रावत सरकार का एक साल: कामों से कम अपने बयानों से चर्चा में रहे शिक्षा मंत्री

संक्षेप:

  • रावत सरकार का एक साल
  • शिक्षा मंत्री के बयानों ने बटोरी सुर्खियां
  • विपक्ष साधते रहे सरकार पर निशाना

देहरादून: उत्तराखंड की रावत सरकार को एक साल पूरे हो चुके हैं। जिसका बीजेपी ने जश्न भी मनाया। इस एक साल में उत्तराखंड के शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय कामों को लेकर कम अपने बयानों को लेकर ज्यादा चर्चा में रहें।

शपथ लेने के चंद दिनों बाद से अबतक अरविंद पांडे अपने बयानों के लिए ना केवल सुर्खियों में रहते हैं बल्कि विपक्ष भी उनकी वजह से सरकार पर हावी होता रहता है। त्रिवेंद्र सरकार बनने के बाद तमाम कैबिनेट मंत्रियों ने शपथ ली थी लेकिन विपक्ष ने जिस मंत्री पर सबसे पहला निशाना साधा था वह अरविंद पांडे ही थे।

अरविंद पांडे सबसे पहले तब सुर्खियों में आये जब उनके ऊपर विपक्ष ने हत्यारा होने का आरोप लगाया। विपक्ष ने कहा कैबिनेट में अरविंद पांडे को जगह देना सही नहीं है क्योंकि उनपर हत्या सहित तमाम धाराओं में मुकदमे दर्ज हैं। उस दिन से लेकर आजतक अरविंद पांडे और उनका शिक्षा और खेल मंत्रालय तीनों ही विवादों में रहें हैं।

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समय बीता महीने बीते और मंत्री अपने बयान से भी काफी चर्चा में रहे जिसमें पहला बयान था कि राज्य के स्कूलों की हालत बेहद खराब है और इस बात को वो भी मानते हैं। अरविंद पांडे ने पत्रकारों के सवाल पर साफ यह कह दिया था कि वह कोई शक्तिमान नहीं हैं, जो सब चीजें जल्दी से जल्दी ठीक कर लेंगे। इसपर अरविंद पांडे कई दिनों तक ना केवल खबरों में बने रहे बल्कि विपक्ष ने भी यह कहकर खूब तंज कसा की मंत्री महोदय ने पहले ही हथियार डाल दिए हैं।

इसके बाद शिक्षा विभाग में ड्रेस कोड लागू करने का फैसला सुर्खियों में आया। मंत्री जी ने फरमान जारी किया कि स्कूल के अध्यापकों को यूनिफॉर्म में आना होगा। इसके एलान के साथ ही शिक्षक संगठनों ने इसका विरोध शुरू कर दिया। शिक्षकों के विरोध के बाद इस मामले में मंत्री बैकफुट पर आ गए।मंत्री ने कहा कि पहले सरकारी स्कूलों में शिक्षा के स्तर को बेहतर किया जाएगा उसके बाद बाकि चीजों की ओर वो ध्यान देंगे।

मंत्री अरविंद पांडे द्वारा एक शोक सभा में जाने के लिए सरकारी चार्टर्ड प्लेन का इस्तेमाल करना और फिर हवा में अपने समर्थकों के साथ सरकारी चार्टर्ड में केला पार्टी करना भी खूब सुर्खियों में रहा। तब यह खबरें बाहर आईं कि मंत्री अपनी विधानसभा क्षेत्र के लोगों को सरकारी पैसे का दुरुपयोग कर के हवाई जहाज के चक्कर कटवा रहे हैं। इतना ही नहीं विपक्ष ने भी इस मामले पर मंत्री के बहाने सरकार पर हमला बोला तब भी मंत्री खूब चर्चा में रहे।

प्लस माइनस प्लस (+ - +) का जाल

यह विवाद शांत हुआ ही था कि मंत्री महोदय देहरादून में एक स्कूल में प्लस माइनस प्लस (+ - +) के फेर में फंस गए। इस दौरान अरविंद पांडे ने एक स्कूल का औचक निरीक्षण किया था। जिसमें वह एक सरकारी शिक्षिका को ना केवल डांटते हुए दिखाई दिए बल्कि प्लस माइनस प्लस के जाल में भी उलझ गये। इसको लेकर मंत्री महोदय की उत्तराखंड ही नहीं बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर फसीहत हुई। सोशल मीडिया पर भी इस बात का खुब मजाक बना।

विवादों ने अबतक पांडे का साथ नहीं छोड़ा था। अब चर्चा का विषय बना मंत्री के बेटे की शादी का कार्ड। दरअसल,शादी के कार्ड में कई खामियां थीं। शिक्षा मंत्री के बेटे की शादी के कार्ड में शब्दों की इतनी गलतियां होना चर्चा का विषय बन गया। शादी के कार्ड में कुल 11 खामियां निकालीं। इसके बाद मंत्री की खूब खिल्ली भी उड़ी। हालांकि,अरविंद पांडे ने सामने आकर सफाई देते हुए कहा कि कार्ड में गलतियां भले ही हों लेकिन इसमें बेटे का नाम और आयोजन स्थल का नाम सही छपा है। इस मुद्दे को विपक्ष ने भी खूब उठाया और शिक्षा मंत्री की `शिक्षा`पर ही सवाल खड़े कर दिये। उनके मात्राओं के ज्ञान पर निशाना साधा गया।

