खतरों से खाली नहीं गोरखपुर विश्वविद्यालय !

संक्षेप:

  • गोरखपुर विश्वविद्यालय में नहीं है फायर हाइड्रेंट
  • आग लगने जैसी घटना में हो सकता है बड़ा नुकसान
  • विवि परिसर में डेढ़ माह में दो बार लग चुकी है आग

गोरखपुर: दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में कहीं भी फायर हाइड्रेंट नहीं है। फायर हाइड्रेंट वह पॉइंट होते हैं जहां से आग लगने की स्थिति में फायर बिग्रेड की गाड़ियां अपने पाइप सेट कर पानी लेती हैं यदि कैंपस में आग लगने जैसी कोई घटना होती है तो कभी भी बड़ा नुकसान हो सकता है। गौरतलब है कि विवि परिसर में डेढ़ माह में दो बार आग लग चुकी है। हालांकि इस आग लगने से कोई बड़ा नुकसान नहीं होने पाया, लेकिन यहां आग लगने के इंतजामों को देखते हुए कभी भी किसी भी बड़ी घटना से इनकार नहीं किया जा सकता।

NYOOOZ  ने जब विश्वविद्यालय में फायर हाइड्रेंट का रियल्टी चेक किया गया तो बेहद चिंताजनक स्थिति सामने आई। प्रशासनिक भवन, सेंट्रल लाइब्रेरी सहित विश्वविद्यालय के अधिकांश भागों में इंस्ट्रूमेंट नहीं है, जो फायर उपकरण लगाए गए हैं। वह बेहद कम क्षमता के हैं या एक्सपायर हो चुके हैं। कैंपस में पानी के पर्याप्त इंतजाम भी नहीं है। यही कारण है कि आग बुझाने में उम्मीद से ज्यादा समय लग जाते है। टीचर्स, एंप्लाइज कॉलोनी, प्रशासनिक भवन तक पानी की सप्लाई के लिए विश्वविद्यालय केवल एक ही मोटर के भरोसे है।

विश्वविद्यालय के सेंट्रल लाइब्रेरी में आग से बचने का कोई इंतजाम नहीं किया गया है। लाइब्रेरी में केवल खानापूर्ति के एस्टिग्वेसर लगाया गया है या यूं कहा जाए कि करीब दस साल पहले लगाने के बाद अभी तक इसे रिप्लेस नहीं किया गया जबकि लाइब्रेरी में बेहद दुर्लभ किताबें हैं जो एक बार यदि जल गई तो उन्हें दोबारा नहीं लाया जा सकता। प्रशासनिक भवन में भी आग से निपटने का कोई इंतजाम नहीं किया गया है।

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इस संबंध में कुलसचिव सत्रोहंन बैश्य ने बताया कि सभी विभागाध्यक्षों से इसकी फायर के आवश्यकता  के बारे में रिपोर्ट मांगी गई है। एक सप्ताह से जरूरी जगहों पर पर्याप्त इंतजाम कर लिया जाएगा। आग लगने का दुर्घटनाओं के बाद भी किसी डिपार्टमेंट में फायर स्टेटमेंट की कोई जरूरत अभी तक नहीं समझी गई है।

विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार ने बताया कि लॉ डिपार्टमेंट में पत्र भेजकर आग से उचित इंतजाम करने के लिए जरूरी उपकरण लगाने की मांग की गई है। इसके बाद प्रशासन ने सभी विभागाध्यक्षों को पत्र भेजकर उसमें विभाग के बारे में स्थिति रिपोर्ट मांगी है। सभी विभागों से प्राप्त सूचनाओं के आधार पर फायर हाइड्रेंट के लगाने के इंतजाम किए जाएंगे।

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