काशी में 2800 से ज्यादा शवों को 17 साल बाद मिलेगी मुक्ति

संक्षेप:

  • वाराणसी में 2800 से ज्यादा शवों को किया जा रहा नष्ट
  • 2001 से सुरक्षित रखें गए थे शव के बिसरा
  • पुलिस की लापरवाही से अभी तक रखें गए थे शव

वाराणसीः बाबा भोले की नगरी काशी को मोक्ष की नगरी कहा जाता है। तो वहीं इस पवित्र नगरी में पुलिस की भारी लापरवाही की वजह से एक दो नहीं बल्कि 2800 शवों को अपनी मुक्ति का इंतजार है। हैरान करने वाली बात यह है कि यह शव पूर्ण रूप में नहीं बल्कि टुकड़ों में हैं, जिनको शीशे के जार में बंद करके रखा गया है।

दरअसल, संदिग्ध हालत में मौत के बाद पुलिस कानूनी कार्रवाई को पूरा करने के लिए अक्सर शवों के बिसरा को संरक्षित कर लेती है। इसके लिए मृतक की किडनी, लीवर, हार्ट, आंत या फिर शरीर के अंदर का कोई एक अंग निकालकर उसको जांच के लिए भेजे जाने हेतु एक जार में केमिकल डालकर सुरक्षित रखा जाता है।

इसको न्यायालय के आदेश पर ही जांच प्रक्रिया पूरी करने के बाद रिपोर्ट तैयार कर मौत की वजहों का पता लगाया जाता है, लेकिन पुलिस की लापरवाही के कारण एक-दो नहीं बल्कि 2800 से ज्यादा बिसरा 16 हजार से ज्यादा शीशे के जार में बंद कर रखे हुए हैं।

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बता दें कि यह शव के विधि चिकित्सा विज्ञान संस्थान बीएचयू में 14-10-2001 से 28-05-2017 की अवधि के दौरान परीक्षण के लिए जिले के सभी थानों से भेजे गये बिसरे के नमूने हैं। इनकी संख्या 2803 है जो विधि चिकित्सा विज्ञान संस्थान के 16830 जारों में रखे गये हैं। विधि चिकित्सा विज्ञान संस्थान के पांच कमरो में सुरक्षित रखे गए हैं।

वहीं इस बारे में वाराणसी एसएसपी कार्यलय ने बताया कि समस्त बिसरा नमूनों में से सिर्फ एक PM 838@17 ममता देवी पत्नी मनोज राम को छोड़कर बाकी सभी को नष्ट करने की प्रक्रिया शुरू की गयी है।

एसएसपी वाराणसी के अनुरोध पर डीएम वाराणसी द्वारा गठित टीम सदस्यों एसीएम प्रथम वाराणसी, सीओ भेलूपुर डॉ पीयूष राय के निर्देशन में बिसरों को नष्ट करने की कार्रवाई की जाएगी।

क्या होता है बिसरा?

जब किसी की नेचुरल मौत न होकर संदिग्ध हालत में मौत होती है, जिसमें जहर देने या फिर हत्या की आशंका जताई जाती है। ऐसे मामलों में अक्सर पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी मौत के कारणों का पता नहीं लग पाता है।

इसके बाद मानव शरीर के कुछ अंदरूनी अंगों को एक शीशे के जार में केमिकल डालकर संरक्षित कर रखा जाता है और उसे विधि प्रयोगशाला में भेजकर उसकी पड़ताल करने के बाद रिपोर्ट कोर्ट को प्रेषित की जाती है। इसमें मौत के कारणों का खुलासा होने की उम्मीद रहती है।

 

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