मकर संक्रांति: प्रयागराज और काशी में लाखों श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी, दान किए खिचड़ी और तिल

संक्षेप:

  • पूरे देश के साथ ही मकर संक्रांति (Makar Sankranti) का पर्व तीर्थराज प्रयाग में बड़े ही श्रद्धा और आस्था के साथ मनाया जा रहा है.
  • मकर संक्रांति के पर्व पर संगम (Sangam) में श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा है.
  • देश भर में आज मकर संक्रांति का त्योहार मनाजा जा रहा है.

प्रयागराज: पूरे देश के साथ ही मकर संक्रांति (Makar Sankranti) का पर्व तीर्थराज प्रयाग में बड़े ही श्रद्धा और आस्था के साथ मनाया जा रहा है. मकर संक्रांति के पर्व पर संगम (Sangam) में श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा है. गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती की त्रिवेणी पर अलग ही छटा इस मौके पर देखने को मिल रही है. ब्रह्म मुहूर्त से ही श्रद्धालुओं के यहां आने का क्रम शुरू हो गया था. यहां पर आकर बड़ी संख्या में साधु-संत और श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई.

देश भर में आज मकर संक्रांति का त्योहार मनाजा जा रहा है. मकर संक्रांति पर इस बार शोभन योग में सूर्य का राशि परिवर्तन हुआ है. इससे जप तप और श्राद्ध तर्पण का ये महापर्व काफी खास हो गया है. पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र और शोभन योग में मकर संक्रांति होने से इसका महत्व काफी बढ़ गया है. इसमें किया गया दान पुण्य और अनुष्ठान तत्काल फल देने वाला होता है. माघ कृष्ण पंचमी बुधवार 15 जनवरी को है और इसी तिथि पर विशेष योग बन रहा है.

मकर संक्राति के दिन गंगा स्नान का महत्व

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सनातन धर्म में मकर संक्रांति को मोक्ष की सीढ़ी बताया गया है. इसी तिथि पर भीष्म पितामह को मोक्ष की प्राप्ति हुई थी. इसके साथ ही सूर्य दक्षिणायण से उत्तरायण हो जाते हैं और खरमास समाप्त हो जाता है. प्रयाग में कल्पवास भी मकर संक्रांति से शुरू होता है. इस दिन को सुख और समृद्धि का दिन माना जाता है. गंगा स्नान को मोक्ष का रास्ता माना जाता है और इसी कारण से लोग इस तिथि पर गंगा स्नान के साथ दान करते हैं.

कैसे करें सूर्य देव को प्रसन्न?

सूर्य देव को प्रसन्न करने के लिए बेला का फूल चढ़ा सकते हैं. कुछ फूल सूर्य देव को बिल्कुल नहीं चढ़ाने चाहिए. ये पुष्प हैं गुंजा, धतूरा, अपराजिता और तगर आदि. सूर्य को प्रसन्न करने का सबसे अच्छा दिन मकर संक्रांति का माना गया है. इस दिन सूर्य उत्तरायण होता है और यह वर्ष का सर्वश्रेष्ठ दिन है. इस दिन किए गए उपाय शीघ्र फलदायी भी होते हैं.

सक्रांति के दिन क्या करें?

इस दिन प्रातःकाल उबटन आदि लगाकर तीर्थ के जल से मिश्रित जल से स्नान करें. यदि तीर्थ का जल उपलब्ध न हो तो दूध, दही से स्नान करें. तीर्थ स्थान या पवित्र नदियों में स्नान करने का महत्व अधिक है. स्नान के उपरांत नित्य कर्म तथा अपने आराध्य देव की आराधना करें.

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