गोरखपुर में सबसे कम वोटिंग, टेंशन में प्रत्याशी

संक्षेप:

  • गोरखपुर निकाय चुनाव में 35.71 प्रतिशत वोटिंग
  • विकास कार्य पूरा न करने से गुस्सा है लोग
  • मतदाता जागरूक अभियान दिखा बेअसर

गोरखपुर - गोरखपर नगर निगम चुनाव में इस बार मात्र 35.71 प्रतिशत ही मतदान हुआ, जो अब तक का सबसे कम वोटिंग का रिकॉर्ड है। वोटरों को अपने मताधिकार के प्रति सचेत करने के लिए सीएम योगी ने पहल की और चुनावी मौसम में तमाम जनसभाओं को संबोधित करने के बाद 21 की शाम गोरखपर पहुंचे तथा 22 को अपने मताधिकार का प्रयोग किया लेकिन गोरखपर की जनता ने उनके भावनाओ की कद्र नहीं की और वोटिंग में नगर निगम पिछड़ गया।

  • साल 1989 में नगर निगम बनने के बाद कांग्रेस के पवन बथवाल को पार्षदों ने ही मेयर चुना था यानि इनका सीधा चुनाव नहीं हुआ था।
  • साल 1995 के चुनाव में बीजेपी के राजेंद्र शर्मा नगर प्रमुख चुने गए और उन्हे करीब 1995 में 60 प्रतिशत वोट पड़े थे।
  • साल 2000 के चुनाव में करीब 43 प्रतिशत मतदान हुआ था। गोरखपुर की जनता ने नेताओ के खिलाफ नकरात्मक मतदान किया था।
  • साल 2006 के चुनाव में 40.8 प्रतिशत मतदान हुआ था, इस चुनाव में बीजेपी नेता अंजू चौधरो को मेयर चुना गया था।
  • साल 2012 के चुनाव में 38.3 प्रतिशत मतदान हुआ था। इस चुनाव में बीजेपी की डॉ सत्या पांडेय ने जीत हासिल की थी।

इन सबके आगे जाते हुए इस बार के नगर निगम चुनाव में केवल 35 .62 प्रतिशत मतदाताओं ने ही वोट डालना उचित समझा। सीएम योगी के शहर में इतने कम प्रतिशत में मतदान लोगों की उदासीनता का नतीजा है या बार बार मेयर के द्वारा किया गया विकास कार्यो वादा पूरा नहीं करना का परिणाम। क्योंकि महानगर ने जितने भी मेयर दिए वे जनता की उम्मीदों पर खरे नहीं उतरे। यही कारण रहा कि बीजेपी का मेयर रहते हुए विकास कार्यो से नाखुश बीजेपी के सांसद वर्त्तमान में प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मेयर के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए धरना प्रदर्शन भी किया। जिसको लेकर जनता और मीडिया ने भी योगी को कटघरे में खड़ा कर दिया था।

ये भी पढ़े : सारे विश्व में शुद्धता के संस्कार, सकारात्मक सोच और धर्म के रास्ते पर चलने की आवश्यकता: भैय्याजी जोशी


If You Like This Story, Support NYOOOZ

NYOOOZ SUPPORTER

NYOOOZ FRIEND

Your support to NYOOOZ will help us to continue create and publish news for and from smaller cities, which also need equal voice as much as citizens living in bigger cities have through mainstream media organizations.

अन्य गोरखपुर की अन्य ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें और अन्य राज्यों या अपने शहरों की सभी ख़बरें हिन्दी में पढ़ने के लिए NYOOOZ Hindi को सब्सक्राइब करें।

Related Articles