इस वीकेंड वाराणसी में देखिए जापान की झलक

संक्षेप:

  • मंदिर जापान के क्योटो स्थित तोजी मंदिर जैसा है
  • जापानी पर्यटक करने आते है यहां दर्शन
  • 1986 में होजो सासकी ने कराया था इसका निर्माण

यदि आप वाराणसी में रहते है तो इस वीकेंड अपने परिवार और दोस्तों के साथ मस्ती करने की सोच रहे है तो आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है। NYOOOZ आपको बताएगा की इस वीकेंड को आप कैसे यादगार बनाये।

विश्व की सबसे प्राचीन नगरी, काशी धर्म एवं संस्कृति के लिए प्रसिद्ध है। इस शहर में सभी धर्म समाहित है। एक तरफ गंगा किनारे जहां भगवान शिव विराजमान है तो वहीं दूसरी तरफ भगवान बुद्ध का उपदेश स्थल सारनाथ है। सारनाथ में बौद्ध धर्म के अनुयायी देशों ने अपने-अपने देश के नाम से मंदिर स्थापित किए हुए हैं। जापान ने भी इस पवित्र स्थल पर भगवान बुद्ध के मंदिर का निर्माण कराया हुआ है। जिसे जापानी मंदिर भी कहते है। दावा तो ये भी है ये मंदिर जापान के क्योटो स्थित तोजी मंदिर जैसा है। इस मंदिर में प्रवेश के बाद आपको जापान जैसा ही अनुभव होगा क्योकि मंदिर के नाम से लेकर उसकी खासियत तक जापानी भाषा में लिखी मिलेगी। शांति की खोज में जापानी पर्यटक जब वाराणसी घूमने आते है तो इस मंदिर में दर्शन के लिए जरूर आते है तो यदि आप भी इस वीकेंड अपने परिवार के साथ मस्ती की सोच रहे है तो सारनाथ स्थित इस जापानी मंदिर में जरूर जाइये।

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काशी से 10 किलोमीटर की दूरी पर सारनाथ में स्थित इस जापानी मंदिर का नाम नीची रेन शययू मंदिर है। 1986 में होजो सासकी ने सारनाथ में इस मंदिर का निर्माण करवाया था। होजो का कहना था कि बौद्ध धर्म जापान में भारत से ही आया है और बौद्ध धर्म आने के बाद ही जापान में खुशी और शांति आई है। कहा जाता है कि, जापान निवासी होजो सासकी ने भारत और जापान के बीच बौद्ध धर्म के प्रसार के लिए इस मंदिर को बनवाया था। यह मंदिर होजो सासकी की भारत के प्रति कृतज्ञता का प्रमाण है। सारनाथ बौद्ध दर्शन का एक बड़ा केंद्र है। लिहाजा, बड़ी संख्या में बौद्ध अनुयायी, पर्यटकों के साथ जापानी छात्र भी यहां आते हैं।


मंदिर की विशेषताएं :

मंदि‍र में लगे पत्‍थर और लकड़ी भी जापानी हैं।

यहां बने बड़े आसन पर केवल जापानी गुरु ही बैठते हैं।

मंदिर में भगवान बुद्ध के साथ महात्‍मा गांधी की पेंटिंग लगी है।

इस मंदि‍र के बाहर जापानी शैली में स्‍थापि‍त रक्षक सील स्‍तंभ है।

मंदि‍र में पूजा के समय घंटा बजाने के लि‍ए जापानी शैली का घंटा भी मौजूद है।

मंदि‍र के अंदर साखू की लकड़ी से बने भगवान बुद्ध की मूर्ति स्‍थापित है, जिसे जापानी शिल्‍पकारों ने बनाया है।

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