीय समीकरण के कारण ये मुकाबला दिलचस्प होगा.  फूलपुर में शहर उत्तरी और शहर पश्चिमी विधानसभा सीटें जुड़ने के बाद यहां मुस्लिम, पटेल और कायस्थ बिरादगी के सबसे अधिक वोट हो गए हैं. इसके बाद ब्राह्मण और अनुसूचित जाति वोट आते हैं.  फूलपुर संसदीय क्षेत्र में सबसे ज्यादा पटेल मतदाता हैं. यहां इनकी संख्या करीब सवा दो लाख है. मुस्लिम, यादव और कायस्थ मतदाताओं की संख्या भी इसी के आसपास हैं. लगभग डेढ़ लाख ब्राह्मण और एक लाख से अधिक अनुसूचित जाति के मतदाता हैं.

बीजेपी के लिए सबसे फायदेमंद बात ये है कि उसका अपना दल सोनेलाल पार्टी से गठबंधन है. कभी सोने लाल पटेल ने यहां से चुनाव लड़ा था. उन्हें पटेलों का अच्छा समर्थन भी मिला.  सपा के लिए यहां मुस्लिम वोट बंटवारे को रोकना एक बड़ी चुनौती होगी. क्योंकि कांग्रेस ने भी मनीष मिश्रा को प्रत्याशी के रूप में उतारा है. लोकसभा चुनावों के दौरान मुस्लिम मतदाताओं में कांग्रेस पर सपा से ज्यादा विश्वास जताने का ट्रेंड रहा है.

कौन हैं कौशलेंद्र सिंह पटेल 

कौशलेंद्र सिंह का जन्म 1 जुलाई 1974 को हुआ. वह कई वर्षों से बीजेपी संगठन से जुड़े रहे हैं. 2006 में पार्टी ने उन्हें वाराणसी मेयर प्रत्याशी के तौर पर पेश​ किया और उन्होंने जीत हासिल की. 2012 तक उन्होंने इस पद पर सेवाएं दीं. पेशे से बिजनेसमैन कौशलेंद्र सिंह ने बीएचयू से कॉमर्स में मास्टर्स डिग्री हासिल की है.
 

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