मां सोनिया गांधी के नक्शेकदम पर प्रियंका गांधी, क्या रायबरेली सीट से लड़ेगी चुनाव ?

संक्षेप:

  • सोनिया गांधी की संसदीय सीट हैं रायबरेली
  • रायबरेली से लोकसभा का चुनाव भी लड़ सकती हैं प्रियंका गांधी
  • रायबरेली के 8 ब्लॉक अध्यक्षों की नियुक्ति में प्रियंका वाड्रा की सहमति ली गई

New Delhi: यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी की बेटी और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की बहन प्रियंका गांधी ने आखिरकार राजनीति में कदम रख ही लिया हैं। प्रियंका वाड्रा को कांग्रेस ने पार्टी का महासचिव बनाया हैं। इसके साथ ही लोकसभा चुनाव 2019 के मद्देनजर उन्हें पूर्वी उत्तर प्रदेश का प्रभार दिया गया है। अब इस बात की अटकल तेज हो गई है कि प्रियंका गांधी वाड्रा अपनी मां यानी सोनिया गांधी की संसदीय सीट रायबरेली से लोकसभा का चुनाव भी लड़ सकती हैं।

आपको बता दें कि सोनिया गांधी को 23 जनवरी को रायबरेली के दौरे पर जाना था, लेकिन आखिरी वक्त में यह दौरा रद्द कर दिया गया। इस वजह से भी प्रियंका गांधी के यहां से चुनाव लड़ने की अटकल एक बार फिर तेज हो गई। रायबरेली से प्रियंका के चुनाव लड़ने की चर्चा रायबरेली में लंबे समय से हो रही है। हाल ही में यह चर्चा तब और तेज हो गई थी जब रायबरेली के 8 ब्लॉक अध्यक्षों की नियुक्ति में प्रियंका वाड्रा की सहमति ली गई। यही नहीं, कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी के स्वास्थ्य के चलते रायबरेली में उनकी सक्रियता कम हुई है। इसे देखते हुए पिछले कुछ समय से प्रियंका के रायबरेली से चुनाव लड़ने की अटकल लगाई जाती रही है।

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रायबरेली और उसके पड़ोस में मौजूद अमेठी सीट गांधी परिवार का `गढ़` मानी जाती रही है। प्रियंका गांधी के लिए यह दोनों इलाके नए नहीं हैं। वे 1999 से कई लोकसभा और विधानसभा चुनावों में इन दोनों सीटों पर कांग्रेस की ओर से प्रचार करती रही हैं। गौरतलब है कि सोनिया गांधी का स्वास्थ्य पिछले कुछ वर्षों से खराब रहा है। 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद तो रायबरेली में सोनिया गांधी की सक्रियता बहुत कम हो गई।

ऐसे में प्रियंका वाड्रा रायबरेली में पार्टी के प्रचार की जिम्मेदारी संभाल रही हैं। प्रियंका रायबरेली में कांग्रेस के कार्यकर्ताओं से लगातार संपर्क में रहती हैं। वे दिल्ली में भी रायबरेली के कार्यकर्ताओं से मिलती हैं। उत्तर प्रदेश में 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में प्रियंका वाड्रा बहुत सक्रिय थीं। उनकी सक्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि कांग्रेस के तब के यूपी प्रभारी गुलाम नबी आजाद ने प्रियंका वाड्रा को सार्वजनिक मंच से कमांडर-इन-चीफ तक करार दे दिया था।

2017 में कांग्रेस और सपा के गठबंधन में भी प्रियंका का अहम रोल माना जाता है। बताया जाता है कि प्रियंका ने अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव से बात कर दोनों पार्टियों के बीच गठबंधन की जमीन तैयार की थी। यहां इस बात का जिक्र दिलचस्प होगा कि प्रयागराज में गाहे-बगाहे कांग्रेस के कार्यकर्ता पोस्टर लगाकर प्रियंका को सक्रिय राजनीति में लाने की मांग करते रहे हैं। पार्टी का एक तबका प्रियंका वाड्रा में उनकी दादी इंदिरा गांधी की छवि देखती रही है।

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