US Airstrike: ईरानी जनरल सुलेमानी की हत्या के बाद पर भारत में बढ़ेगा तेल संकट!

संक्षेप:

  • भारत ने ईरान के टॉप जनरल कासिम सुलेमानी की हत्या के मद्देनजर क्षेत्र में शांति व्यवस्था को लेकर चिंता प्रकट की.
  • भारत सबसे ज्यादा तेल मध्य पूर्व के देशों से मंगाता है और इसमें सबसे ज्यादा इराक से तेल आयात होता है.
  • खाड़ी देशों में करीब 80 लाख भारतीय हैं जिन पर सैन्य संघर्ष बढ़ने का तुरंत असर होगा.

नई दिल्ली: भारत ने ईरान के टॉप जनरल कासिम सुलेमानी की हत्या के मद्देनजर क्षेत्र में शांति व्यवस्था को लेकर चिंता प्रकट की। भारत ने कहा कि अमेरिका और ईरान के बीच तनाव बढ़ने से पूरी दुनिया चिंता में पड़ गई है। इसने कहा कि क्षेत्र की शांति और सुरक्षा सबसे महत्वपूर्ण है। भारत ने शुक्रवार को ईरान के खिलाफ की गई अमेरिकी कार्रवाई पर बेहद सधी प्रतिक्रिया देते हुए सभी पक्षों से संयम बरतने की अपील की। भारत सरकार ने कहा, `जरूरी है कि हालात काबू से बाहर नहीं जाएं। भारत ने लगातार संयम बरतने को तवज्जो दिया है और आगे भी यही करेगा।` ईरान के रिवॉल्युशनरी गार्ड कॉर्प्स कूद्स फोर्स के चीफ कासिम सुलेमानी को खाड़ी क्षेत्र का दूसरा सबसे ताकतवर नेता माना जाता था।

ईरान से मुंह मोड़ना लगभग असंभव

अमेरिका, भारत का सबसे महत्वपूर्ण रणनीतिक साझेदार है, लेकिन ईरान के साथ इसका कथित सभ्यतागत संबंध है। साथ ही, भारत, पाकिस्तान को नजरअंदाज करते हुए मध्य एशिया एवं अफगानिस्तान तक पहुंच के लिए वैकल्पिक रास्ता निकालने के फिराक में है जो ईरान के चाबहार पोर्ट से होकर गुजरता है। वहीं, खाड़ी क्षेत्र में करीब-करीब 80 लाख भारतीय नागरिकों के निवास के कारण भारत के लिए तेहरान से मुंह मोड़ना करीब-करीब असंभव है।

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`पुरानी नीति छोड़े भारत, दिखाए दम`

वैसे तो भारत ने अमेरिका के दबाव में पहले ही ईरान से तेल आयात लगभग रोक दिया है और अब ईराक भारत के बड़े तेल निर्यातकों में शुमार हो चुका है। ऐसे में क्षेत्र में सैन्य कार्रवाई बढ़ी तो भारत का तेल आयात प्रभावित हो सकता है। पूर्व राजनयिक और मध्य-पूर्व एशिया के बड़े जानकार तलमीज अहमद कहते हैं कि भारत की प्रतिक्रिया पारंपरिक द्विपक्षीय एवं पारस्परिक हितों पर आधारित है। दरअसल, भारत सबसे ज्यादा तेल मध्य पूर्व के देशों से मंगाता है और इसमें सबसे ज्यादा इराक से तेल आयात होता है. भारत को आशंका है कि तेल की आपूर्ति तो होगी, लेकिन कीमतें बहुत ज्यादा बढ़ जाएंगी. भारत 85 प्रतिशत तेल का आयात करता है. भारत के पास इस मामले से निपटने के लिए अमेरिका जैसा विकल्प नहीं है. क्योंकि पूरी दुनिया में तेल का व्यापार अमेरिकी डॉलर में चलता है और अमेरिका इससे बहुत कमाता है.

उन्होंने कहा, `मेरा अपना नजरिया है कि भारत को अब मैदान से बाहर नहीं रहना चाहिए बल्कि इसे क्षेत्र में शांति एवं सुरक्षा का माहौल सुनिश्चित करने के लिए प्रभावी राजनयिक भूमिका निभाने की अपनी ताकत का इस्तेमाल करना चाहिए। हालात बिगड़ते रहे तो पुरानी नीतियों पर आगे बढ़ने से फायदा क्या है।` उन्होंने कहा कि क्षेत्र में किसी तरह का सैन्य संघर्ष बढ़ा तो कुछ दिनों में ही हजारों भारतीयों की जिंदगियां प्रभावित होंगी।

`अब भारत को किस मुंह से लेक्चर देगा अमेरिका`

सिब्बल का मानना है कि भारत के सामने कई महत्वपूर्ण मुद्दे हैं। मसलन, अमेरिका अपने साझेदारों के हितों का कम सम्मान कर रहा है। उन्होंने कहा कि ट्रंप का हवाई हमला पूरी तरह घरेलू राजनीति के मद्देनजर हुआ है जिसे अंजाम देने से पहले बिल्कुल भी नहीं सोचा गया कि भारत जैसे उसके मित्र देशों पर क्या असर पड़ सकता है। उन्होंने कहा, `अमेरिका को अब भारत को पाठ पढ़ाने और आर्टिकल 370 एवं नागरिकता संशोधन कानून (CAA) पर सुझाव देने से पहले खुद के अंदर गंभीरता से झांकना चाहिए।`

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