गोरखपुर में 4 गुना बढ़ा प्रदूषण, अस्थमा मरीजों को ख़तरा

संक्षेप:

  • गोरखपुर में 4 गुना प्रदूषण बढ़ा
  • अस्थमा के मरीज परेशान
  • मरीजों की संख्या में 18 फीसदी का इजाफा

गोरखपुर। उत्तर भारत के कई शहरों की तरह गोरखपुर भी धीरे-धीरे जहरीले प्रदूषण की ओर बढ़ रहा है। अगर आंकड़ों पर नजर डालें तो यह डराने वाले हो सकते हैं। पार्टिकुलेट मैटेरियल(PM- 10) का स्तर सामान्य होने से होने 4 गुना अधिक है। इसका सामान्य स्तर जहां 100 होना चाहिए।

वहीं वर्तमान समय में इसका स्तर 370 से 375 के बीच में है। यह आंकड़े उन धूल कणों के लिए है जो 10 माइक्रॉन होते हैं। फ़िलहाल गोरखपुर में ऐसे धूल कणों को मापने का यंत्र नहीं है। जो नाक में नहीं रुकते और सीधे फेफड़े में चले जाते हैं। ऐसे में गोरखपुर की आबो हवा कितनी खतरनाक है इसका अभी आकलन नहीं हो पा रहा है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की रिपोर्ट के अनुसार दुनिया के 20 सबसे प्रदूषित शहरों में चार शहर इलाहाबाद, कानपुर ,फिरोजाबाद और लखनऊ उत्तर प्रदेश में है। औद्योगिक और कृषि से संबंधित उच्च स्तर के प्रदूषण कारकों के साथ-साथ असंतुलित परिवहन सेक्टर से निकलने वाले प्रदूषण भी हैं पिछले कई वर्षों में बढ़ते प्रदूषण के चलते अस्थमा के मरीज बढ़े हैं गोरखपुर के एक व्यक्ति को अस्थमा की परेशानी बढ़ गई है। वे बताते हैं कि उन्हें कई वर्षों से अस्थमा की परेशानी है लेकिन आजकल प्रदूषण के चलते परेशानी कुछ ज्यादा बढ़ गई है इस समय तो धूल की वजह से बाहर निकलना मुश्किल हो जाता है जिला अस्पताल और मेडिकल कॉलेज में सांस व दमा के मरीजो में 15 से 18 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

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पूरे देश में 16 करोड़ आबादी अस्थमा से पीड़ित है अगर आंकड़ों की बात करें तो भारत में अस्थमा के रोगी 12 से 16 लाख करोड़ है बदलते लाइफस्टाइल के चलते बीमारी फ़ैल रही है मौजूदा वक्त में कुल 12 प्रतिशत शिशु अस्थमा से पीड़ित है 2016 में आई एक रिपोर्ट के अनुसार दुनिया में अस्थमा के मरीजों के 10 फीसदी भारत में प्रदूषण के चलते अस्थमा के मामले बढ़ रहे हैं इससे बचने के लिए मरीजों को जागरूक होना पड़ेगा घर से बाहर निकलते वक्त मास्क जरूर लगाएं ।गौरतलब है कि प्रदूषण के चलते शहर की दिनचर्या बदल रही है जिसके वजह से लोगो का स्वास्थ्य प्रवाहित हो रहा है अगर समय रहते प्रदूषण को नियंत्रित नहीं किया तो स्थिति भयावह हो सकती है।

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