गोरखपुर में बढ़ रहे हाई ब्लडप्रेशर के मरीज

संक्षेप:

  • खतरनाक रोगों में से एक हाई ब्लडप्रेशर
  • शहर की 25% आबादी हाई ब्लडप्रेशर से पीड़ित
  • सरकार को ठोस कदम उठाने की जरूरत

आधुनिक समाज के सबसे खतरनाक रोगों में से एक हाई ब्लडप्रेशर.. गोरखपुर में हाई ब्लडप्रेशर धीरे-धीरे फैल रहा है। पिछले कुछ दशकों में हुए अध्ययन बताते हैं कि करीब 25 प्रतिशत शहरी आबादी हाई ब्लडप्रेशर की बीमारी से प्रभावित है। इससे भी ज्यादा चिंताजनक बात यह है कि ऐसे लोगों की संख्या गांव में अधिक है जिन्हें मालूम भी नहीं है कि वे हाई ब्लडप्रेशर या हाइपरटेंशन की बीमारी से ग्रसित है। गांव में अगर 100 लोगों को हाई ब्लडप्रेशर की बीमारी है तो उनमें से 50 या 60 लोगों को इसका आभास तक नहीं होता है। ऐसा इसलिए भी होता है क्योंकि इस बीमारी का शुरुआत में कोई विशेष लक्षण नहीं दिखता।

नेशनल फेमली हेल्थ सर्वे की रिपोर्ट पर गौर करें तो पता चलता है कि ग्रमीण क्षेत्र में बीपी की परेशानी 24.7 फीसदी में है जबकि शहरी क्षेत्र के 21.0 फीसदी लोगों में है। हाई ब्लडप्रेशर से ग्रस्त लोगों में 8.8 फीसदी महिलाएं और 13.4 फीसदी पुरूष है, जिसमें ग्रामीण और शहरी दोनों शामिल है। हाई ब्लडप्रेशर को तीन श्रेणियों में बांटा गया है-

सामान्य से थोड़ा अधिक रक्तचाप

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अधिक रक्तचाप और,

बहुत अधिक रक्तचाप

इससे भी बड़ी चिंता की बात यह है कि ऐसे लोगों की तादाद काफी ज्यादा है, जिनको हाई ब्लडप्रेशर होने की आशंका है। ये लोग बीमारी से ठीक पहले की स्थिति में हैं। इसका मुख्य कारण जीवन शैली बदलाव... बैठकर अधिक समय गुजार रहे हैं। धूम्रपान की भी इसमें अहम भूमिका है। फल और सब्जियों का कम सेवन भी हाई ब्लडप्रेशर के लिए जिम्मेदार है।

जानकार ये कहते है कि शरीर गुर्दे की मदद से अतिरिक्त नमक को बाहर निकालता है। खाद्य पदार्थों में अत्यधिक नमक की वजह से गुर्दों पर बोझ बढ़ जाता है और वे अपना काम करना बंद कर देते हैं। ऐसी स्थिति में नमक रक्त में घुलने लगता है, जिससे रक्त में पानी की मात्रा बढ़ जाती है। इससे धमनियों पर दबाव पड़ने के कारण रक्तचाप बढ़ जाता है। इस तनाव से निपटने के लिए रक्त वाहिकाएं और धमनियां मोटी होती जाती हैं। ऐसा होने पर रक्त के प्रवाह के लिए बहुत ही कम जगह बचती है और रक्तचाप पुनः और अधिक बढ़ता है। इससे उत्पन्न तनाव से निपटने के लिए दिल अपनी कार्यगति बढ़ाता है और ह्रदय की बहुत सारी बीमारियों की संभावनाओं को जन्म देता है।

वहीं जब जिला अस्पताल के हद्य विभाग में आये मरीजों से बात की गई तो उन्होंने जो बताया वो हैरान करने वाला था। उन्होंने बताया कि हाई ब्लडप्रेशर की दवाईया हमें बाहर से लेनी पड़ती है, क्योंकि जिला अस्पताल में दवाईया पूरी नहीं मिल पाती है। एक मरीज ने यहां तक बताया कि हमारा मुख्य व्यवसाय कृषि ही है, जिससे बड़ी ही मुश्किल से घर का खर्चा चल पाता है, लेकिन मां और पत्नी दोनों को हाई ब्लड प्रेसर की बीमारी होने के वजह से हमें तक़रीबन 1200 रुपये एक आदमी के ऊपर दवाई के खर्चे में लग जाता है। इसके मुताबिक दोनों के दवाई का खर्चा निकाला जाये तो महीने का 5 हजार रुपये से ऊपर हो जाता है और फिर घर से अस्पताल आने-जाने में जो खर्चा होता है वो अलग..

यह है बीपी का पैमाना

सिस्टोलिक रक्तचाप की स्थिति 120 से 129 एमएमएचजी और डायस्टोलिक रक्तचाप की स्थिति 80 से 89 एमएमएचजी के बीच की होती है। अगर यह दबाव 115/75 एमएमएचजी से कम या ज्यादा होता है, तो खतरा बढ़ता है। प्रत्येक 20/10 एमएमएचजी चढ़ाव पर दिल की बीमारियों की संभावना दोगुना होती जाती है।

हाई ब्लडप्रेशर के खतरे

  • स्ट्रोक : ब्लडप्रेशर से बढ़ने के बाद दिल का आकार बढ़ने के कारण यह ठीक से खून पंप करना बंद कर देता है, जिससे स्ट्रोक और हार्ट फेल होने का खतरा बढ़ जाता है।
  • एन्यूरिज्म : उच्च रक्तचाप के कारण नसों में कमजोरी और सूजन आ जाती है। एन्यूरिज्म फटने से मौत भी हो सकती है।
  • किडनी खराब : किडनी की रक्त धमनियां कमजोर और पतली हो जाती हैं, जिससे किडनी ठीक से काम नहीं कर पाती।
  • आंखों की रोशनी जाना : आंखों की रक्त धमनियां प्रभावित होने से अंधेपन का ख़तरा भी उत्पन्न हो जाता है।
  • मेटाबोलिक सिंड्रोम : यह शरीर में ऊर्जा के उपयोग और स्टोरेज से संबंधित अनियमितता है। उच्च रक्तचाप होने पर मेटाबॉलिक सिंड्रोम से जुड़ी अन्य सेहत संबंधी परेशानी होने की आशंका अधिक बढ़ जाती है।

वहीं हाई ब्लडप्रेशर होने से आंखों की रक्त धमनियां प्रभावित होने से अंधेपन का ख़तरा भी उत्पन्न हो जाता है और हम आप सभी जानते है कि अंधापन या दिव्यांगता किसी भी व्यक्ति या समाज के लिए एक अभिशाप से कम नहीं है,  इसलिए कहीं न कहीं इस बीमारी से बचने के सरकार की तरफ से कोई ठोस कदम उठाना चाहिए।

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