अद्भुत नजारा: काशी के महाश्मशान में जलती चिताओं के बीच 'सेक्स वर्कर्स' ने किया नृत्य (तस्वीरें)

संक्षेप:

  • मोक्ष की नगरी काशी में शुक्रवार की रात नगरवधुओं ने महाश्मशान में जलती चिताओं के बीच नृत्य किया
  • गायिका पद्मश्री सोमा घोष ने भी श्मशान नाथ दरबार में हाजिरी लगाई
  • मणिकर्णिका घाट पर शुक्रवार की रात यह अद्भुत नजारा देखने को मिला

वाराणसी: मोक्ष की नगरी काशी में शुक्रवार की रात नगरवधुओं ने महाश्मशान में जलती चिताओं के बीच नृत्य किया. धर्म की नगरी काशी में मणिकर्णिका घाट पर शुक्रवार की रात यह अद्भुत नजारा देखने को मिला. मोक्ष की कामना के साथ शहर की सेक्स वर्करों ने रात के अंधेरे में जलती चिताओं के बीच राजा श्मशान नाथ को खुश करने के लिए मनमोहक नृत्य पेश किया. लोक गायिका पद्मश्री सोमा घोष ने भी श्मशान नाथ दरबार में हाजिरी लगाई. इस अद्भुत नजारे को देखने के लिए हजारों की संख्या में विदेशी मेहमान आए थे.

मणिकर्णिका घाट- जहां चिता की आग कभी ठंडी नहीं हुई है

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मणिकर्णिका घाट दुनिया का अकेला ऐसा श्‍मशान जहां चिता की आग कभी ठंडी नहीं हुई है. यहां नवरात्रि के दिनों में श्‍मशान नाथ महोत्‍सव की परंपरा राजा मान सिंह के द्वारा 1585 में श्‍मशान नाथ का मंदिर बनवाने के समय से चली आ रही है. महाश्‍मशान में मौत के बाद मुर्दे लाए जाते हैं, लेकिन महोत्‍सव की आखिरी रात शुक्रवार को अनूठी साधना के लिए पूर्वांचल के विभिन्‍न जिलों से आईं नगर वधुएं बॉलीवुड के गानों पर झूमकर नाचीं. मान्‍यता है कि जलती चिताओं के सामने नटराज को साक्षी मानकर नाचने से अगले जन्‍म में नगरवधू का कलंक नहीं झेलना पड़ेगा.

पद्मश्री सोमा घोष के मां काली स्‍त्रोत के गायन से हुई शुरूआत

कार्यक्रम की शुरुआत भारत रत्‍न स्‍व. बिस्मिल्‍लाह खां की दत्तक पुत्री पद्मश्री सोमा घोष के मां काली स्‍त्रोत के गायन से हुई. इसके बाद शिव तांडव और फिर ठुमरी, दादरा, ककहरवा व सूफियाना गीतों से समा बंधा. उनके साथ तबले पर प्रख्‍यात तबला वादक अशोक पांडेय के पुत्र जय पांडेय रहे. महोत्‍सव के अंतिम दिन श्‍मशान नाथ का मदार, गुलाब व बेला के फूलों से भव्‍य श्रृंगार किया गया. भक्‍तों ने उन्‍हें भोग लगाया और वैदिक मंत्रों के बीच महाआरती कर पाप की माफी मांगी.

श्‍मशान नाथ महोत्‍सव की परंपरा राजा मान सिंह के द्वारा 1585 से चली आ रही है

श्‍मशान नाथ महोत्‍सव की परंपरा राजा मान सिंह के द्वारा 1585 में श्‍मशान नाथ का मंदिर बनवाने के समय से चली आ रही है.आयोजन समिति के अध्यक्ष चैनू गुप्ता ने बताया कि सैकड़ों वर्षों पूर्व जब इस महाश्मशान का निर्माण हुआ तब परंपरानुसार संगीत के धुरंधरों को निमंत्रित किया गया. लेकिन किसी ने भी आमंत्रण स्वीकार नहीं किया, बाद में ये जिम्मा नगरवधुओं ने संभाला और तब से ये परंपरा आज भी निभायी जा रही है.चैनू गुप्ता बताते हैं कि हर साल सप्तमी तिथी को बाबा महाश्मशान नाथ का वार्षिक श्रृंगार होता है और इस दौरान नगरवधुएं नृत्य की प्रस्तुती देकर मोक्ष का वरदान मांगती हैं.

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