RTI खुलासाः एक साल में 21 बैंकों से 26 हजार करोड़ का फ्रॉड

संक्षेप:

  • वित्तीय वर्ष 2017-18 में 21 बैंकों पर बेहद मुश्किल गुजरा
  • RTI में हुआ बैंकिंग क्षेत्र में सबसे बड़ा फ्रॉड का खुलासा
  • बैंकों को कुल लगभग 25,775 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ

कानपुरः देश के बैंकिंग क्षेत्र में बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़े के कारण वित्तीय वर्ष 2017-18 सरकारी क्षेत्र के 21 बैंकों पर बेहद मुश्किल गुजरा. सूचना के अधिकार (RTI) के तहत प्राप्त जानकारी से खुलासा हुआ है कि बीते वित्तीय वर्ष में बैंकिंग धोखाधड़ी के अलग-अलग मामलों के कारण बैंकों को कुल मिलाकर लगभग 25,775 करोड़ रुपये का नुकसान झेलना पड़ा. मध्यप्रदेश के नीमच निवासी सामाजिक कार्यकर्ता चंद्रशेखर गौड़ ने रविवार को बताया कि उनकी आरटीआई अर्जी पर भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के एक अधिकारी ने उन्हें यह जानकारी दी है. आरटीआई के तहत गौड़ को 15 मई को भेजे गए जवाब से पता चलता है कि वित्तीय वर्ष 2017-18 में धोखाधड़ी के अलग-अलग मामलों से पंजाब नैशनल बैंक (PNB) को सबसे ज्यादा 6461.13 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ.

सबसे बड़ा घोटाला

आरटीआई के जवाब में बैंकिंग धोखाधड़ी के किसी भी मामले का विशिष्ट ब्योरा नहीं दिया गया है. बहरहाल, पीएनबी सार्वजनिक क्षेत्र में देश का दूसरा सबसे बड़ा बैंक है और इन दिनों 13,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की धोखाधड़ी के मामले से जूझ रहा है. घरेलू बैंकिंग क्षेत्र के इतिहास के अब तक के सबसे बड़े घोटाले का पता इस साल की शुरूआत में चला. हीरा कारोबारी नीरव मोदी और उसके मामा व गीतांजलि जेम्स के प्रमोटर मेहुल चौकसी ने इस घोटाले को पीएनबी के कुछ अधिकारियों के साथ मिलकर अंजाम दिया.

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किसे कितना लगा चूना

आरटीआई के तहत मिली जानकारी के मुताबिक 31 मार्च को समाप्त वित्तीय वर्ष में देश के सबसे बड़े बैंक स्टेट बैंक ऑफ इन्डिया को धोखाधड़ी के विभिन्न मामलों के चलते 2390.75 करोड़ रुपये का चूना लगा. आलोच्य अवधि में बैंकिग धोखाधड़ी के अलग-अलग मामलों से बैंक ऑफ इंडिया को 2224.86 करोड़ रुपये, बैंक ऑफ बड़ौदा को 1928.25 करोड़ रुपये, इलाहाबाद बैंक को 1520.37 करोड़ रुपये, आंध्रा बैंक को 1303.30 करोड़ रुपये, यूको बैंक को 1224.64 करोड़ रुपये, आईडीबीआई बैंक को 1116.53 करोड़ रुपये, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया को 1095.84 करोड़ रुपये, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया को 1084.50 करोड़ रुपये, बैंक ऑफ महाराष्ट्र को 1029.23 करोड़ रुपये और इंडियन ओवरसीज बैंक को 1015.79 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ.

और क्या मिली जानकारी

आरबीआई ने आरटीआई के तहत जानकारी साझा करते वक्त स्पष्ट किया है कि इसमें धोखाधड़ी के केवल वे मामले शामिल हैं, जिनमें हरेक प्रकरण में बैंकों को एक लाख रुपए से ज्यादा का चूना लगाया गया. हालांकि, आरबीआई द्वारा आरटीआई के तहत दिए गए जवाब में यह नहीं बताया गया है कि बीते वित्तीय वर्ष में संबंधित बैंकों में धोखाधड़ी के कुल कितने सामने आये और इनकी प्रकृति किस तरह की थी. जवाब में यह भी साफ नहीं है कि इन मामलों में कर्ज संबंधी फर्जीवाड़ों के प्रकरण शामिल हैं या नहीं.

इस बीच, अर्थशास्त्री जयंतीलाल भंडारी ने बैंकिंग धोखाधड़ी से देश के 21 सरकारी बैंकों को भारी नुकसान के आंकड़ों को बेहद चिंताजनक बताया है. उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों पर अंकुश के लिए सरकार और आरबीआई द्वारा संबंधित प्रावधानों को और कड़ा किया जाना चाहिए. भंडारी ने कहा, `धोखाधड़ी के मामलों से बैंकों को न केवल बड़ा आर्थिक नुकसान हो रहा है, बल्कि उनके द्वारा भविष्य में नए कर्ज देने की संभावनाओं पर भी विपरीत असर पड़ रहा है. जाहिर है कि यह स्थिति अर्थव्यवस्था के हित में कतई नहीं है.`

और किसको कितना नुकसान

आरटीआई से मिली जानकारी के मुताबिक वित्तीय वर्ष 2017-18 में बैंकिग धोखाधड़ी के विभिन्न प्रकरणों के चलते कॉर्पोरेशन बैंक को 970.89 करोड़ रुपये, यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया को 880.53 करोड़ रुपये, ओरिएन्टल बैंक ऑफ कॉमर्स को 650.28 करोड़ रुपये, सिंडिकेट बैंक को 455.05 करोड़ रुपये, कैनरा बैंक को 190.77 करोड़ रुपये, पंजाब ऐंड सिंध बैंक को 90.01 करोड़ रुपये, देना बैंक को 89.25 करोड़ रुपये, विजया बैंक को 28.58 करोड़ रुपये और इंडियन बैंक को 24.23 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा.

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