निदा खान को दिए गए तीन तलाक़ को बरेली जिला कोर्ट ने किया खारिज, चलेगा घरेलू हिंसा का केस

संक्षेप:

  • निदा खान को हासिल हुई बड़ी जीत
  • तीन तलाक को किया खारिज
  • शीरान पर चलेगा घरेलू हंसा का मामला

बरेली: देश भर में पिछले कई सालों से तीन तलाक को लेकर बहस चल रही है और बैन करने की मांग भी उठ रही है। हालांकि तीन तलाक़ और हलाला पर अभी कानून नहीं बना है, सरकार इसी संसदीय सत्र में कानून बनाना चाहती है.

लेकिन बरेली के जिला कोर्ट से निदा खान को बड़ी जीत हासिल हुई है. अदालत ने तीन तलाक को खारिज कर दिया है और उसके पति पर घरेलू हिंसा का मुकदमा चलाने के आदेश दिए हैं. 

निदा प्रकरण में अदालत ने जो फ़ैसला सुनाया है वो धर्म के ठेकेदारों के मुंह पर करारा तमाचा है. निदा आला हजरत खानदान की बहू हैं और उन्हें शादी के कुछ समय बाद ही दहेज के लिए प्रताड़ित किया जाने लगा और मांग पूरी नहीं होने पर उन्हें 3 बार तलाक़, तलाक़, तलाक़ कहकर घर से मारपीट कर निकाल दिया गया.

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लेकिन निदा डरी नहीं और उसने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया जहां से उसे पहली जीत हासिल हुई है. निदा के पति शीरान रजा खां के खिलाफ घरेलू हिंसा का केस दायर किया था. जिसमें निदा के पति शीरान ने कोर्ट में ये कहा था कि उन्होंने निदा को तलाक़ दे दिया है इसलिए उन पर कोई केस नहीं बनता है. एसीजेएम प्रथम की अदालत ने मंगलवार को शीरान की अर्जी को खारिज कर दिया.

अदालत ने अपने फैसले में 3 तलाक़ को अमान्य कर दिया. अदालत ने सुप्रीम कोर्ट की नजीर देते हुए कहा कि कानून में हिन्दू महिला और मुस्लिम महिला में फर्क नहीं किया गया है. घरेलू हिंसा को धर्म के आधार पर नहीं देखना चाहिए. अदालत ने शीरान की आपत्ति को खारिज करते हुए उस पर घरेलू हिंसा का केस चलाने की आदेश जारी कर दिया.

धर्म के ठेकेदारों ने तो निदा की आवाज को दबाने की पूरी कोशिश की. निदा ने जब अपने साथ साथ अपने जैसी तमाम 3 तलाक़, हलाला और बहुविवाह से पीड़ित महिलाओं की आवाज बुलंद की, उनका साथ दिया तो धर्मगुरुओं की दुकानें चलना बन्द हो गई.

ये उन लोगों को नागवार गुजरा तो उन्होंने निदा के खिलाफ फतवा जारी कर दिया. निदा को इस्लाम से खारिज कर दिया गया. निदा का हुक्का पानी तक बन्द कर दिया गया. यहां तक कहा गया कि निदा से मिलने जुलने वाले भी इस्लाम से खारिज हो जायेंगे.

फतवे में कहा गया कि निदा के बीमार पड़ने पर कोई उसे दवा नहीं देगा, उसके मरने पर उसे कब्रिस्तान में दफनाया नहीं जाएगा. उसके जनाजे में कोई शामिल नहीं होगा. निदा के खिलाफ जब इस तरह का फतवा जारी हुआ तो वो डरी नहीं बल्कि उसकी ताकत और बढ़ गई. उसने कहा कि वो ऐसे लोगो के खिलाफ झुकने वाली नहीं.

निदा ने कहा कि इस्लाम किसी का ट्रेडमार्क नही, किसी का कॉपीराइट नहीं, ये किसी दुकान पर बिकने वाली चीज नही जो कोई भी खरीद लाये. उन्होंने कहा इन्हें फतवा देने का अधिकार किसने दे दिया. जब सुप्रीम कोर्ट 2005 में फतवों को अवैध घोसित कर चुका है तो ये तो कोर्ट की अवेहलना है. निदा ने कहा ऐसे लोग पाकिस्तान चले जाएं. ये लोकतांत्रिक देश है यहां दो अदालतें नहीं चलेंगी.

कौन हैं निदा खान ?

बारादरी के पुराना शहर के मुहल्ला शाहदाना निवासी निदा खान की शादी 16 जुलाई 2015 को आला हजरत खानदान के उसमान रजा खां उर्फ अंजुम मियां के बेटे शीरान रजा खां से हुई थी. अंजुम मियां आल इंडिया इत्तेहादे मिल्लत काउंसिल के मुखिया मौलाना तौकीर रजा खां के सगे भाई हैं. निदा का कहना है कि शादी के बाद से ही उसके साथ मारपीट की गई जिससे उसका गर्भपात हो गया. शौहर शीरान रजा खां ने 5 फरवरी 2016 को 3 तलाक़ देकर घर से निकाल दिया.

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