जैसे जैसे गर्मियाँ आ रही हैं वैसे वैसे बनारस में गंगा नदी का किनारा और वहाँ के घाट लोगों को खींचते हैं। वाराणसी में गंगा नदी के साथ साथ कई और ऐसी जगहें हैं जहाँ ज़रूर जानी चाहि
जैसे जैसे गर्मियाँ आ रही हैं वैसे वैसे बनारस में गंगा नदी का किनारा और वहाँ के घाट लोगों को खींचते हैं। वाराणसी में गंगा नदी के साथ साथ कई और ऐसी जगहें हैं जहाँ ज़रूर जानी चाहिए।
1. गंगा नदी- गंगा भारत की सबसे पवित्र नदी है और पौराणिक रूप से इसका खास महत्तव है। मान्यता है कि जो व्यक्ति एक बार गंगा स्नान कर लेता है उसे सभी पवित्र नदियों में स्नान करने का पुण्य मिल जाता है। शायद इसीलिए लोग यहाँ आते हैं और 2-3 दिनों तक गंगा किनारे निवास करते हैं।
2. दशाश्वमेध घाट- इस घाट से दो अलग- अलग पौराणिक कथाएँ जुड़ी हुई हैं। पहली कथा के अनुसार इस घाट का निर्माण भगवान ब्रह्मा ने भगवान शंकर का स्वागत करने के लिए किया था, जबकि दूसरी कथा के अनुसार ब्रह्मा ने दशाश्वमेध यज्ञ के दौरान यहाँ दस घोड़ों की बलि दी थी।
3. अस्सी घाट- अस्सी घाट वाराणसी के दक्षिणी छोर पर स्थित है। अस्सी घाट, अस्सी नदी और गंगा नदी के संगम पर स्थित है। एक पौराणिक कथा के अनुसार, देवी दुर्गा ने राक्षस शुम्भ और निशुम्भ का वध करने के बाद यहां अपनी तलवार को फेंका था। माना जाता है कि वह तलवार जिस स्थान पर गिरी, वहां से अस्सी नदी का क्षेत्र शुरू हो जाता है। इस घाट का वर्णन कई हिंदू धार्मिक ग्रंथों और पुराणों में भी है। इस घाट पर पीपल के वृक्ष के नीचे भगवान शिव की शिवलिंग भी है और भगवान अस्सींगमेश्वारा का मंदिर भी है जिन्हे दो नदियों के प्रवाह और संगम का देवता माना जाता है।
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