वाराणसीः गुरु पूर्णिमा पर भक्तों ने गुरुओं को पूजा

संक्षेप:

  • गुरु का अर्थ होता है अंधकार से प्रकाश कि ओर ले जाने वाला

  • वाराणसी में गुरुओं के सम्मान के लिए भक्तों का सैलाब

  • आज के दिन गुरु के किये गए उपकारों को याद करके नमन करने का दिन है

वाराणसीः गुरु का अर्थ होता है अंधकार से प्रकाश कि ओर ले जाने वाला, आज गुरु पूर्णिमा है आज के दिन सनातन धर्मी अपने गुरु के स्थान पर जाकर उनकी पूजा करते हैं साथ ही नमन कर सुमार्ग पर चलने का आशीष लेते हैं, पौराणिक ग्रंथों में आज के दिन का विशेष विवरण मिलता है गुरु शिष्य परम्परा कि शुरुआत नारायण से मिलाती है जो कालांतर व्यास जी तक पहुंची जहाँ से चारों पिढ के शंकराचार्य पाक आई है, आज के ही दिन से साधू समाज चातुर्मास कि शुरुआत मानते हैं।  

 भारतीय संस्कृति  में  गुरु  का  स्थान  हमेशा  से  ही भगवान से ऊपर रहा है कहा भी गया है की ज्ञान के बिना इंसान पशु के समान है और मानव में ज्ञान का सृज़न करते हैं गुरु,  आज गुरु पूर्णिमा का परम पावन पर्व है। आज के दिन गुरु के किये गए उपकारों को याद करके नमन करने का दिन है। वाराणसी में भी आज गुरुओं के सम्मान के लिए भक्तों का सैलाब नज़र आया।

गुरुओं की आराधना का ये पर्व अनादीकाल से चला आ रहा है  पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक ज़गत के पहले गुरु श्री श्री 1008 वेद व्यास जी थे जिन्होंने चारों वेदों की रचना के साथ साथ महाभारत की रचना भी की थी। आज के ही दिन उनका इस धरती पर अवतरण हुआ था इसलिए आज का दिन गुरुओं के प्रति समर्पित है और काशी के अनेक तीर्थों पर आज के दिन भक्तों का तांता लगा रहता है। गुरु पूर्णिमा यानि गुरु और शिष्यों का महा पर्व।

धर्म की नगरी काशी वैसे तो यहाँ हर पर्व को मनाने का अंदाज़ अलग होता है इनमे भी ख़ास है सांस्कृतिक नगरी काशी में गुरु की अराधना का पर्व , क्योकि यहाँ की संस्कृति में टीचर्स डे नहीं गुरु पूर्णिमा पर्व पर गुरु की पूजा का विधान है।  गुरु का स्थान इस पृथ्वी पर भगवान से भी ऊपर  माना जाता है।  शिव कि नगरी काशी में आज  भक्तों ने अपने गुरु स्थान पर पहुंच अपने गुरुओं का वंदन किया।

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