H1B वीजा के नियम ट्रंप प्रशासन ने किए सख्त, बढ़ीं भारतीयों की मुश्किलें

संक्षेप:

  • नई वीजा नीति में हुए बदलाव
  • अमरीका में जॉब कर भारतीयों की बढ़ेगीं मुश्किलें
  • अन्य देशों के नागरिकों को भी होगी मुश्किल

लंबे समय से चर्चित एच1बी वीजा नियमों को अमरीकी प्रशासन ने सख्त कर दिया है। अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नई वीजा नीति के अंतर्गत आए बदलावों के बाद अमरीका में जॉब कर रहे अन्य देशों के नागरिकों के सामने बड़ी मुश्किल खड़ी हो जाएगी। जानकारों के अनुसार इसका सबसे बड़ा अमरीका में काम कर रहे भारतीयों पर पड़ेगा।

इंडियन आईटी प्रोफेशनल्स होंगे प्रभावित

दरअसल, अमरीकी प्रशासन की ओर से वीजा नियमों में लाए बदलावों के बाद भारतीय आईटी प्रोफेशनल्स के सामने बड़ी समस्या खड़ी हो जाएगी। इसके अलावा एक या एक से अधिक क्लाइंट्स के लिए काम कर रहे कर्मचारी भी इससे अछूते नहीं रहेंगे। यहां तक कि अब कंपनियों को यह भी प्रूव करना होगा कि उसके एच1बी वीजा कर्मचारी तीसरी पार्टी के बिहाफ पर काम रहे हैं।

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नई नीति के अंतर्गत यदि अमरीकी कंपनियां इसी शर्त पर बाहरी प्रोफेशनल्स को टेंप्ररी वीजा मुहैया करा सकेंगी, जब वहां पर यूएस प्रोफेशनल्स की कमी हो। बता दें कि एच1बी वीजा 1990 में जब पहली बार शुरू किया गया, तब इसकी सीमा 65,000 थी। साल 2000 में इसे तीन साल के लिए 1,95,000 कर दिया गया। अमरीका ने साल 2004 में वीजा की संख्या फिर 65,000 कर दी। इसलिए इस नीति में डोनाल्ड ट्रंप सरकार से पहले से उतार-चढ़ाव होता रहा है। इस साल 65,000 सामान्य एच1-बी वीजा जारी किए जाएंगे तथा एडवांस अमेरिकी डिग्री रखनेवालों को 20,000 एच1-बी वीजा जारी किए जाएंगे।

एच1बी वीजा का ये होगा असर

जानकारों की मानें तो ट्रंप प्रशासन के इस फैसले का सबसे बड़ा असर इंडियन आईटी कंपनियों और उनमे कार्यरत कर्मचारियों पर पड़ेगा। दरअसल, इंडियन आईटी कंपनी लंबे समय से एच1बी का लाभ उठाती रहीं हैं। यहां तक कि अमरीकी बैंकिंग, ट्रैवल व कमर्शियल सर्विस भी आॅनसाइट आईटी प्रोफेशनल्स पर ही डिपेंड हैं। नई नीति के अनुसार अब वीजा केवल 3 साल की समयावधि के लिए ही मुहैया कराया जाएगा।

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