साल धीरे-धीरे बीत रहा था लेकिन विवाद कम होने की जगह बढ़ ही रहे थे। तभी नवंबर माह में हरिद्वार में चल रहे जिला पंचायत महाकुंभ में अरविंद पांडे का गुस्सैल रूप देखने को मिला। कार्यकर्ताओं से नाराजगी के चलते उन्होंने खुले मंच से कह दिया कि वो वहां से भाग जायें। दरअसल, पंडाल में अव्यवस्थाओं को लेकर जन प्रतिनिधियों विरोध कर रहे थे। इस विरोध पर भड़कते हुए अरविंद पांडे ने पंचायत प्रतिनिधियों को कहा कि उन्हेंआंदोलन करने के लिए नहीं बुलाया गया, पहले इंसान बनो। इतना ही नहीं इस दौरान अरविंद पांडे ने बवाली नेताओं को गेट आउट तक कह डाला। उन्होंने प्रशासन से कहा धक्के मारकर इन बवालियों को निकालो बाहर, सबके चेहरे देख लिए हैं मैंने,गांव में आकर लोगों को बताऊंगा कहा। इस कारनामे के बाद मंत्री को बीजेपी कार्यकर्ताओं के विरोध का भी सामना करना पड़ा था।

हालांकि, इतने विरोध और विवादों के बाद भी पांडे अपनी बात कहने से रुके नहीं। उन्होंने सार्वजनिक तौर पर ऐसा कुछ कह दिया जो उनका अबतक का सबसे बड़ा विवादित बयान साबित हो गया। मंत्री ने खेल जगत में हो रहे महिलाओं के शोषण को लेकर बड़ा बयान देते हुए कहा कि उन्हें पता है महिला खिलाड़ियों के साथ सही व्यवहार नहीं किया जाता, खेल के नाम पर उनके साथ गलत काम किया जा रहा है। इसके खिलाफ एक्शन लेते हुए उन्होंने 354 (यौन उत्पीड़न) के तहत मुकदमा दर्ज करने तक की बात कह दी थी।

महिला खिलाड़ियों पर दिये इस बयान के बाद इतना बड़ा बवाल खड़ा हुआ कि विपक्ष से लेकर खेल एसोसिएशन सब मंत्री के खिलाफ हो गये। मंत्री ने इस मसले में बयानबाजी यही नहीं रोकी फिर माननीय ने कह डाला कि उनके पास इसके सबूत भी हैं। विपक्ष सबूत वाली बात पर और आक्रामक हो गया, मामला संभालने के लिए आखिर में सरकार को इसपर सफाई देनी पड़ी।

जनवरी 2018 की ठंड में मंत्री जी स्कूली बच्चों की वजह से सुर्खियों में आ गये। बच्चों को मुफ्त में किताब बांटने के एक आयोजन में अरविंद पांडे तो सौफे पर बैठे नज़र आये लेकिन बच्चे सर्दी के मौसम में फर्श में ही बैठे रहे। कार्यक्रम में मंत्री जी के लिये बाकयदा सोफे और लग्जरी व्यवस्था की गई थी लेकिन पूरे आयोजन में मंत्री का ध्यान फर्श पर बैठे मासूम बच्चों पर नहीं गया।

शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे दमयंती नामक महिला की वजह से फिर विवादों में आये। दरअसल, शिक्षा अधिकारी दमयंती रावत को बिना विभागीय अनुमति के ही कर्मकार बोर्ड का अपर सीईओ बनाया गया, जिसपर नारजगी जाहिर करते हुए शिक्षा मंत्री ने कार्रवाई करने की बात कहने के साथ ही बर्खास्त करने की बात कही थी। शिक्षा विभाग द्वारा एनओसी न दिए जाने पर हरक सिंह रावत और अरविंद पांडे आमने-सामने आ गये, क्योंकि दमयंती हरक सिंह की करीबी मानी जाती हैं। शिक्षा मंत्री ने दमयंती को प्रतिनियुक्ति देने से साफ इंकार कर दिया। श्रम विभाग के आग्रह को यह कहकर उन्होंने ख़ारिज करते हुए कहा कि वो प्रतिनियुक्ति की शर्तें पूरी नहीं करतीं।

त्रिवेंद्र सरकार का एक साल खत्म हो गया लेकिन जिस तरह से मंत्री अरविंद पांडे विवादों में रहे हैं उससे तो यहीं लगता है कि अरविंद पांडे अपनी इस बेबाकी को छोड़ने वाले नहीं है। पूरे साल वो सरकार से भी ज्यादा सुर्खियों में रहे। कभी अच्छी तो कभी बुरी वजहों से पांडे चर्चाओं का विषय बनते रहे।

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