पुलिसकर्मियों की हत्या के बाद विकास दुबे ने अखबार पढ़कर बनाई थी योजना, जानिए फरारी की पूरी कहानी

संक्षेप:

विकास दुबे कैसे बच निकला था। फरारी के समय वह कहां रहा, कैसे फरार हुआ और किस-किस ने उसकी मदद की। आखिरकार एसटीएफ ने इन सभी सवालों के जवाब ढूढ़ निकाले हैं। 

यूपी में पिछले साल हुए बिकरू कांड को शायद ही कोई अबतक भूला पाया हो। भले ही आठवें दिन विकास दुबे को एनकाउंटर में मार गया हो लेकिन बिकरू कांड में कई ऐसे सवाल हैं जिसके जवाब हर कोई जानना चाहता है। अबतक ये पता नहीं चल पाया था कि विकास दुबे कैसे बच निकला था। फरारी के समय वह कहां रहा, कैसे फरार हुआ और किस-किस ने उसकी मदद की। आखिरकार एसटीएफ ने इन सभी सवालों के जवाब ढूढ़ निकाले हैं। एसटीएफ ने फरारी के समय विकास की मदद करने वाले सात लोगों को गिरफ्तार किया। जिससे पूरी कहानी सामने आई।

सीओ समेत आठ पुलिस कर्मियों की हत्या की घटना को अंजाम देने के बाद विकास दुबे, अमर दुबे और प्रभात मिश्रा बिकरू गांव से भागकर शिवली पुल के पास जाकर छुप गए थे। प्रभात मिश्रा ने अपने दोस्त विष्णु कश्यप से संपर्क किया और उसे शिवली नदी के पास बुलाया। इस पर विष्णु अपने दोस्त छोटू की स्विफ्ट डिजायर कार लेकर आया। कार में तीनों को बिठाकर हथियार रखे गए। इसके बाद विष्णु कश्यप के बहनोई रामजी उर्फ राधे के घर तुलसीनगर रसूलाबाद सभी अभियुक्त पहुंचे। उसके घर पर बने बेसमेंट में सभी छिप गए। यहां से विष्णु का दोस्त छोटू अपनी कार लेकर वापस चला गया।

विकास दुबे ने तीन दिन इलाके में ही काटे। इस दौरान वह लगातार अखबार पढ़ता रहा। टीवी चैनलों पर अपनी करतूतें भी देखता रहा। खबरों के आधार पर ही उसने फरारी का प्लान बनाया था।

पुलिस के मुताबिक 3 जुलाई 2020 की दोपहर लगभग 12:00 से 1:00 बजे के बीच रामजी उर्फ राधे अपनी मोटरसाइकिल से अमर दुबे को रसूलाबाद सेकरिया झाला में संजय परिहार उर्फ टिंकू की बगिया ले गया। वहां पर संजय, अभिनव तिवारी, अर्पित मिश्रा, विक्की यादव, अमन शुक्ला और मोहन अवस्थी मौजूद थे। अमर दुबे ने वहां रुकवाने की व्यवस्था करने के लिए कहा था। जिसके बाद अमर दुबे खेत के ट्यूबवेल वाली कोठरी में छुप गया।

वहीं प्रभात मिश्रा और विकास दुबे खाना खाने के बाद शाम 6 बजे अपने असलहे और मोबाइल राधे के घर में छोड़कर ट्यूबवेल पंप के पास पहुंचे जहां अमर पहले से मौजूद था। विकास जल्दी जल्दी ठिकाने बदलना चाहता था। उसने कहीं और ठहरने का इंतजाम करने को कहा। लेकिन कमरे का इंतजाम नहीं हो पाया।

उसके बाद 5 जुलाई की शाम को शुभम पाल की कार से विकास दुबे, अमर दुबे और प्रभात मिश्रा को औरैया बस स्टैंड तक छोड़ा गया। यहां से तीनों फरीदाबाद हरियाणा पहुंचे। शुभम ने अमर के कुछ असलहे और मोबाइल अपने पास ही रख लिए थे।

फिलहाल STF फरीदाबाद से विकास दुबे महाकाल के मंदिर कैसे पहुंचा, इसकी कड़ी नहीं जुड़ो पाई है। आगे की तलाश की जा रही है।

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