देवरिया: सरकारी स्कूल के बोर्ड से हटाया जा रहा ‘इस्लामिया’ शब्द

संक्षेप:

  • प्राइमरी स्कूल का नाम बदलकर `इस्लामिया प्राइमरी स्कूल` किया
  • प्रशासन के आदेश के बाद प्राइमरी स्कूल के आगे ‘इस्लामिया’ शब्द हटाया गया
  • प्रिंसिपल के आदेश पर रविवार के बजाय शुक्रवार को बंद होता था स्कूल

देवरिया: देवरिया जिले के सलेमपुर क्षेत्र में एक प्राइमरी स्कूल का नाम बदलकर `इस्लामिया प्राइमरी स्कूल` कर दिया गया। मामला सामने आने पर नाम से ‘इस्लामिया’ शब्द हटा दिया गया है। बताया जा रहा है कि स्कूल के प्रिंसिपल ने मनमानी करते हुए रविवार की बजाए शुक्रवार को स्कूल बंद करने का ऐलान किया हुआ था। इसका जब खुलासा हुआ तो बेसिक शिक्षा विभाग में हड़कंप मच गया। जिलाधिकारी सुजीत कुमार ने बेसिक शिक्षा अधिकारी से जांच पत्रावली तलब करते हुए कार्रवाई का निर्देश दिया है।

सलेमपुर के खंड शिक्षा अधिकारी ज्ञानचंद मिश्र को गुरुवार को जानकारी मिली कि प्राथमिक विद्यालय नवलपुर में तैनात प्रिंसिपल शुक्रवार को स्कूल बंद रखते हैं। इसकी जांच के लिए खंड शिक्षा अधिकारी ने शुक्रवार को शिक्षा विभाग के अधिकारी देवी शरण सिंह और हरेंद्र द्विवेदी को विद्यालय भेजा। दोनों लोग 9:45 बजे स्कूल पर पहुंचे, तो वह बंद मिला। यही नहीं, स्कूल की बिल्डिंग पर प्राथमिक विद्यालय नवलपुर की जगह `इस्लामिया प्राइमरी स्कूल, नवलपुर` लिखा हुआ पाया गया।

इन दोनों ने खंड शिक्षा अधिकारी को इसकी जानकारी दी। इस पर उन्होंने विद्यालय के प्रिंसिपल खुर्शेद अहमद को सभी पत्रावलियों के साथ कार्यालय बुलाया। पत्रावलियों की जांच में पाया गया कि काफी समय से उक्त विद्यालय शुक्रवार को बंद रहता है और इसके एवज में रविवार को खोला जाता है। रजिस्टर की जांच में भी इसकी पुष्टि हुई। इस संबंध में खंड शिक्षा अधिकारी के पूछने पर प्रिंसिपल ने कहा कि विद्यालय में पंजीकृत 91 छात्रों में से करीब 95 फीसदी मुस्लिम समुदाय के हैं, इसलिए जुमे को विद्यालय बंद कर रविवार को खोलते हैं।

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यही नहीं, प्रिंसिपल ने यह भी दावा किया कि वह 2008 में इस विद्यालय में जब आए थे, उसके पहले से ही यहां यह परंपरा चली आ रही थी। बेसिक शिक्षा अधिकारी संतोष कुमार देव पांडेय ने इस सबंध में कहा कि प्रिंसिपल ने विद्यालय की स्थापना के समय से ही इस तरह की परंपरा की बात कही है। पूरे प्रकरण की जांच की जा रही है। विद्यालय में तमाम जरूरी पत्राचार भी आपस में उर्दू में ही किए गए हैं, जबकि परिषदीय विद्यालय हिन्दी माध्यम के अलावा सिर्फ अंग्रेजी माध्यम से ही संचालित हो सकता है।

 

 

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