कानपुर में बदमाशों के पैर में ही क्यों लग रही गोली?

संक्षेप:

  • कानपुर में पुलिस और बदमाशों के बीच मुठभेड़
  • बदमाश के पैर में लगी गोली
  • एक बार उठे एनकाउंटर पर सवाल

कानपुर: उत्तर प्रदेश में पुलिस ने अपने अपराध नियंत्रण अभियान के तहत अपराधियों को ठिकाने लगाने के इरादे से उनके पैरों में गोली मार देने की आदत डाल ली है। लखनऊ, सुल्तानपुर के अलावा कानपुर में भी पुलिस इसी तरह लगातार एनकाउंटर कर रही है। इस शहर में एक दर्जन मुठभेड़ हुईं, जिनमें बदमाशों के पैरों में ही गोली मारी गयी। आज भी एनकाउंटर होने के दो मामले सामने आए हैं।

कानपुर नगर के बिल्हौर इलाके में राहुल तिवारी और बेकन गंज इलाके में सनी का एनकाउण्टर हुआ। इस एनकाउण्टर में उन्हें जान से तो नहीं मारा गया, लेकिन पैरों पर गोली मारकर उन्हें जिन्दा गिरफ्त में लिया गया। बकौल पुलिस, `दोनों बदमाशों पर आधा दर्जन से अधिक अपराधिक मुकदमें कायम हैं।``

वहीं, पुलिस अपराध नियंत्रण अभियान के तहत पकड़े गये एक बदमाश ने सिपाहियों की कहानी को गलत बताया है। बदमाश सनी उर्फ सनीउल्लाह का कहना है कि जरायम की दुनिया में खाकी का खौफ पैदा करने का पुलिस का ये कदम झूठा है। पुलिस ने उसे फेक एनकाउंटर के तहत पकड़ा है। वो बाइक पर था, तभी पुलिस ने गोली चला दी।`` जबकि पुलिस इसे सेल्फ डिफेन्स में गोली चलाना बता रही है।

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पैरों पर गोली मारने के संबंध में कुछ जानकार कह रहे हैं कि तीन दशक पुरानी पुलिस रणनीति एक बार फिर तेजी से अमल में लायी जा रही है। बस फर्क इतना है कि अबकी बदमाशों की पीठ या सीने पर नहीं, पैरों को निशाना बनाकर गोली मारी जा रही है और उन्हें घायल करके जिन्दा पकड़ा जा रहा है। ताकि अपराधियों में खौफ पैदा हो और मानवाधिकार कानून आड़े न आयें। कानपुर एसएसपी अनन्त देव के मुताबिक, वे शहर में अपराधियों की कमर तोड़ने के लिए ऐसे ही एनकाउंटर कराएंगे।

विगत 11 सितम्बर को सूबे के पुलिस प्रमुख ओ.पी. सिंह ने कहा था कि यूपी में योगी सरकार बनने के बाद पुलिस एनकाउण्टर में 63 बदमाश मारे गये हैं। इन मुठभेड़ों में चार पुलिसकर्मी शहीद हुए हैं। हालाॅकि एक एनजीओ द्वारा यूपी पुलिस के डेढ़ हजार से अधिक एनकाउण्टरों पर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाये जाने के बाद गृह विभाग को एवीडेविट दाखिल कर अपनी स्थिति स्पष्ट करनी पड़ी। इसके बाद से पुलिस ने अपनी रणनीति बदली और बदमाशों के पैरों में निशाना लगाकर गोली मारना शुरू किया। इस पर भी डीजीपी का बयान आया था कि राज्य में सक्रिय सैंकड़ों क्रिमिनल्स को पकड़ने के लिये ``एनकाउण्टर्स`` पुलिस रणनीति का अहम हिस्सा है। डीजीपी ने यह भी कहा था कि इस तरह के एनकाउण्टर ``स्टेट पाॅलिसी`` नहीं हैं और ये पुलिस की रणनीति का हिस्सा हैं।

पिछले एक माह में कानपुर में हुए ग्यारह एनकाउण्टरों में पुलिस ने पैरों में गोली मारीं। कानपुर में बीते मंगलवार रात दो अलग-अलग घटनाओं में पुलिस की दो बदमाशों से मुठभेड़ हो गई। दोनों एनकाउंटर में बदमाशों को पैर में गोली लगी। पुलिस का पहला एनकाउंटर रात लगभग एक बजे कर्नलगंज इलाके में हुआ जिसमें अली अहमद और एक अन्य बदमाश शामिल था।

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