Lok Sabha Election 2019: गाज़ियाबाद लोकसभा सीट से संजय दत्त को टिकट दे सकती है सपा-बसपा गठबंधन!

संक्षेप:

  • संजय दत्त(Sanjay Dutt) गाजियाबाद (Ghaziabad) से समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के टिकट पर चुनाव लड़ सकते हैं
  • समाजवादी पार्टी ने 2009 में भी संजय को अपना कैंडिडेट घोषित किया था
  • संजय दत्त अपनी फिल्म संजू में साफ कर चुके हैं कि वो पॉलिटिक्स में जाने की चाहत नहीं रखते

गाजियाबाद: संजय दत्त(Sanjay Dutt) गाजियाबाद (Ghaziabad) से समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के टिकट पर चुनाव लड़ सकते हैं. संजय दत्त के पिता सुनील दत्त (Sunil Dutt) एक जाने माने समाजसेवी, सांसद और खेलमंत्री रहे. उनकी बहन प्रिया दत्त (Priya Dutt) मुंबई से लोकसभा सांसद चुनी गईं और राजनीति में दत्त परिवार की छवि स्ट्रॉन्ग होती गई. हालांकि संजय दत्त का नाम मुंबई बम धमाकों और अंडरवर्ल्ड के साथ जुड़ जाने की वजह से उनका राजनीतिक करियर पहले से ही खटाई में पड़ा हुआ माना जा रहा था. लेकिन संजू बाबा ने 2009 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के टिकट से चुनाव लड़ने का मन बना लिया था. संजय दत्त को पार्टी का टिकट मिलना लगभग तय था. लेकिन उस दौरान सुप्रीम कोर्ट की उनपर सख्ती के चलते उन्होंने अपना फैसला बदल लिया.

अटकल लगाई जा रही है कि सपा – बसपा गठबंधन(SP-BSP Alliance) इस बार गाज़ियाबाद(Ghaziabad) लोकसभा सीट से संजय दत्त को टिकट दे सकती है. समाजवादी पार्टी ने 2009 में भी संजय को अपना कैंडिडेट घोषित किया था और इस बार भी वो संजय पर दांव खेलना चाहती है. संजय अगर मैदान में उतरते हैं तो कांग्रेस से कुमार विश्वास और वर्तमान सरकार में मंत्री जनरल वी के सिंह से संजय का मुकाबला होगा.

संजय दत्त अपनी फिल्म संजू में साफ कर चुके हैं कि वो पॉलिटिक्स में जाने की चाहत नहीं रखते. वो कई बार कह चुके हैं कि भले ही वो एक पॉलिटिकल फैमिली से आते हैं लेकिन पॉलिटिक्स में उनकी कोई रुचि नहीं है. पर क्या संजय दत्त के पास इससे बाहर कोई विकल्प है ?

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संजू बाबा को जेल हुई और बॉलीवुड के साथ-साथ राजनीति में भी उनका काल समाप्त माना जा रहा था. लेकिन अब पॉलिटिक्स में संजय दत्त की री एंट्री हो सकती है. उन्होंने सज़ा पूरी काटी, उनके उपर एक बायोपिक आई जिसमें एक तरह से उन्होंने अपनी गलतियों को स्वीकार किया और अपनी छवि सुधारने की कोशिश की और अब वो जमकर चैरिटी भी कर रहे हैं. 5 साल में लोगों की भावनाएं संजय दत्त के पक्ष में झुकी हैं. मुंबई के लोगों के बीच में उनकी छवि विवादित हो सकती है. लेकिन देश के दूसरे कोनों में, जहां उनकी फिल्मों से ही लोग उन्हें जानते हैं, संजय अब एक सुधर चुके इंसान हैं.

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