शिया-सुन्नी मुसलमानों ने जुमे की अलविदा नमाज अदा कर मांगी अमन-चैन की दुआ

संक्षेप:

  • आसपास के ग्रावों से हजारों नमाजी आए
  • इस दौरान सुरक्षा के कड़े इंतजामात रहे
  • रोजेदारों के लिए ईद खुदा का तोहफा

बरेलीः रमजान के पाक माह के अंतिम जुमे पर हजारों रोजेदारों ने अलविदा की नमाज अदा की। शिया, बरेलवी और देवबंद मसलक से जुड़े मुसलमानों ने अलविदा की नमाज अपनी अपनी मसजिदों पर अदा की गई। नमाज अदा करने बरेली और आसपास के ग्रामीण अंचलों से हजारों नमाजी आए। मुल्क में अमन चैन कायम रहे इसके लिए मस्जिदों से दुआ की गई। बरेलवी सुन्नी जामा मस्जिद में मुफ्ती खुर्शीद आलम ने नमाज अदा कराई और मुस्लिम समाज को नमाज में रमजान से सबंधित बारीकियां बताई। इस दौरान सुरक्षा के कड़े इंतजामात रहे।

रमजान से मुताल्लिक उलेमा ने रोशनी डाली गई। उन्होंने कहा कि रमजान में रोजा न रखना बहुत बड़ा गुनाह है। रोजे की अहमियत इसलिए और अधिक है कि इसमें गरीब अमीर एक समान बराबर है और सबके लिए एक ही रास्ता बताया गया है। अमीर मुस्लिम रोजा रखकर भूख की सिद्दत को जान सकें और किसी गरीब की अहमियत को पहचान सकें।

रोजेदारों के लिए ईद खुदा का तोहफा

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मस्जिदों के इमामों ने बताया कि ये जुमा अलविदा इसलिए कहा जाता है कि ये रमजान का आखिरी जुमा होता है। जुमे के बाद रमजान का महीना पूरा हो जाता है। उसकेे बाद ईद मनाई जाती है। उन्होंने बताया गया कि अल्लाह ताला ने रमजान के इनाम के बदले में ये तोहफा दिया है। जिसमें घर में बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक हर किसी के शरीर पर नया लिबास होता है। ईद की अ​हमियत रोजदार के लिए है। रोजेदार गर्मी के महीने में भूख प्यासा रहकर गर्मी में रोजे रखता है, उसके बाद ईद का चांद देखकर ईद मनाता है।

शाम को देखेंगे ईद का चांद

रमजान के महीने में जुमा अलविदा के बाद शुक्रवार की शाम को तमाम मुसलमान ईद का चांद देखेंगे। इसके बाद बरेलवी मसलक के मुसलमान चांद की शहादत दरगाह आला हजरत स्थित दारुल इफ्ता में देंगे। चांद की शाहदत मिलने के बाद एलान किया जाएगा। वही शिया और देवबंद मसलक के मुसलमानों ने 16 जून यानी शनिवार को ईद मनाने का ऐलान कर दिया है। हलाकि देवबंद मुसलमान शाम को ईद का चांद देखने के बाद ऐलान करेंगे।

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