इस तकनीकी से खेती कर कमाए लाखों रूपए, नहीं पड़ेगी मिट्टी की जरुरत

संक्षेप:

आज के आधुनिक दौर में खेती करने से लोग इस लिए बचना चाहते हैं क्योंकि वह मिट्टी में काम नहीं करना चाहते और जैसे ही कोई खेती की बात करता हैं। तो मन में बड़े से खेत, कुंए आदि के बारे का विचार आता है, लेकिन जैसे-जैसे तकनीकी विकास हो रहा है।

खेती करने के पारंपरिक तरीकों में भी बदलाव हो रहा है। अब ऐसी तकनीक भी विकसित की जा चुकी है। जिसमें बगैर मिट्टी के भी खेती की जा सकती है। साथ ही किसान इस तकनीकी से लाखों रूपए की कमाई भी कर सकता है।

हाइड्रोपोनिक्स तकनीक

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दरअसल, इस तकनीकी में पौधों की जड़ों को पानी में भिगो कर रखा जाता है और पानी में पोषक तत्वों का घोल डाल दिया जाता है। जिससे जरिए पौधे विकसित होते हैं। पोषक तत्वों के घोल में नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश, मैग्नीशियम, कैल्शियम, सल्फर, जिंक और आयरन आदि तत्वों को एक खास अनुपात में मिलाया जाता है। ताकि पौधों को आवश्यक पोषक तत्व मिलते रहें।

यहां हो रहा उपयोग

बता दें कि अब हमारे देश में भी धीरे-धीरे इस तकनीक के जरिए कृषि उत्पादन को बढ़ावा दिया जा रहा है। विशेषकर ऐसे इलाकों में जहां विशेष प्रकार की फसलों के लिए विपरीत प्राकृतिक परिस्थितियां है। जैसे राजस्थान के शुष्क क्षेत्रों में जहां चारे के उत्पादन के लिए विपरीत जलवायु वाली परिस्थितियां हैं।

उन क्षेत्रों में यह तकनीक वरदान सिद्ध हो सकती है। वेटरनरी विश्वविद्यालय, बीकानेर में मक्का, जौ, जई और उच्च गुणवत्ता वाले हरे चारे वाली फसलें उगाने के लिये इस तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है। इसके अलावा हाइड्रोपोनिक्स तकनीक से पंजाब में आलू उगाया जा रहा है।

हाइड्रोपोनिक्स तकनीक खेती करने से होंगे ये लाभ

  • जहां जमीन की कमी है या उपजाऊ जमीम नहीं है, वहां भी खेती की जा सकती है।
  • बेहद कम खर्चे पर फसलें उगाई जा सकती है। एक अनुमान के मुताबिक पांच से आठ इंच की ऊंचाई वाले पौधे पर प्रति वर्ष एक रूपए से भी कम का खर्च आता है।
  • हाइड्रोपोनिक्स खेती बंद कमरे में होती है, इसलिए कीटों का खतरा भी कम रहता है। पौधों पर कीटनाशक का इस्तेमाल नहीं करना पड़ता है।
  • पानी में जिन पोषक तत्वों को घोला जाता है, उसमें किसी रसायन की भी आश्यकता नहीं होती है, इसलिए पूरी तरह से जैविक खेती भी की जा सकती है।
  • एक अनुमान के मुताबिक इस तकनीक में 200 वर्ग फीट में खर्चा करीब 1 लाख रुपए आता है। 200 से 5 हजार वर्ग फीट में खर्चा 1 से 10 लाख रुपए के बीच आता है, जबकि उत्पादन लाखों रूपए में लिया जा सकता है।
  • इस तकनीक में चूंकि पौधे की जड़ों को पानी में भिगो कर रखा जाता है और पानी में पोषक तत्व मिलाए जाते हैं। जिसका खर्च भी बहुत ज्यादा नहीं रहता है। पानी में लकड़ी का बुरादा, बालू या कंकड़ों को डाला जाता है।
  • इस तकनीक से खेती करने में पानी की भी काफी बचत होती है। एक खेत में फसल पैदा करने में जितना पानी लगाता है, उसके सिर्फ 20 फीसदी पानी में हाइड्रोपोनिक्स के जरिए पैदावार ली जा सकती है।
  • इस तकनीक के लिए बड़े खेतों की आवश्यकता नहीं है क्योंकि हाइड्रोपोनिक्स तकनीक के जरिए किसी इमारत में भी खेती जा सकती है और अच्छी पैदावार ली जा सकती है।

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