58 साल के उम्र में इस खिलाड़ी ने जीता ओलंपिक मेडल, युवाओं के लिए बना प्रेरणास्त्रोत

संक्षेप:

  • 58 साल के उम्र में अल रशीदी ने जीता ब्रान्ज मेडल
  • कवैत के शूटर है अल रशीदी
  • सबसे अधिक उम्र में किया मेडल पर कब्जा

नई दिल्ली- टोक्यो में हो रहे ओलंपिक के 32वें संस्करण में यह बता दिया कि उम्र महज एक आंकड़ा है। दरअसल कल टोक्यो ओलंपिक में 13 साल की मोमोजि निशिया ने पदक जीता था। वहीं आज कुवैत के 58 साल के निशानेबाज अब्दुल्ला अल रशीदी ने निशानेबाजी में कांस्य पदक पर अपना कब्जा जमाया है।

कुवैत के सात बार के इस ओलंपियन ने पुरूषों की स्कीट निशानेबाजी की स्पर्धा में कांस्य पदक अपने नाम किया। पदक जीतने के रशीदी ने और भी दिलचस्प बयान दिया, उन्होंने कहा कि वह 2024 पेरिस ओलंपिक में भी भाग लेंगे और उस वक्त उनका निशाना स्वर्ण पर होगा। रशीदी 2024 ओलंपिक में 61 वर्ष के हो जाएंगे।

कांस्य पदक जीतने के बाद रशीदी ने कहा कि “मैं 58 वर्ष का हूं। सबसे बूढ़ा निशानेबाज हूं ऐसे में यह कांस्य पदक भी मेरे लिए स्वर्ण पदक से कम नहीं है। मैं इस पदक से खुश हूं पर अगले ओलंपिक में मैं स्वर्ण पदक जीतूंगा। मैं बदकिस्मत हूं कि मैं इस बार स्वर्ण पदक नहीं जीत सका लेकिन मैं कांस्य पदक से भी खुश हूं। ईंशाअल्लाह पेरिस ओलंपिक 2024 में मैं स्वर्ण पदक जीतूंगा। मैं उस वक्त 61 साल का हो जाऊंगा और स्कीट के साथ-साथ ट्रैप में भी मुकाबला करूंगा।

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कुवैत के अलरशीदी ओलंपिक में पहली बार 1996 में भाग लिया था। उन्होंने रिया ओलंपिक 2016 में भी निशानेबाजी में कांस्य पदक जीता था, पर वहां वह स्वतंत्र खिलाड़ी के रूप में उतरे थे। दरअसल उस वक्त अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति ने कुवैत पर प्रतिबंध लगा रखा था।

कुवैत के लिए पदक जीतने पर उन्होंने कहा रियो ओलंपिक में भी मैं पदक जीतने से खुश था पर कुवैत का ध्वज नहीं होने से थोड़ी निराशा थी। आप उस वक्त के समारोह को देख ले मेरा सर झुका हुआ था। क्योंकि मुझे ओलंपिक का ध्वज नहीं देखना था। पर मैं आज बहुत खुश हूं क्योंकि इस ओलंपिक में मैने कुवैत के ध्वज तले यह मेडल जीता है।  

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