गोरखपुर टेटर फंडिंग: रमेश शाह खुलवाता था लोगों का फर्जी खाता

संक्षेप:

  • गोरखपुर टेटर फंडिंग का मास्टरमाइंड  रमेश शाह गिरफ्तार
  • रमेश शाह ने मुकेश को दिलाया था किराए पर मकान
  • बराबर में पहली पत्नी का भी था मकान

गोरखपुर: गोरखपुर टेटर फंडिंग का मास्टरमाइंड आखिरकार पुणे से रमेश शाह एटीएस के हत्‍थे चढ़ ही गया। एटीएस ने उसे पुणे से गिरफ्तार किया। इससे पहले 4 मार्च को टेरर फंडिंग के मामले में एटीएस ने मुकेश को भी गिरफ्तार किया था। करीब चार महीने पहले टेरर फंडिंग के मास्टरमाइंड रमेश शाह ने मुकेश को झरना टोला टीचर्स कालोनी में रहने वाले रामजी पाठक जो बैंक से सेवानिवृत्‍त प्रबंधक हैं, उनके यहां किराए पर मकान दिलाया था। वह अपनी पत्‍नी अतरवासी पाठक और परिवार के साथ रहते हैं।

जानकारी के मुकाबिक, मुकेश गोपालगंज बिहार का रहने वाला है और उसके मार्ट में काम करने के लिए वहां पर आया है। रमेश शाह ने दो शादियां की है। दोनों पत्नियों के झगड़े के कारण उसकी पहली पत्‍नी पिछले तीन-चार साल से रामजी पाठक के यहां किराए पर रहती है। रमेश शाह कभी कभार ही वहां पर आता रहता था। मुकेश जिस कमरे में रहता रहा है उसका 1600 रुपए किराया भी रमेश शाह ही उठा रहा था। रामजी पाठक के मुताबिक छह-सात माह पहले मुकेश गोपालगंज से यहां पर रहने के लिए आया था। उसके व्‍यवहार और रमेश शाह के कहने पर उन्‍होंने उसे कमरा दे दिया था।

24 मार्च की सुबह में जब सादी वर्दी में आए पुलिसवालों ने छापा मारा, तो मुकेश अपने कमरे में सो रहा था। पुलिसवाले उसे उठाकर ले गए। दूसरे दिन उन्‍हें पता चला कि वो टेरर फंडिंग और देश विरोधी गतिविधियों में लिप्‍त रहा है। हालांकि उसके बगल में ही 25 दिन से लापता रमेश शाह का भी कमरा है। जिसमें रमेश की पहली पत्‍नी और उसके बच्‍चे रहते हैं। रामजी पाठक की पत्‍नी अतरवासी पाठक ने बताया कि मुकेश का बात-व्‍यवहार काफी अच्‍छा रहा है। उन लोगों को कभी भी इस बात की भनक नहीं लगी कि वो देश विरोधी गतिविधियों में लिप्‍त है।

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अतरवासी देवी ने ही बताया कि रमेश की दो शादी हुई हैं। उसकी दोनों पत्नियों में खटपट होने के कारण पहली पत्‍नी उनके यहां किराए पर रहती रही है। वो भी इस घटना के बाद से मायके चली गई। मुकेश, रमेश शाह के कहने पर लोगों को मोटिवेट कर उनके फर्जी खाते खुलवाता था। उन्‍हीं खातों में रुपए मंगाए जाते थे और फिर उन रुपयों को निकाल लिया जाता था। उसके बदले में खाता संचालित करने वालों को कुछ रुपए कमीशन दे दिया जाता रहा है।

मुकेश ने भी तीन से चार माह में ही इतने रुपए कमा लिए थे कि उसने चार पहिया गाड़ी खरीदकर उसमें कोल्‍डड्रिंक का व्‍यापार करने का प्‍लान बनाया था। एटीएस ने उस गाड़ी को भी अपने कब्‍जे में ले लिया था। लेकिन, इसके पहले ही रमेश को इसकी भनक लग गई और वो अंडरग्राउंड हो गया। यूपी एटीएस अब उन लोगों को तलाश कर रही है जिनके फर्जी खातों के माध्‍यम से टेरर फंडिंग के इस गोरखधंधे को अंजाम दिया जा रहा था।

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