IIT के 50 छात्रों ने नौकरी छोड़ बनाई 'बाप', दलितों के लिए करेंगे संघर्ष

संक्षेप:

  • पिछड़े वर्ग से हैं पार्टी के ज्यादातर सदस्य
  • सोशल मीडिया पर शुरू हुआ अभियान
  • 2019 का चुनाव लड़ना लक्ष्य नहीं

कानपुरः देश में पिछड़ी जातियों की आवाज उठाने के लिए इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (आईआईटी) के 50 पूर्व छात्रों ने नौकरी छोड़कर राजनीतिक दल बनाया है। चुनाव आयोग से मंजूरी का इंतजार कर रहे इस ग्रुप ने अपनी पार्टी का नाम ‘बहुजन आजाद पार्टी’ (बीएपी) रखा है। पार्टी के मुखिया नवीन कुमार का कहना है कि हमारे दल में सभी लोग देश के अलग-अलग आईआईटी से ग्रैजुएट हैं और सभी ने अपनी नौकरियां छोड़ दी हैं।

2019 का चुनाव लड़ना लक्ष्य नहीं

2015 में आईआईटी दिल्ली से पढ़ाई पूरी करने वाले नवीन कुमार ने बताया कि पार्टी सदस्य अभी 2019 लोकसभा चुनाव नहीं लड़ना चाहते। उन्होंने कहा, “हम अभी जल्दबाजी में कोई काम कर के छोटी-मोटी पार्टी की तरह खत्म नहीं होना चाहते। हम 2020 में बिहार विधानसभा चुनाव से शुरूआत करेंगे और फिर अगले लोकसभा चुनाव को लक्ष्य बनाएंगे।”

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पिछड़े वर्ग से हैं पार्टी के ज्यादातर सदस्य

पार्टी के ज्यादातर सदस्य पिछड़ा या अति पिछड़ा वर्ग से हैं, जिनका मानना है कि एससी-एसटी और ओबीसी समुदायों को शिक्षा और रोजगार के क्षेत्र में पूरी तरह हक नहीं मिला है।

सोशल मीडिया पर शुरू हुआ अभियान

पार्टी ने सोशल मीडिया पर अपना अभियान शुरू कर दिया है। पोस्टर में भीमराव अंबेडकर, सुभाष चंद्र बोस और एपीजे अब्दुल कलाम की तस्वीरें भी लगाई गई हैं। कुमार ने कहा, “एक बार हमारी पार्टी का रजिस्ट्रेशन पूरा हो जाए, फिर हम छोटी-छोटी यूनिट्स बनाकर टारगेट ग्रुप्स के लिए जमीनी स्तर पर काम करना शुरू कर देंगे। हम अभी खुद को किसी भी राजनीतिक पार्टी या विचारधारा के विरोधी के रूप में पेश नहीं करना चाहते।”

फाउंडर मेंबर अखिलेश बोले-आईआईटी में जाति देखकर मिलते हैं बड़े प्रोजेक्ट

बहुजन आजाद पार्टी (बीएपी) के फाउंडर मेंबर सरकार अखिलेश ने आईआईटी में भी पिछड़े वर्ग के छात्रों के साथ भेदभाव की बात कही है। अखिलेश ने कहा कि इस पार्टी की जरूरत आईआईटी में पढ़ाई के दौरान ही महसूस हुई। यहां सभी छात्रों को समान अधिकार नहीं है। आरक्षण से एडमिशन पाने वालों के साथ अच्छा व्यवहार नहीं होता। उन्हें बड़े प्रोजेक्ट नहीं दिए जाते। 1990 से पहले का दौर देखा जाए तो पता चल जाएगा कि आरक्षण के बावजूद पिछड़े वर्ग के बच्चे आईआईटी में नहीं थे।

25 से 40 उम्र के लोगों को टिकट

सरकार अखिलेश ने कहा कि उनकी पार्टी पिछड़ों के नाम पर राजनीति नहीं करेगी। पिछड़ों को उनका हक दिलाएगी। 25 से 40 साल के पढ़े-लिखे युवा ही उनके उम्मीदवार होंगे। उनकी पार्टी ओबीसी, एससी, एसटी और महिलाओं को अपना उम्मीदवार बनाएगी। जिन पर आपराधिक मामला दर्ज होगा, उन्हें टिकट नहीं मिलेगा।

पार्टी का सोशल मीडिया में प्रचार

इस संगठन के सदस्यों में मुख्य रूप से एससी, एसटी और ओबीसी वर्ग से हैं। इनका मानना है कि पिछड़े वर्गों को शिक्षा एवं रोजगार के मामले में उनका वाजिब हक नहीं मिला है। पार्टी ने भीमराव आंबेडकर, सुभाष चंद्र बोस और एपीजे अब्दुल कलाम सहित कई अन्य नेताओं की तस्वीरें लगाकर सोशल मीडिया में प्रचार शुरू कर दिया है। कुमार ने कहा, ‘एक बार पंजीकरण करा लेने के बाद हम पार्टी की छोटी इकाइयां बनाएंगे जो जमीनी स्तर पर काम करना शुरू करेंगी। हम खुद को किसी राजनीतिक पार्टी के प्रतिद्वंद्वी के तौर पर पेश नहीं करना चाहते।’

आईआईटी के हिमांशु बोले- यह गंदी राजनीति

आईआईटी आईएसएम के छात्रों ने जन संसद नामक एक संगठन बनाया है। बहुजन आजाद पार्टी के नेताओं द्वारा आईआईटी में भेदभाव किए जाने की बात से जन संसद नाराज है। जन संसद के संस्थापक सदस्यों में एक हिमांशु मिश्रा ने कहा कि आईआईटी जैसी संस्थानों में छात्रों की जाति नहीं पूछी जाती है। वे आईआईटी आईएसएम के फाइनल इयर के छात्र हैं और अभी तक कई साथियों की जाति नहीं जानते।

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