मुश्किल में पड़े बद्रीनाथ धाम को बदरुद्दीन बताने वाले मौलाना

संक्षेप:

  • बद्रीनाथ को बदरुद्दीन कहने का मामला
  • मैलाना की बढ़ सकती हैं मुश्किलें
  • बीजेपी नेता ने दी मौलवी के खिलाफ तहरीर

 

देहरादून: बद्रीनाथ पर शुरू हुआ विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। अब बद्रीनाथ को बदरुद्दीन का ठिकाना कहने वाले दारुल उलूम के मौलवी मौलाना अब्दुल लतीफ कासमी की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। मौलवी ने दो दिन पहले यह बयान दिया था कि चारों धामों में से एक बाबा बद्रीनाथ के धाम में विष्णु नहीं बल्कि मुस्लिमों के धर्मगुरु बदरुद्दीन का डेरा था।

देहरादून में मौलाना अब्दुल लतीफ कासमी पर मुकदमे की कार्रवाई शुरू कर दी गयी है। आज बीजेपी नेता मो0 शमीम आलम और सामाजिक कार्यकर्ता डॉ विनोद मित्तल मौलाना के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाने के लिए देहरादून कोतवाली पहुंचे। यहां उन्होंने बदरीनाथ पर मुस्लिमों का दावा ठोकने वाले मौलवी के खिलाफ तहरीर दी।

शिकायत में कहा गया कि मौलवी के इस बयान से सामाजिक सौहार्द बिगड़ने की आशंका पैदा हुई है। इसके साथ ही मौलवी पर राजद्रोह की धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया जाए। शिकायत के बाद पुलिस ने जांच का आश्वासन दिया है और कहा है कि मामला सही पाए जाने पर ही केस दर्ज किया जाएगा।

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बयान देने वाले मौलाना अब्दुल लतीफ कासमी

दरअसल, उत्तराखंड रक्षा अभियान दल ने बद्रीनाथ सहित जोशीमठ में तीर्थाटन वाले सभी धार्मिक स्थलों से शराब व मांस की दुकानें हटाने की मांग की थी। साथ ही कहा था कि जो भी धर्म विशेष के लोग जोशीमठ से ऊपर बदरीनाथ आयेंगे, उन्हें गौमूत्र और गंगाजल पीना पड़ेगा।

धाम में हिंदू संगठन द्वारा दिये गये इस बयान के बाद सहारनपुर के दारुल उलूम के मोहतमिम मौलाना अब्दुल लतीफ ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि बद्रीनाथ धाम बदरुद्दीन है और इसे बद्रीनाथ धाम बनाया गया है। बद्रीनाथ धाम को मुसलमानों को दिया जाना चाहिये। जिसके बाद से बदरीनाथ धाम के पीठ पुरोहितों का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया था।

उधर, संगठन के गौ मूत्र और गंगाजल वाली बात का बचाव करते हुए पीठ पुरोहित ऋषि प्रसाद सती ने कहना है कि बदरीनाथ धाम हिंदुओं की आस्था का केंद्र है, यहां जो भी श्रद्धा से आये उसका स्वागत है, लेकिन बद्रीनाथ को बदरुद्दीन कहना बहुत गलत है। क्षेत्र के विधायक महेंद्र भट्ट ने भी अब्दुल लतीफ के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि जब लोग अपना मानसिक संतुलन खो बैठते है तो कुछ भी बोलने लगते है। उधर, अखाड़ा परिषद के पूर्व प्रवक्ता बाबा हठयोगी ने कहा है कि कुछ मौलवियों को अधूरा ज्ञान है। इसलिए उन्हें अपना ज्ञान बढ़ाते हुए ये देखना चाहिए कि इस्लाम धर्म कब अस्तित्व में आया और सनातन धर्म का इतिहास कितना पुराना है।

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