जान खतरे में डाल कर आमी नदी पार करते हैं स्थानीय लोग

संक्षेप:

  • जान जोखिम में डाल कर नदी पार करते हो लोग
  • कौड़ीराम ब्लाक के सोहगौरा गांव के पास का मामला
  • यह पुलिया हर चुनाव में मुद्दा भी बनती है

गोरखपुरः कौड़ीराम ब्लाक के सोहगौरा गांव के सामने आमी नदी पर पुलिया को गांव के लोग रोज जान जोखिम में डालकर नदी पार करने के लिए विवश हैं। तो वहीं यह पुलिया हर चुनाव में मुद्दा भी बनती है और इस पर आधा दर्जन लोगों की जान भी जा चुकी है फिर भी जिम्मेदार बेपरवाह बने हुए हैं।

पुलिया के अभाव में सोहगौरा, टीकर, बारीगांव, कैथवलिया आदि गांवों के किसान आमी नदी उस पार जाते हैं और खेती करते हैं। वे जनसहयोग से बनी बांस के मचान से अपने खेतों में जाते हैं।

मचान ऐसी की पैदल चलना भी मुश्किल है परंतु लोग मजबूरी में बोझ लेकर भी उसी के सहारे नदी पार करते हैं। बरसात के दिनों में आमी के विकराल रूप के सामने मचान नाकाफी साबित होता है।

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इनकी डूबने से हो चुकी है मौत

पुलिया के अभाव में सत्तर वर्षीय रामअधार, रामकवल साहनी की दो पुत्रियां, दस वर्षीय पप्पू, बीस वर्षीय रामकवल, विद्यासागर तिवारी का पौत्र आदि असमय काल के गाल में समा चुके हैं।

पुलिया बने तो घट जाएगी दूरी

खेतों के काम तो यहां के लोग खतरों से खेलकर इसी मचान के सहारे निपटा लेते हैं लेकिन अनाज व खाद बीज ले जाने के लिए कौड़ीराम होकर उन्हें अपने खेतों तक पहुंचना होता है। इसमें लगभग आठ से दस किलोमीटर की दूरी बढ़ जाती है अगर यह पुलिया बन जाए तो खतरा तो टल ही जाएगा दूरी भी मुश्किल से एक किलोमीटर रह जाएगी।

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