Lok Sabha Election 2019: कैराना का रण- तबस्सुम Vs प्रदीप Vs हरेंद्र, मुस्लिम और जाट वोट के मिलने से होगा जीत- हार का फैसला

संक्षेप:

  • कैराना में मुकाबला त्रिकोणीय होता जा रहा है
  • बीजेपी गैर मुस्लिम मतों के ध्रुवीकरण के सहारे आस लगाए बैठी है
  • कैराना में कुल 16.48 लाख वोटर हैं

कैराना: कैराना लोकसभा सीट पर इस बार मुकाबला दिलचस्प है. मुस्लिम और जाट वोटर यहां निर्णायक हैं. जानकारों के मुताबिक बीजेपी और सपा-बसपा- रालोद गठबंधन के बीच ही कड़ा मुकाबला है. लेकिन कांग्रेस के हरेंद्र मलिक सब का खेल बिगाड़ते नजर आ रहे हैं. मतलब कैराना में मुकाबला त्रिकोणीय होता जा रहा है. बीजेपी गैर मुस्लिम मतों के ध्रुवीकरण के सहारे आस लगाए बैठी है.

शामली और सहारनपुर जिलों में लगने वाली लोकसभा की पांच विधान सभाओं के कुल 16.48 लाख वोटर हैं. इनमें सबसे ज्यादा 5.50 लाख मुस्लिम हैं, जिन पर सपा प्रत्याशी तबस्सुम हसन का दावा मजबूत बन रहा है, भाजपा गैर मुस्लिम मतों का ध्रुवीकरण अपने पक्ष में कराने में लगी है, लेकिन सपा-बसपा और रालोद गठबंधन के कारण इस बार 2014 की तुलना में समीकरण बदले हुए हैं. हरेंद्र मलिक व्यक्तिगत प्रभाव से जाट और मुस्लिम मतों में भी सेंध लगाते नजर आ रहे हैं. यही मुकाबले का पेंच फंसा हुआ है. मतदाता फिलहाल चुप्पी साधे हैं लेकिन कैराना का चुनावी इतिहास बताता है कि यहां का मतदाता एन वक्त पर चुनावी माहौल देखकर वोटिंग करता है.

गैर मुस्लिम मतों के ध्रुवीकरण की कोशिश में बीजेपी

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बीजेपी प्रत्याशी प्रदीप चौधरी की सबसे बड़ी ताकत मोदी फैक्टर है. वे खुद कहते हैं कि इस चुनाव में जनता मोदी के नाम और काम दोनों पर वोट करेगी और हमें जिताएगी. सर्वसमाज का वोट मिलेगा. मोदी और सीएम की रैली के बाद मृगांका का टिकट कटने से कैराना के गुर्जरों की नाराजगी भी दूर होने के दावे किए जा रहे हैं. यहां बीजेपी की चुनौती जाट वोट ही है. कांग्रेस प्रत्याशी हरेंद्र मलिक जाट है, दूसरे सपा-बसपा और रालोद गठबंधन के कारण रालोद समर्थक जाट मतदाताओं का गठबंधन प्रत्याशी के पक्ष में चले जाने की भी चिंता है. इस बार एससी वोटों का छिटकना भी बीजेपी के लिए मुश्किलें खड़ी कर रहा है.

मुस्लिम फैक्टर और गठबंधन का समीकरण बड़ी ताकत

सपा प्रत्याशी तबस्सुम हसन की सबसे बड़ी ताकत लोकसभा सीट के 5.50 लाख मुस्लिम मतदाता हैं. मुन्नवर हसन परिवार का इन पर काफी प्रभाव रहा है. गठबंधन के कारण करीब बसपा का करीब 2.10 लाख एससी वोटर और रालोद की वजह से जाट मतों के आधार पर वे अपने समीकरण मजबूत होने का दावा कर रही हैं. उनकी चुनौती कांग्रेस प्रत्याशी हरेंद्र मलिक है जो मुस्लिम मतों में सेंधमारी करने की कोशिश कर रहे हैं.

क्षेत्र में व्यक्तिगत प्रभाव हरेंद्र की ताकत

कांग्रेस प्रत्याशी हरेंद्र मलिक की सबसे बड़ी ताकत उनका राजनीतिक अनुभव है. खतौली, बघरा से विधायक रहने के अलावा कई चुनाव लड़ने का अनुभव रखते हैं. क्षेत्र में लंबे समय से क्षेत्र में सक्रिय रहने के कारण बने व्यक्तिगत संपर्क भी उनकी ताकत है. मुस्लिम और जाट मतदाताओं में वह सेंध लगा रहे हैं. हरेंद्र मलिक कहते हैं कि सर्वसमाज का वोट उन्हें मिलेगा. हालांकि लोकसभा सीट पर तीन दशकों से कांग्रेस की खराब स्थिति हरेंद्र की सबसे बड़ी कमजोरी है.

कैराना लोकसभा सीट का गणित

कुल मतदाता 1648000
कैराना में आने वाली विधानसभा सीट
कैराना, शामली, थानाभवन, गंगोह, नकुड़

लोकसभा उपचुनाव 2018 का आंकड़ा

तबस्सुम हसन ( रालोद) 4.81182
मृगांका सिंह (भाजपा ) 4,36,564

लोकसभा चुनाव 2014 का आंकड़ा

हुकुम सिंह भाजपा 5,65,909
नाहिद हसन सपा 3,29,081
कंवर हसन बसपा 160414
करतार भड़ाना रालोद 42706

जीत का जातिगत समीकरण

मुस्लिम वोटर- 5,50,000
एससी वोटर- 2,00,000
जाट वोटर- 1,60,00
गुर्जर वोटर- 2,00,000
अति पिछड़े- 2,00,000
अन्य-3,30,000

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