भाजपा के पूर्व केंद्रीय राज्यमंत्री बची सिंह रावत के निधन पर सीएम रावत ने कुछ ऐसा कहा है कि आंखें भराई

संक्षेप:

  • पूर्व केंद्रीय राज्यमंत्री बची सिंह रावत का निधन।
  • रविवार रात करीब 8:45 बजे उनका निधन हुआ।
  • कोरोना पॉजिटिव के कारण उनकी हालत बेहद गंभीर थी।
  • ऋषिकेश एम्स में थे भर्ती।

 

देहरादून। प्रदेश में लगातार बढ़ रहे कोरोना के मामले। इसी बीच एक बेहद दुखद घटना सामने आई। भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय राज्यमंत्री बची सिंह रावत अब हमारे बीच नहीं रहे। पिछले कुछ दिनों से ही कोरोना पॉजिटिव के कारण उनकी हालत बेहद गंभीर थी। जिसके चलते फेफड़ों में इन्फेक्शन बढ़ गया था। जो एक बेहद चिंताजनक बात थी। बीते शनिवार उन्हें एयरलिफ्ट कर हल्द्वानी से ऋषिकेश एम्स में भर्ती कराया गया था। एम्स निदेशक प्रोफेसर रविकांत ने बताया कि फेफड़ों से संबंधित दिक्कत के चलते बची सिंह को एम्स लाया गया था। उन्हें सांस लेने में दिक्कत हो रही थी। पर इलाज के दौरान ही रविवार रात करीब 8:45 बजे उनका निधन हो गया।

बचदा जनांदोलन और राजनीति के थे बड़े हस्ताक्षर: सीएम तीरथ सिंह रावत

पूर्व केंद्रीय मंत्री और कई बार के सांसद बची सिंह रावत के निधन पर मुख्यमंत्री तीरथ रावत समेत भाजपा नेताओं ने गहरा शोक जताया। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रभु दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें,उन्होंने कहा कि वे जनांदोलन और राजनीति के बड़े हस्ताक्षर क्षेत्र। इसके अलावा पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने भाजपा के वरिष्ठ नेता व पूर्व केंद्रीय राज्यमंत्री बच्ची सिंह रावत के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है। कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी व भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक ने उनके निधन पर गहरा दुख जताया। इसे अपूर्णीय क्षति बताया है। 

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बची सिंह के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बातें 

बची सिंह का जन्म एक अगस्त 1949 को रानीखेत के पास थापला गांव में हुआ। उन्होंने लखनऊ विवि से लॉ की डिग्री ली और रानीखेत कोर्ट में प्रैक्टिस करने लगे। यूपी में वे दो बार विधायक रहे। बाद में चार बार सांसद और दो बार केंद्र में राज्यमंत्री रहे। 2007 से 2009 तक वे उत्तराखंड भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भी रहे। हालांकि अलग उत्तराखंड बनने के बाद उन्होंने कोई विधानसभा चुनाव नहीं लड़ा। 2014 में उन्होंने भाजपा से इस्तीफा दे दिया था लेकिन बाद में वापस पार्टी में आ गए। इसके अलावा उनका अल्मोड़ा-पिथौरागढ़ से उनका गहरा नाता रहा। यही कारण रहा है उन्होंने तीन बार कांग्रेस के दिग्गज नेता हरीश रावत व एक बार उनकी पत्नी रेणुका रावत को लोक सभा चुनाव में मात दी थी। उप्र के दौर में रानीखेत के विधायक के तौर पर उन्होंने राजनीतिक करियर की शुरुआत की थी। डीएसबी नैनीताल से एमए करने के बाद लखनऊ से एलएलबी की। 

 

 


 

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