UP Panchayat Election: आरक्षण लिस्‍ट में देरी से लटक सकते हैं पंचायत चुनाव, जानिए कब तक स्थिति होगी साफ

संक्षेप:

कानपुर: उत्तर प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव (UP Panchayat Election 2021) को लेकर तैयारियां तेज हैं. लेकिन गांवों में ग्राम प्रधान (Gram Pradhan) , बीडीसी और जिला पंचायत सदस्यों के लिए आने वाली आरक्षण सूची (Reservation List) का इंतजार किया जा रहा है. सबकी नजर इस पर टिकी हुई है. दरअसल आरक्षण सूची के बिना प्रत्याशी का चयन नहीं हो सकता है. सूची आने के बाद ही साफ होगा कि कौन सी ग्राम सभा में किस जाति के लिए चुनाव लड़ने को सीट आरक्षित है. पहले माना जा रहा था कि 22 जनवरी तक ये लिस्ट आ जाएगी लेकिन अब तक कोई आरक्षण सूची जारी नहीं हुई है.

 

कानपुर: उत्तर प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव (UP Panchayat Election 2021) को लेकर तैयारियां तेज हैं. लेकिन गांवों में ग्राम प्रधान (Gram Pradhan) , बीडीसी और जिला पंचायत सदस्यों के लिए आने वाली आरक्षण सूची (Reservation List) का इंतजार किया जा रहा है. सबकी नजर इस पर टिकी हुई है. दरअसल आरक्षण सूची के बिना प्रत्याशी का चयन नहीं हो सकता है. सूची आने के बाद ही साफ होगा कि कौन सी ग्राम सभा में किस जाति के लिए चुनाव लड़ने को सीट आरक्षित है. पहले माना जा रहा था कि 22 जनवरी तक ये लिस्ट आ जाएगी लेकिन अब तक कोई आरक्षण सूची जारी नहीं हुई है.

फिलहाल आरक्षण को लेकर अभी तक सरकार में बैठकें चलने की बात ही सामने आ रही है. यूपी के संसदीय कार्य, ग्राम्य विकास, समग्र ग्राम विकास राज्य मंत्री आनंद स्वरूप शुक्ला के अनुसार 15 फरवरी तक स्थिति साफ हो सकती है. इस तरीख को लेकर अब चर्चाएं तेज हैं कि पंचायत चुनाव में अभी और देरी हो सकती है.

इस बार 52 लाख ज्यादा वोटर करेंगे मतदान

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उत्तर प्रदेश पंचायत चुनाव को लेकर राज्य निर्वाचन आयोग ने 71 जिलों की अंतिम वोटर लिस्ट भी जारी कर दी है. इस बार 12.50 करोड़ वोटर अपने मताधिकार का इस्तेमाल करेंगे. 2015 के मुकाबले करीब 52 लाख वोटर बढ़े हैं. पिछली बार 11.76 करोड़ मतदाता थे.
बता दें कोरोना के कारण देर से होने जा रहे पंचायत चुनाव को लेकर रोज नए संकेत सामने आ रहे हैं. पहले सुनने में आ रहा था कि बोर्ड परीक्षाओं के कारण चुनाव जून तक टल सकते हैं, लेकिन फिर मार्च और अप्रैल मं चुनाव होने के कयास शुरू हुए हैं. निर्वाचन आयोग की तेजी इस बात का संकेत दे रही है हालांकि आरक्षिण सूची फाइनल नहीं होने के चलते इन कोशिशों की राह मुश्किल दिख रही हैं.

एक जनपद एक दिन मतदान

वैसे निर्वाचन आयोग चुनाव को कम समय में समेटने के लिए सरकार के एक सुझाव पर भी तेजी से काम कर रहा है. दरअसल सरकार ने एक जनपद में एक ही दिन मतदान कराने का सुझाव दिया है और निर्वाचन आयोग इसमें सम्भावनाएं तलाशने में जुट गया है. हालांकि एक दिन में एक जनपद में मतदान की प्रक्रिया का दबाव सबसे ज्यादा सरकार पर ही पड़ेगा.

बता दें अब तक औसत एक जिले में ब्लॉक के हिसाब से चार चरणों में चुनाव होते थे. निर्वाचन आयोग पहले चरण के बाद मतदान कर्मियों को तीसरे चरण के केन्द्र पर तैनात कर देता था. इसी तरह दूसरे चरण के मतदान कर्मी चौथे चरण के मतदान केंद्र पहुंचते थे. जाहिर है एक दिन मतदान होने पर ज्यादा मतदानकर्मियों की जरूरत होगी साथ ही प्रशिक्षण से लेकर तैनाती की चुनौती खड़ी होगी.

शस्त्र लाइसेंस की जांच तेज

बहरहाल, तारीखों के ऐलान से पहले यूपी पुलिस प्रदेश भर में शस्त्र लाइसेंस के सत्यापन के कार्य में जुटी हुई है. नए सिरे से गांव के दबंगों को भी चिन्हित किया जा रहा है. डीआईजी प्रीतिंदर सिंह ने बताया कि पंचायत चुनाव की वजह से ग्रामीण क्षेत्र काफी संवेदनशील हैं. ऐसे में गांव में तनाव की शिकायतें भी बढ़ने लगती हैं. लोगों को भड़काकर आपसी संघर्ष की घटना भी घटित हो जाती है. इसको लेकर अब सभी थानों को नए सिरे से गांव के दबंगों को चिन्हित करने और सत्यापन करने के आदेश दिए गए हैं. पुलिस उन लोगों की लिस्ट तैयार कर रही है जिनका नाम पूर्व में किसी विवाद में आया हो या उनके खिलाफ कोई कार्रवाई हुई हो. ऐसे लोगों की गांववार लिस्ट बनाकर समय से पाबंद किया जाएगा. उन्होंने कहा कि अनुमानित तौर पर यह काम 10 दिनों के अंदर हो जाएगा.

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