ट्रेन की पैंट्री कार से मिले 1.40 करोड़ रुपए का वारिस कौन? 1 महीने बाद भी रहस्य बरकरार
- नई दिल्ली से जयनगर जाने वाली स्वतंत्र संग्राम सेनानी एक्सप्रेस (Swatantrata Senani Express) की पैंट्री कार (Pantry Car) में मिले 1,40,00,000 रूपये रेलवे (Railway) के अधिकारियों के लिए अब सिरदर्द बन चुका है
- प्रभारी निरीक्षक जीआरपी राममोहन राय ने बताया कि 16 फरवरी को नई दिल्ली स्टेशन के पीएनटी नंबर से कानपुर (Kanpur) के कमर्शियल कंट्रोल रूम में फोन आया था कि स्वतंत्रता संग्राम सेनानी ट्रेन की पैंट्री कार में किसी अधिकारी का बैग है जिसे कानपुर में उतारना है
- कानपुर में जब दो दिन तक इस बैग को लेने कोई नहीं आया तो अधिकारी ने इसकी सूचना जीआरपी को दी
कानपुर: नई दिल्ली से जयनगर जाने वाली स्वतंत्र संग्राम सेनानी एक्सप्रेस (Swatantrata Senani Express) की पैंट्री कार (Pantry Car) में मिले 1,40,00,000 रूपये रेलवे (Railway) के अधिकारियों के लिए अब सिरदर्द बन चुका है. प्रभारी निरीक्षक जीआरपी राममोहन राय ने बताया कि 16 फरवरी को नई दिल्ली स्टेशन के पीएनटी नंबर से कानपुर (Kanpur) के कमर्शियल कंट्रोल रूम में फोन आया था कि स्वतंत्रता संग्राम सेनानी ट्रेन की पैंट्री कार में किसी अधिकारी का बैग है जिसे कानपुर में उतारना है. कानपुर में जब दो दिन तक इस बैग को लेने कोई नहीं आया तो अधिकारी ने इसकी सूचना जीआरपी को दी. जीआरपी ने आरपीएफ और रेलवे के अधिकारियों की मौजूदगी में लाल रंग के इस बैग को खोला तो सबके होश उड़ गए. बैग में एक करोड़ चालीस लाख रूपये थे.
प्रभारी निरीक्षक जीआरपी ने बताया कि इस संबंध में एक मुकदमा दर्ज कर लिया गया है और पुलिस जांच में जुट गई है. 16 तारीख को यात्रा करने वाले रेलवे के सभी स्टाफ को बुलाया जा रहा है और उनके बयान लिए जा रहे हैं. साथ ही दिल्ली में सीसीटीवी फुटेज भी खंगाला जा रहा है. मगर सबसे बड़ी ताज्जुब की बात है कि जीआरपी को अभी तक सीसीटीवी फुटेज नहीं मिले हैं, और ना ही यह पता लग सका है कि आखिर फोन किस अधिकारी ने किया था और यह किसके कार्यालय से हुआ था. जीआरपी प्रभारी निरीक्षक ने छानबीन में आरपीएफ से सहयोग मांगा है.
फिलहाल करोड़ों की इस रकम को आयकर विभाग को सौंप दिया गया है. इस मामले में जीआरपी के एक उपनिरीक्षक को दिल्ली भेजा गया था मगर वो भी सीसीटीवी फुटेज लाने मेंअसमर्थ रहे. एक बार फिर से नई दिल्ली के रेलवे के अधिकारियों को पत्र लिखा है जिसमें सीसीटीवी फुटेज की मांग की गई है. रेलवे के अधिकारियों के टालमटोल रवैये के चलते अब लगभग एक महीने का समय होने को है मगर अभी तक यह रहस्य ही बना हुआ है कि लाल बैग में मिले करोड़ों रुपये किसके हैं और यह किस मकसद से ट्रेन से ले जाए जा रहे थे.
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